• विज्ञान की समझ
हमारे परिवेश में चल रही समस्त प्रक्रियाओं में विज्ञान सहज रूप से रचा-बसा है। हवा का चलना, वर्षा का होना, सर्दी में समान्यतः घरों में छिपकली का दिखाई न पड़ना, भूख लगना, साँस लेना, तीव्र गति से चलने के उपरान्त साँस फूलना, दही का बनना, दूध का खराब होना आदि प्रक्रियाओं के पीछे एक वैज्ञानिक सिद्धान्त है।

सामान्यतः परिवेश में घट रही प्रक्रियाओं को हम उसी प्रकार से ग्रहण करते हैं, यह मानते हुए कि ये ऐसे ही हो रही हैं। ’इन प्रक्रियाओं की पीछे क्या कारण है?’ या ’यह ऐसा ही क्यों हो रहा है?’ इस सम्बन्ध में हम कदाचित ही सोचते हैं। विज्ञान शिक्षक की महत्ता इस बिन्दु से ही स्थापित हो जाती है।



बच्चों में वैज्ञानिक सोच का विकास करने, उनमें खोजी प्रवृत्ति का विकास करने तथा प्रक्रियाओं की सत्यता को जानने व समझने के प्रति जिज्ञासु बनाने के लिए शिक्षक को विद्यालयीय परिवेश एवं कक्षा-कक्ष में उपयुक्त वातावरण बनाने की आवश्यकता है। बच्चों की विषय वस्तु पर समझ एवं प्रक्रियाओं को लेकर उनके सामने ऐसी चुनौतियाँ रखें, ऐसे प्रश्न रखें कि बच्चे सहज ही उत्सुक होकर उनके उत्तर ढूँढने / खोजने के लिए तत्पर हो जाए।


न्यूटन का अपने आप से यह प्रश्न करना कि-’सेब पेड़ से नीचे ही क्यों गिरा? ऊपर क्यों नहीं गया? समस्त वस्तुएँ जब ऊपर फेंकते हैं तो नीचे ही क्यों आती हैं?’ इसी खोजी प्रवृत्ति का ही परिणाम था जिसकी बदौलत उन्होंने गति के 3 नियमों का प्रतिपादन किया। ऐसे प्रश्नों ने ही उनमें प्रक्रिया के पीछे सैद्धान्तिक तथ्यों को ढूँढने एवं उनके सामान्यीकरण करने कीे सोच व क्षमता पैदा की।




बच्चों में वैज्ञानिक प्रवृत्ति के विकास हेतु विद्यालयीय परिवेश में प्रत्येक जगहों पर चुनौतियाँ देते रहना चाहिए, यथा-
  • प्रार्थना स्थल पर खड़े होते समय पक्तियाँ प्रायः सीधी नहीं बना पाते हैं, क्यों?
  • पंक्तियों में खड़े होते समय क्या करें कि पंक्ति सीधी बने?
  • जब कक्षा-कक्ष खाली रहती है तो हमारी आवाज अलग सी क्यों लगती है?
  • नये घड़े में रखा पानी, पुराने घड़े में रखे पानी की अपेक्षा अधिक ठंडा होता है, क्यों ?

ऐसे प्रश्नों के माध्यम से बच्चों के समक्ष सहजता से चुनौतियाँ रख सकते हैं। बच्चों से शीघ्र उत्तर की अपेक्षा न रखें और न ही आप उनकोे उत्तर दें। बच्चों को स्वयं उत्तर ढूँढने का पर्याप्त अवसर दें तथा जहां तक संभव है, इस प्रक्रिया में उनकी मदद करें। उन्हें कुछ प्रयोग, अवलोकन, भ्रमण, प्रोजेक्ट, संग्रह करने के लिए कह सकते हैं तथा संबंधित संदर्भ साहित्य / पुस्तक पढ़ने के लिए दे सकते हैं।

इसी प्रकार यदि बच्चों द्वारा कोई प्रश्न किया जाता है तो उसका स्वागत करते हुए प्रोत्साहन करें। अच्छा यह होगा कि आप बच्चे के साथ मिलकर उन्हें प्रश्नों का उत्तर ढूँढने में मदद करें।

( क्रमशः ......) 

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