मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
46 - आज की कहानी का शीर्षक- ‘दो बूंद जिंदगी के’


मीना की क्लास ने बहिन जी खेल-खेल खेल में पहेलियों के माध्यम से पढाई करवा रही हैं।  लड़कियां सवालों के सही जबाब दे रही है।

‘देखो काम ये करता है बड़े-बड़े
हर बीमारी से लड़ता इक कोने में पड़े’

-साबुन (सही जबाब देती है मीना)

सुनील चिंता जाहिर करता है की लड़कियां सब सवाल बताये ही जा रही हैं?
दीपू- (सुनील से) अगले सवाल का जवाब में ही दूँगा ।

बहिन जी अगली पहेली पूंछती हैं-

‘मिटटी से में हूँ बना हुआ कोयला है मेरी खुराक
जब जलके बुझता हूँ तो बचती है बस राख’

- तंदूर(सही जबाब देती है सोमा)


बहिन जी कहती है कि लड़कों ने एक भी जवाब नहीं दिया।
....लडके और प्रश्न पूंछने को कहते हैं।


बहिन जी कहती हैं कल हम एक और खेल खेलेंगे।  ...और उसमे प्रश्न पूंछे जायेंगे आज के पाठ से।  मुकाबला लडके और लड़कियों के बीच दो टीमों में होगा।  लड़कों की टीम में रहेंगे- दीपू,  सुनील और बालूशाही , और लड़कियों की टीम में होंगी-सोमा, मिली और मीना।

.........और उस शाम को मीना , सोमा और मिली ने अगले दी के खेल केलिए खूब अभ्यास किया।
और अगले दिन.........

बहिन जी खेल के नियम समझाती है –हर प्रश्न के लिया मिलेगा एक अंक , और समय होगा 10 सेकंड ।  जो टीम अधिक अंक प्राप्त करेगी वही विजेता होगी।

(पहला प्रश्न लड़कियों की टीम से)
मीना- (दीपू के लिए) क्या पोलियो का कोई इलाज है?
(रीना गिनती गिनना शुरू करती है )10, 9, 8, 7, 6, 5, , ...........

दीपू- नही,  पोलियो का कोई इलाज नहीं।  लेकिन हाँ इलाज संभव है।

(लडको को टीम को प्राप्त होता है एक अंक। )

(अगला प्रश्न सुनील का,  मिली के लिए)

सुनील- ‘दो बूँद जिंदगी की’ किसे कहते हैं?
मिली- दो बूँद जिंदगी का मतलब है जन्म से पांच साल तक के बच्चों को पिलाई जाने वाली पोलियो की खुराक।
(लड़किओं की टीम को मिलता है एक अंक)


(अगला सवाल पूंछेगी मिली, दीपू से)
मिली- बच्चों को पोलियो की खुराक दिलाने में क्या खर्च आता है?
दीपू- कोई खर्च नहीं आता मिली , क्योंकि पोलियो की खुराक सरकार की तरफ से मुफ्त मिलती है।
(लडको को टीम को प्राप्त होता है एक अंक। )

(अगला सवाल बालूशाही का मीना के लिए)
बालूशाही-पोलियो से बचाव कैसे किया जा सकता है?
मीना- पोलियो से बचाव का तरीका है हर बार पोलियो की खुराक ।
(लड़किओं की टीम को मिलता है एक और अंक। )

दोनों टीमें 2-2  अंक लेकर बराबरी पे है।

(अगला सवाल सोमा बालूशाही से)
सोमा- जिसे हम जन्म की खुराक कहते हैं, पोलियो की खुराक के साथ लगाये जाने वाले टीके का नाम क्या है?
...और बालूशाही जवाव नहीं हे पाया।  जिसका जबाव था B.C.G. का टीका।

अगला सवाल पूंछना था दीपू ने सोमा से ।

दीपू- पांच साल तक के बच्चे को पोलियो की खुराक कितनी बार पिलाई जानी चाहिए? दो बार या चार बार।
सोमा उत्तर नहीं देती है।  सोमा कहती है कि दीपू का सवाल ही गलत है क्योंकि जन्म से पांच साल तक के बच्चों को पोलियो की खुराक हर बार पिलाई जानी चाहिए। माँ ने अभी कुछ दिन पहले ही मेरी छोटी बहन पारो को जो दो साल की है को सातवी बार पोलियो की दवा पिलाई है।

मीना नर्स बहिन जी की बात याद दिलाती है,  ‘एक बार जो छूट गया समझो सुरक्षा चक्र टूट गया। ’ बही जी समझाती है कि पोलियो जैसी खतरनाक बीमारी से पांच साल तक के बच्चों को बचने ले लिए- “हर बार-हर बच्चा”

पोलियो रविवार या आशा दीदी, एएनएम  दीदी या डॉक्टरबाबू  कहें तब,  पोलियो की खुराक दिलवानी चाहिए।

खेल का परिणाम बहिन जी सुनाती हैं- लड़कियों की टीम जीत जाती है।



आज का गीत-
“एक पहेली पूंछू बतलाओगे।
बतलाऊंगा......................
घडी हमें क्या कहती है सिखलाओगे।
सिखलाऊंगा ..................


आज का खेल- ‘ कडियां जोड़ पहेली तोड़’

1 ) लोहे या लकड़ी से में बनता हूँ त से मेरा नाम
कीमती सामान रखने के आता हूँ काम।

2 ) छुपा के रखते मुझको ताकि देखे न कोई बहार वाला
लोग लगाते मुझमे एक बड़ा सा ताला।

- संदूक


मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है। यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिकसे अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में साथ है और इसके पीछे इनको लिपिबद्ध करने में लगा हुआ है। आशा है आप सभी को यह प्रयास पसंद आयेगा। फ़ेसबुक पर भी आप मीना की दुनिया को Follow कर सकते हैं।  

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