एपिसोड-19
दिनांक-15/10/2015

आज की कहानी का शीर्षक- “स्कूल हो तो ऐस

   मीना स्कूल के स्टाफ रुम में है टीचर जी के साथ| टीचर जी हैं मीना के स्कूल की नई अध्यापिका| मीना, टीचर जी को स्कूल के सब बच्चों को कॉपियां दिखा रही है| टीचर जी चिंटू की कॉपी चेक करते हुए उसके बारे में पूंछती हैं, ‘...ये चिंटू हमेशा ही ऐसे चुपचाप रहता है| मीना बताती है, ‘चिंटू पहले ऐसा नहीं था| पहले वह सबसे खूब हँस कर बोलता था, साथ में खेलता था लेकिन अब तो बिलकुल चुप रहता है| न ही किसी से बात करता है न ही किसी के साथ खेलता है| बल्कि पिछले कुछ महीनों से स्कूल कभी-कभी ही आता है|

    टीचर जी उसकी कॉपी देख के बताती हैं, ‘..लगभग तीन महीने पहले उसके किये काम में एक भी गलती नहीं है बल्कि हर पन्ने पर तुम्हारी बहिनजी ने बहुत अच्छे, शाबाश जैसे शब्द लिखे हैं|..मीना क्या पिछले तीन महीनों में चिंटू को कोई बीमारी या उसके घर में कोई समस्या वगैरह तो नहीं?’



    मीना आशंका व्यक्त करती है कि शायद राघव सर की वजह से...वो बहुत गुस्से वाले थे, बात-बात पर बच्चों को डांट देते थे....राघव सर ने चिंटू को दो-तीन बार सजा भी दी थी| शायद इसी वजह से वह इतना चुप रहने लगा है|

टीचर जी-क्या चिंटू के दोस्तों ने कभी इसकी वजह जानने की कोशिश नही की|...मीना ,चिंटू को सबसे अच्छा क्या लगता है?

मीना- कहानियां सुनना|

     और अगले दिन आधी छुट्टी के बाद......
टीचरजी “स्कूल हो तो ऐसा” नामक कहानी सुनाती हैं- “बहुत साल पहले एक छोटा सा राजकुमार था| उस राजकुमार का नाम था सूरज| सूरज को स्कूल जाना बहुत अच्छा लगता था| वह रोज स्कूल जाता था| वहीँ जाके पढ़ता था, लिखता था, अपने दोस्तों के साथ खेलता था, सबसे खूब बातें करता था|

लेकिन एक दिन सूरज के स्कूल में एक नया टीचर आया....टीचर का नाम था कड़कलाल| कड़कलाल बहुत गुस्से वाला आदमी था| सबको डांटता रहता था, कभी किसी को हाथ ऊपर कर खड़ा कर देता था तो कभी किसी को मुर्गा बनने को कहता|...एक दिन कड़कलाल ने एक छोटी सी बात के लिए सूरज को भी सजा दे दी|”

मीना- मुझे लगता है कि स्कूल की प्रिंसिपल साहिबा ने कड़कलाल को स्कूल से निकाल दिया होगा|
टीचर जी- बिलकुल ठीक सोचा मीना ने, सूरज और उसके दोस्तों ने कड़कलाल की शिकायत की और कड़कलाल वहां से चला गया|

.....अभी कहानी ख़त्म नहीं हुयी|
चिंटू बोल पड़ता है, ‘मैं बताऊँ टीचर जी....राजककुमार सूरज ने पढ़ना-लिखना, स्कूल जाना सब छोड़ दिया होगा|’

टीचर जी- हाँ बिल्कुल ऐसा ही हुआ|

टीचर जी कहानी आगे बढाती हैं, “ कड़कलाल के बुरे व्यवहार के कारण सूरज को इतना बुरा लगा-इतना बुरा लगा कि उसे स्कूल के नाम से नफरत हो गयी| सूरज उस दिन के बाद कभी स्कूल नहीं गया| यही नहीं अब तो सूरज न अपने किसी दोस्त के साथ बात करता न ही खेलता|

....समय बीतता गया सूरज अब राजा बन चुका था| वो अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ महल में रहता था| एक दिन उसकी पत्नी ने उससे कहा, ‘महराज बच्चे बड़े हो गए हैं, हमें स्कूल में इनका दाखिला करा देना चाहिए| सूरज बोला, ‘नहीं महारानी, अगर हमारे बच्चे स्कूल में गए तो तो ये मेरी तरह उदास और दुखी हो जायेंगे।

महरानी बहुत समझदार थी उसने सूरज से कहा, ‘महाराज आप तो इस राज्य के राजा हैं, आप एक ऐसा स्कूल खुलवाएं जिसके ऐसे नियम हों जिसमे सभी बच्चे उस स्कूल में आराम से खुशी-खुशी पढ़ सकें, हमारे बच्चे भी|’

     टीचर जी प्रश्न करतीं हैं, ‘बच्चों क्या तुम बता सकते हो कि महराज ने अपने स्कूल में क्या-क्या नियम लागू किये होंगे? ताकि सभी बच्चे स्कूल में मजे से पढ़-लिख सकें,सोचो-सोचो|’

चिंटू पूँछता है, ‘..ये भला हम लोग कैसे बता सकते हैं?’
टीचर जी- बड़ी सरल सी बात है चिंटू, बच्चों राजा सूरज ने वही नियम लागू किये जो तुम लोग स्कूल में चाहते हो|
अब बताओ तुम लोग अपने स्कूल को कैसा देखना चाहते हो?

दीपू कहता है, ‘मैं चाहता हूँ कि हमारे स्कूल में हर टीचर बच्चों से प्यार से बात करे और हमें नए-नए मजेदार तरीके से पाठ पढाये|’

चिंटू- टीचर जी, मैं चाहता हूँ कि किसी भी स्कूल में कोई भी टीचर न ही बच्चों को डांटे न ही सजा दे|
मीना- मैं चाहती हूँ टीचर जी, सभी टीचर विद्यार्थियों से एक सा व्यवहार करे, जाति और धर्म का भेद किये बिना|

कृष्णा- टीचर जी, मैं चाहता हूँ कि कोई भी टीचर और विद्यार्थी कभी भी किसी विकलांग बच्चे का मजाक ना उडाये|

रानो- टीचर जी मैं चाहती हूँ कि हर एक स्कूल में सभी टीचर रोज़ स्कूल आया करें| जिस दिन टीचर स्कूल नहीं आते उस दिन पढाई का बहुत नुकसान होता है|
    टीचर जी कहानी को आगे बढाती हैं, ‘महाराज सूरज ने भी अपने स्कूल में और अपने राज्य के सभी स्कूलों में यही नियम लागू किये|’

मीना- टीचर जी ये सब नियम तो हमारे स्कूल में भी हैं|
टीचर जी- हाँ मीना...तभी तो हमारा स्कूल है बच्चों के अनुकूल|



मीना- टीचर जी कहानी में आगे क्या हुआ?
टीचर जी- महराज सूरज के राज्य के हर स्कूल ने नियमों का पालन किया| अब हर एक स्कूल के सभी बच्चे बहुत खुश थे| ये देख के महाराज सूरज बहुत खुश  हुए और अपनी पत्नी से बोले, ‘महरानी, आज से सभी बीती बातें गया हूँ भूल,इसलिए मैं भी बच्चों के साथ कल से जाऊँगा स्कूल|’

टीचर जी – चिंटू कैसी लगी कहानी?
चिंटू- टीचर जे आपकी कहानी सुन के मुझे एक बहुर बड़ी सीख मिली, मैं एक व्यक्ति के बुरे व्यवहार के कारण स्कूल से नफरत करने लगा था लेकिन आपकी कहानी सुनके मैंने एक फैसला किया है-मैं फिर से मन लगकर पढाई करूंगा| ताकि मैं बड़ा होके एक टीचर बन सकूँ और हर विद्यार्थी से ऐसा व्यवहार करूँगा कि वह स्कूल से बहुत प्यार करे|


आज का गीत-
          टन-टन-टन सुनो घंटी बजी स्कूल की
          चलो स्कूल तुमको पुकारे|
          पल-पल-पल रोशनी जो मिली स्कूल की
          जगमगाओगे तुम बनके तारे टन-टन-टन..............
              कॉपी और किताबें सारी स्कूल देगा-स्कूल देगा
          यूनिफार्म भी तुम्हारी स्कूल देगा-स्कूल देगा
          स्कूल अब घर से दूर नहीं है कम हो गए फासले
          पहुंचोगे स्कूल के गेट पर थोडा सा भी जो चले
          प्यार और नरमी से तुमको पढ़ायेंगे टीचर हैं ऐसे भले टन-टन-टन.......................|
                   टन-टन-टन- ‘शिक्षा मेरा अधिकार है’।


आज का खेल- ‘नाम अनेक अक्षर एकअक्षर-‘'
• व्यक्ति- (डॉ) भीमराव अम्बेडकर
• जानवर- भालू 
• वस्तु-   भूसा
• जगह-   भीलवाड़ा


आज की कहानी का सन्देश-
“हर टीचर विद्यार्थियों से करे मधुर व्यवहार
ताकि हर के बच्चे को हो अपने स्कूल से प्यार|”

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