प्राइमरी का मास्टर डॉट कॉम के फैलाव के साथ कई ऐसे साथी इस कड़ी में जुड़े जो विचारवान भी हैं और लगातार कई दुश्वारियों के बावजूद बेहतर विद्यालय कैसे चलें, इस पर लगातार कोशिश विचार के स्तर पर भी और वास्तविक धरातल पर भी करते  है। चिंतन मनन करने वाले ऐसे शिक्षक साथियों की कड़ी में आज आप सबको अवगत कराया जा रहा है जनपद शाहजहाँपुर के साथी  श्री अभिषेक दीक्षित जी से!  स्वभाव से सौम्य, अपनी बात कहने में सु-स्पष्ट और मेहनत करने में सबसे आगे ऐसे विचार धनी शिक्षक  श्री अभिषेक दीक्षित जी  का 'आपकी बात' में स्वागत है।

इस आलेख में उन्होने बच्चों के दूध दिये जाने पर आपत्ति केवल व्यवस्था के आधार पर नहीं उठाई है, बल्कि उनकी आपत्ति का आधार केवल बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर है।  हो सकता है कि आप उनकी बातों से शत प्रतिशत सहमत ना हो फिर भी विचार विमर्श  की यह कड़ी कुछ ना कुछ सकारात्मक प्रतिफल तो देगी ही, इस आशा के साथ आपके समक्ष  श्री अभिषेक दीक्षित जी  का आलेख प्रस्तुत है।






बच्चों की सेहत और दूध के वितरण को लेकर  प्राथमिक शिक्षक की मुख्यमंत्री महोदय के नाम पाती 


आदरणीय मुख्यमंत्री जी ,
उ०प्र० ,

महोदय,

विनम्र निवेदन है कि अभी शासन की मंशानुरूप समस्त परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को दूध वितरित करने का आदेश जारी किया गया है। जो प्रथम दृष्टया बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण के लिए काफी महत्वपूर्ण जान पड़ा। परंतु जब धरातल पर इसे उतारने को सोचा तो लगा कि यह योजना तो स्वास्थ्य से खिलवाड़ साबित हो सकती है।

हम सभी शिक्षक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों और अपने बच्चों को एकसमान ही प्यार व दुलार करते हैं। बात महज बजट की ही नहीं है। आज जब नकली दूध की खबरें देखी तो लगा कि इतनी ज्यादा मात्रा में क्या हमें वाकई शुद्ध दूध उपलब्ध हो सकेगा जबकि अब तो ग्रामीण क्षेत्रों में भी पहले ही दूध के उत्पादन में मांग को देखते हुए काफी कमीं है। शहरी क्षेत्रों में भी अक्सर मिलावट या नकली दूध होने की शिकायतें भी बहुतायत में हैं।

अब तो बरेली, शाहजहाँपुर, मुरादाबाद समेत कई जनपदों में पराग जैसी ब्रांडेड कंपनी का दूध भी उपयुक्त नहीं पाया गया। लगभग दस दुग्ध उत्पादन कंपनियों पर रोक की खबर ने भी नौनिहालों के स्वास्थ्य की चिंता पैदा करने का कार्य किया।

महोदय बच्चे हमारे हैं तो उनके स्वास्थ्य को लेकर हम गंभीर है अतः दूध की उपलब्धता में वास्तविकता में कमीं को देखते हुए व नकली अथवा मिलावटी दूध की संभावना के चलते हम इस पक्ष में बिल्कुल नहीं हैं कि यह योजना क्रियान्वित की जाए। 

अत: श्रीमान जी से विनम्र निवेदन है कि इस व्यवस्था को वापस करके बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण को ध्यान में रखकर उचित निर्णय किया जाए। आपसे आशा है कि आप बच्चों के विद्यालयी माता-पिता (शिक्षक) की इस चिंता पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेंगे।

सादर !
आपका
एक प्राथमिक शिक्षक

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