मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
64 - आज की कहानी का शीर्षक-‘लाल रेल नीली रेल’

मीना की बहिन जी एक हफ्ते के लिए किसी जरूरी काम से शहर गयीं हुयीं हैं और उनकी जगह सब बच्चों को पढ़ा रही हैं रजनी बहिन जी। .......और फिर मीना के स्कूल की अगले हफ्ते छुट्टियाँ भी तो होने वाली हैं।
रजनी बहिन जी- माफ करना बच्चों, मुझे आने में थोड़ी देर हो गयी।  मैं तो समय पे ही पहुँच जाती ..लेकिन मेरे सिर में थोडा दर्द भी था और ऊपर से अचानक मेहमान भी आ गए, इसकी वजह से मुझे आने में देर हो गयी।
मीना- बहिन जी, आपने कहा था कि अगले शनिवार स्कूल में एक नाटक भी करेंगे।

रजनी बहिन जी- अरे हाँ! मीना,तुम और तुम्हारे नाटक मंडली के दोस्त छुट्टी के बाद मेरे कमरे में आ जाना।
....और स्कूल की छुट्टी के बाद

रजनी बहिन जी- रीना, दीपू,कृष्णा,सुमी ...तुम सब, छुट्टी तो हो गयी अभी घर नहीं गए।

मीना- बहिन जी आप ही ने तो कहा था,छुट्टी के बाद यहाँ आने को।

बहिन जी- अरे हाँ! बच्चों एक काम करें..नाटक के बारे में कल बात करें....मुझे ये सारी कापियां चेक करनी हैं।

उस रात बहिन जी ने देर रात तक कापियां चेक की।  और अगले दिन मीना की क्लास में........

बहिन जी- मीना...दीपू,तुम दोनों की कॉपी जल्दी—जल्दी में घर पर ही भूल आयी।

मीना, दीपू भागके रजनी बहिन जी के घर गए...लेकिन जब वे कापी लेकर क्लास तक पहुंचे तो...

दीपू- मीना, रजनी बहिन जी कहाँ गयी?

बच्चे बताते हैं कि बहिन जी थोड़े देर की आने की कह कर गयीं हैं।

(तभी पोंगाराम चाचा क्लास की तरफ आते दिखाई दिए)
पोंगाराम चाचा- अगर बहिन जी थोड़ी देर में आने की बोल कर गयीं हैं तो वो जरूर आयेंगे।

दीपू- लेकिन तब तक हम क्या करें?

पोंगा चाचा- तब तक मैं तुम्हे कुछ सिखाता हूँ। ..... आज मैं तुम्हे एक मजेदार खेल खिलाता हूँ।  खेल का नाम है-‘शब्द झटक नहीं अटक’

....... शुरुआत करते हैं कृष्णा से,

(कृष्णा से) तुम ये पंक्तिया बोलकर दिखाओ- लाल रेल नीली रेल

कृष्णा- लाल रेल नीली रेल।

बच्चों को मज़ा नहीं आता।

पोंगा चाचा- कृष्णा अब तुम ये पंक्तियाँ फिर से बोलो लेकिन जल्दी-जल्दी पांच बार, लेकिन याद रहे अटकना नहीं है।

कृष्णा- लाल रेल नीली रेल,लाल लेल नेले लेर ......

अब बोलेगी सुमी......लाल रेल नीली रेल,लालर नीरी रेल

(मीना से ) अब तुम बोलकर दिखाओ।
मीना- लाल रेल नीली रेल,....

पोंगा चाचा- ऐसे नहीं जल्दी-जल्दी।
मीना- लाल लेल राल लेल,....

पोंगा राम चाचा के इस खेल में बच्चों को बहुत ही मज़ा आया ।
दीपू पोंगा चाचा से पूंछ कर पानी पीने चला जाता है।

इतने में मीना के पिताजी आ जाते हैं।  बहिन जी के बारे में पूंछने पर उन्हें सारी स्थिति से अवगत कराया जाता है।

दीपू हांफते हुए आकर बताता है की रामू काका ने बताया कि थोड़ी देर पहले रजनी बहिन जी बेहोश होकर गिर पड़ीं।

रजनी बहिन जी को रामू काका नर्स बहिन जी के पास लेकर गए थे। नर्स बहिन जी ने रजनी बहिन जी को एक हफ्ते आराम करने की सलाह दी है।

बच्चे चिंतित हैं कि अब हमें पढ़ायेगा कौन?

मीना के पिताजी तरकीब सुझाते हैं...कि हम इन बच्चों को पढ़ायेंगे।

पोंगा चाचा- .....लेकिन हम इन बच्चों को कैसे?

मीना के पिताजी- हम लोग प्रबन्ध समिति के सदस्यों से इस बारे में बात करेंगे और अनुमति लेंगे।  ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ के तहत बच्चों के माँ बाप को स्कूल की गतिविधियों में भाग लेने का पूरा अधिकार है।

स्कूल प्रबंधक समिति सबसे पहले बाहर से स्कूल में टीचर बुलाने का प्रयास करेगी..और जब तक नए टीचर का प्रबन्ध नहीं हो जाता तब तक गाँव के पढ़े-लिखे लोंगों को स्कूल में आकर पढ़ने का पूरा अधिकार है।

पोंगा चाचा-  मैं भी प्रबंधक कमेटी से अनुरोध करूँगा कि वो मुझे पढ़ाने की अनुमति दें। ..और हम मिलकर खेलें –लाल रेल नीली रेल।

..और प्रबन्ध कमेटी ने उन दोनों लोगों को पढ़ने की अनुमति दे दी।
और उन्होंने नाटक की तैयारी भी करायी।



आज का गीत-
हाल चाल हाँ जी हाल चाल
मेरा हल चाल मेरा हाल चाल
मैं चली मस्ती में आके
बस्ता उठाके..............
(पूरे गाने के लिए कृपया पिछले एपिसोड का सन्दर्भ लें। )


आज का खेल- ‘दिमाग लगाओ शब्द बनाओ’

शब्द-‘कमल’


क- कान (एक कान से सुनना दुसरे से निकल देना)
म- महल (हवा में महल बनाना)
ल- लड्डू (मन में लड्डू फूटना)


मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है। यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिक से अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में साथ है और इसके पीछे इनको लिपिबद्ध करने में लगा हुआ है। आशा है आप सभी को यह प्रयास पसंद आयेगा। फ़ेसबुक पर भी आप मीना की दुनिया को Follow कर सकते हैं।  

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