मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
62-  कहानी का शीर्षक- ‘जरा सुनो’


आज मीना के स्कूल में गाँधी जयन्ती की तैयारियां हो रही हैं।  बहिन जी बताती हैं कि कल दो अक्टूबर है यानी गाँधी जयन्ती और सरपंच जी ने फैसला लिया है कि इस बार गाँधी जयन्ती अपने स्कूल में मनाई जाएगी, और इस समारोह के मुख्य अथिति होंगे साथ वाले गाँव के सरपंच प्रधान जी।
मीना सुझाव देती है, शोभा काकी के बेटे कमल जो शहर से यही आये हुए हैं ...कमल ने कुछ महीने पहले गान्धी जयन्ती पर एक लेख लिखा था जो अखबार में भी छपा था,गाँधी जी के जीवन पर बहुत अच्छा भाषण दे सकते हैं ।
बहिन जी मीना और सुमी को शोभा काकी से घर भेजते हुए कहती हैं कि कमल को कार्यक्रम के बारे में समझा देना..... ..चूँकि प्रधान जी ११ बजे वापस चले जायेंगे इसलिए कमल ठीक १०:३० बजे तक स्कूल पहुँच जाए।

.....और कमल से कहना कि वह पेण्ट-शर्ट नहीं धोती कुर्ता पहन कर आये।
बहिन जी – मीना, कमल को यह भी कहना कि भाषण ज्यादा लम्बा न हो।
मीना सारी बातें याद करते हुए दोहराती है।
मीना और सुमी कमल के घर पहुँच गयी........कमल तो मजे से नीबू पानी पीता हुआ घर की खिड़की जोड़ रहा है।  मीना, कमल को स्कूल आकर गाँधी जी पर भाषण देने को आमंत्रित करती है।
कमल- अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुयी ये खिड़की, मीना जरा कील देना।

मीना- ये लो भईया ...तो मैं कह रही थी.......कि आप कल स्कूल आके गाँधी जी के बारे में दो शब्द कह सकें तो.........
कमल- ठीक है-ठीक है मैं आ जाऊंगा।
मीना बहिन जी की कही सारी बातें कमल को बताती चली जाती है।
कमल- ये खिड़की अभी भी ठीक से बंद क्यों नहीं हो रही है? क्या गड़बड़ है?
मीना- कमल भईया आप सुन रहे हैं ना ।
कमल-हाँ पहुँच जाऊंगा-पहुँच जाऊंगा।

.........हाँ समझ गया-समझ गया.....हाँ हाँ बिलकुल...तुम दोनों जाओ मैं पहुँच जाऊंगा।
औए अगले दिन स्कूल में.....
बहिन जी- मीना, ११ बजने वाले हैं कमल अभी तक आया क्यों नहीं? तुमने उसे ठीक से बताया तो था ना।
तभी कमल पेण्ट-बुशर्ट पहने आता दिखता है.....
बहिन जी मीना को उसे स्टेज पर लाने को कहकर कमल के भाषण की घोषणा करने चली जाती हैं।
कमल- दे दी हमें आज़ादी बिना खडंग बिन ढाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।
.........................................................
बहिन जी- अरे! कमल तो चुप होने का नाम ही नहीं ले रहा, देखो मीना प्रधान जी बार-बार घडी की तरफ देख रहे है।
दीपू तरीका सुझाता है कि हम सब तालियाँ बजाना शुरू कर देंगे।
तालियों की आवाज़ सुनकर प्रधान जी ने राहत की सांस ली वो उठकर खड़े हुए और सबके हाथ जोड़कर वापस चले गए।
कमल गुस्से में बहिन जी के पास आता है।  बहिन जी उसे उसकी गलती का अहसास कराती हैं।  कमल भी स्वीकारता है कि कल खिड़की ठीक करने के चक्कर में मीना और सुमी की किसी बात को ध्यान से नहीं सुन पाया था।
बहिन जी बच्चों को समझाती हैं कि हर बात सुनते समय पूरा ध्यान लगाओ और उसे मन ही मन या जोर से दोहराओ।  ऐसा करने से तुम कभी भी कमल की तरह नहीं भूलोगे।



आज का गीत-

टिप-टिप बूँदें बारिश की जरा सुनो
कल-कल नदी बही जरा सुनो
.............................................
जरा सुनो ..............................




आज का खेल- ‘नाम अनेक अक्षर एक’

अक्षर- ‘ब’


व्यक्ति- बाइचुंग भूटिया
जानवर- बन्दर
वस्तु- बांसुरी
जगह- बिहार



मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है। यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिकसे अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में साथ है और इसके पीछे इनको लिपिबद्ध करने में लगा हुआ है। आशा है आप सभी को यह प्रयास पसंद आयेगा। फ़ेसबुक पर भी आप मीना की दुनिया को Follow कर सकते हैं।  

Enter Your E-MAIL for Free Updates :   

Post a Comment

 
Top