• कहानी के द्वारा विज्ञान
एक अच्छी कहानी मनोरंजन के साथ-साथ बच्चों की कल्पनाशक्ति और खोजी वृत्ति को विकसित करने का मजबूत आधार पेश कर सकती है। यह लेख कहानियों को विज्ञान पढ़ाने के औजार के रूप में प्रयोग करने की सम्भावना को खोजता है।

कहानी द्वारा विज्ञान शिक्षण की संभावना के संबंध में वैज्ञानिक Klassen का  कहना था कि  -
“Science stories differ from stories in the humanities in at least two critical aspects, namely, the purpose of the story and the role of the reader or listener. The central purpose of the science story is, after all, to improve the teaching and learning of science, not to just entertain or to communicate a message as is the case for a story in the humanities.” ~ Klassen
Courtesy : Klassen, S. (2009). @ The construction and analysis of a science story: A proposed methodology. Science & Education


उद्देश्य:
  • खेल और रचनात्मक तरीका अपनाते हुए छायाओं और सब्जियों के विषय की प्रस्तुति।
  • क्रियात्मक गतिविधियों के माध्यम से उपर्युक्त विषय को जानना।
  • बच्चे की कल्पना-शक्ति का विकास करना।
  • उस विज्ञान को समझना जो उल्लिखित विषय में निहित है।

चरण:
शुरु करने के लिए यहाँ एक कहानी प्रस्तुत है। आप यहाँ दिए गए चित्रों का प्रयोग करते हुए कक्षा में इसे सुना सकते हैं। यह कहानी छायाओं पर केन्द्रित पाठ के लिए एक अच्छी शुरुआत बन सकती है।


खोज की दृष्टि से छायाएँ बच्चों के लिए रोचक विषय हैं। छायाएँ कैसे और क्यों बनती हैं? क्या छायाओं का आकार और आकृति कभी बदलती है? और सब्जियाँ कहाँ से आती हैं? हमारे दैनिक आहार को पौष्टिक बनाने में वे कैसे हमारी मददगार सिद्ध होती हैं? इस लेख में व्यक्त तरकीबों, गतिविधियों और कहानियों के प्रयोग द्वारा आप इन प्रश्नों के उत्तर तलाशने में बच्चों की मदद कर सकते हैं।





गधे की छाया

तेज गर्मी का दिन था। गधे को पिछले सप्ताह से बिल्कुल भी आराम नहीं मिला था। उसका मालिक बहुत दुष्ट था। वह गधे को बहुत कम खाना-पीना देता था, लेकिन पीटता खूब था और पूरे दिन उससे खूब काम लेता था। गधे का काम यात्रियों और उनके सामान को ऊबड़-खाबड़ सड़क पार करके अगले गाँव तक ले जाना था। एक दिन गधे पर एक मोटा यात्री और उसके दो भारी-भरकम थैले लदे थे।

दोपहर के समय, गधे के मालिक को थकान महसूस हुई और वह कुछ आराम पाने के लिए रुक गया। क्योंकि आसपास कोई छाया नहीं थी, इसलिए मालिक गधे की छाया में बैठ गया। यात्री भी उसकी छाया में बैठना चाहता था। लेकिन गधे का मालिक यात्री से बोला,“गधा मेरा है, इसलिए इसकी छाया भी मेरी है। तुमने अगले शहर तक जाने के लिए केवल गधे को किराए पर लिया है।

नाराज यात्री ने कहा,“मैंने गधे की सेवाओं की कीमत दी है। इसलिए इसकी छाया को इससे अलग नहीं कर सकते। मुझे इसकी छाया को इस्तेमाल करने का भी अधिकार है।” वे दोनों जब उसकी छाया के लिए लड़ रहे थे, गधा मोटे यात्री और दुष्ट मालिक को छोड़कर दूर भाग गया।


इस कहानी से आपको बच्चों से छाया पर बात करने के लिए एक सन्दर्भ मिल जाता है। छाया क्या होती है?  छाया कैसे बनती है? छाया किस प्रकार बड़ी और छोटी होती है? आदि आदि

छोटे बच्चों के लिए यह सवाल उलझन भरा हो सकता है। ऐसे मामले में, आप बच्चों से पूछ सकते हैं कि क्या वे कक्षा के अँधेरे कमरे में अपनी छाया देख सकते है? फिर आप उन्हें कक्षा से बाहर सूरज की रोशनी में खड़ा कीजिए। क्या वे अब अपनी छाया देख सकते हैं?

छाया बनाने के लिए हमें किस-किस चीज की आवश्यकता होती है? हमें चाहिए एक वस्तु और धूप, चाँदनी या उजाले का कोई दूसरा स्रोत। जब कोई वस्तु प्रकाश के रास्ते में आकर रुकावट डालती है तो जितने हिस्से का प्रकाश बाधित होता है, उतने हिस्से में छाया बनती है। क्या छायाएँ पूरे दिन एक ही जगह या दिशा में बनी रहती हैं? शुरू-शुरू में बच्चों को अनुमान लगाने को कहें। उसके बाद, अलग-अलग समय पर उन्हें किसी खुली जगह में धूप में खड़े होने को कहें। उन्हें एक चार्ट दें और उस पर उनकी छाया का आकार और आकृति बनाने को कहें।

बच्चों के लिए एक रोचक गतिविधि यह खोजना भी हो सकता है कि दिन में अलग-अलग समय पर छायाएँ विभिन्न आकार की क्यों होती हैं? बच्चों को यह बताना न भूलें कि उनकी यह गतिविधि दो बातों से प्रभावित होगी, दिन का वह समय और मौसम।

सूर्य जब नीचे (सुबह के समय) होता है तो छायाएँ लम्बी होती हैं, वह जब ऊपर सिर पर (जैसे दोपहर के समय) होता है तो छोटी होती हैं। छायाएँ गर्मियों की तुलना में जाड़े के मौसम में भी अधिक लम्बी होती हैं। और क्या दिन के समय-विशेष या प्रकाश के स्रोत की स्थिति से यह तय होता है कि किसी वस्तु की छाया किधर गिरेगी? यहाँ एक अधूरा रेखाचित्र दिया गया है। बच्चों से बनने वाली छाया को चित्रित करने को कहें।

आप बच्चों से छायाओं पर एक छोटी टिप्पणी लिखवाकर पाठ को समाप्त कर सकते हैं। ‘मेरी मनपसन्द छाया’ शीर्षक पर एक छोटी कहानी या कविता भी लिखवाई जा सकती है। छायाओं पर लिखवाने की इस गतिविधि में बच्चों की सहायता के तौर पर छायाओं से सम्बन्धित कुछ आवश्यक शब्दों की एक सूची उपलब्ध कराएँ। जैसे सूरज, दिन, प्रकाश, लैम्प, दोपहर, चमकीला, कठपुतली, अँधेरा, चूहे आदि। बच्चों द्वारा दीवार पर हाथ की अंगुलियों से छाया चित्र बनाने की गतिविधि भी बच्चों को पसन्द आएगी।

( संवाद से साभार)

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