शिक्षक सब समस्यायों की जड़ नहीं वरन समस्यायों से घिरा हुआ है।  फिर भी कई समस्यायों के हल शिक्षक के पास ही हैं।  शिक्षक अपनी भूमिका को अच्छी तरह निभा पाए, इसके लिए यह आवश्यक है कि हम सभी की भूमिका मे भी सार्थक बदलाव हो। 

आम धारणा और समाज की धारणा शिक्षक के पक्ष मे नहीं है, फिर भी जब शिक्षक अपनी कठिनाइयाँ बताते हैं तो यह एहसास होता है, कि वो काम तो करना चाहते ही हैं। शिक्षको की कठिनाइयाँ यदि दूर हो सके तो कितना ही अच्छा? बावजूद शिक्षक चाहें तो इन समस्याओं से परे भी खुला आसमान है।


लाख समस्याओं के बीच व्यवस्था के लिए ज़िम्मेवार व्यवस्थापकों को कुछ ना कुछ ऐसा करना होगा कि शिक्षक स्कूल में अपनी रचनात्मकता को दिखाने का मौका भी पाता रह सके? इन सब से परे फिर भी हमारी स्कूली व्यवस्था मे ऐसा कुछ ज़रूर होना चाहिए जिससे शिक्षक सफलता का लगातार एहसास करते रहें।  


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