मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
एपिसोड-31
कहानी का शीर्षक- “ सही निर्णय ”
मीना सुनील को क्रिकेट का
अभ्यास करा रही है क्योंकि अगले दिन स्कूल में क्रिकेट टीम का चयन होने वाला है|
सुनील-
मीना.....दीपू को तो जरूर टीम में लिया जायेगा...वो खेलता जो इतना बढ़िया है|
मीना-
ठीक कह रहे हो सुनील... सचमुच दीपू बहुत बढ़िया खेलता है| लेकिन इस समय तुम्हें सिर्फ अपनी तैयारी पर ध्यान देना चाहिए|
सुनील-
हाँ मीना, तुम ठीक कह रही हो|
मीना-
चलो...मैं फिर से गेंदबाजी करती हूँ| तैयार........|
सुनील-तुम
बस गेंद डालो मीना, देखना...इस बार में छक्का मारूंगा|
मीना-
ये हुयी न बात....तो अब ये लो.....|
सुनील ने इतना ऊँचा शॉट लगाया कि गेंद
तालाब में जा गिरी|
सुनील- अब
क्या करें मीना?
इतने में दीपू वहां आया...
मीना-
दीपू, देखो न हमारी गेंद तालाब में गिर गई|
दीपू-
बस इतनी सी बात| मैं अभी गेंद तालाब
से निकाल देता हूँ|
.....और दीपू गेंद निकाल लाता है|
दीपू-
ये लो तुम्हारी गेंद|
मीना- दीपू,
तुम्हें तैरना किसने सिखाया?
दीपू
बताता है कि उसकी बुआ के लड़के, राहुल भईया ने| जो बड़े-बड़े तालाबों में तैर लेते हैं|
“....पता
है मीना मैं भी बड़े तालाब में तैरना चाहता हूँ| लेकिन......|” दीपू कहते-कहते रुक गया|
“लेकिन
क्या दीपू?” मीना ने प्रश्न दागा|
दीपू-
वहां कुछ बड़ी उम्र के लड़के तैरते हैं|....वो मुझे वहाँ तैरने नहीं देते| कहते हैं....अभी तुम छोटे हो|
सुनील-
तुम उदास मत हो दीपू...मैं उनसे बात करता हूँ|
दीपू, सुनील और मीना के साथ गाँव के बड़े
तालाब के पास गया| वहां
पहुँचकर.....
दीपू-
सुनील, मीना यही हैं वो लडके|
सुनील-...ये
हमारा दोस्त है दीपू|’’
“ये
तालाब में तैरना चाहता है|” मीना ने आगे जोड़ा|
लड़का-
नहीं..नहीं, ये अभी बहुत छोटा है|
सुनील-
लेकिन भईया, दीपू को अच्छे तरह तैरना आता है|
मीना ने
भी हाँ में हाँ मिलाई|
लड़का-ठीक
है...ठीक है| लेकिन तुम यहाँ एक ही
शर्त पर तैर सकते हो|
“ मैं
ये सिक्का पानी में फैंकूँगा, अगर तुम इसे खोज कर ला ला दोगे तो...आज तुम यहाँ तैर
सकते हो|” लड़के ने अपनी शर्त रखी|
...सिक्का
पानी मैं फेंका जाता है| सब आशंकित
हैं कि दीपू सिक्का निकाल पायेगा या नहीं... दीपू सिक्का निकाल लाता है|
लड़का-
बहुत खुश न हो दीपू, ये काम तो कोई नौसिखिया भी कर लेगा| कल मैं और मेरे दोस्त झरने के नीचे वाली नदी में तैरने जा रहे हैं| अगर है हिम्मत तो चलो हमारे साथ| अगर तुम वहाँ तैर सके तो तुम कभी भी यहाँ पर
तैर सकते हो...तुम्हें कोई नहीं रोकेगा|
याद
रखना कल सुबह आठ बजे|
दीपू सोच में पढ़ जाता है कि कल वह उन
लड़कों के साथ जाए कि नहीं| क्योंकि
नदी तो बड़ी गहरी है...साथ ही बहाव भी बहुत तेज़ होगा|
दीपू-.....
लेकिन अगर मैं वहां तैर सका तो मुझे बड़े तालाब में तैरने से कोई नहीं रोकेगा| मैं तो कल सुबह ठीक आठ बजे नदी पर पहुँच जाउँगा|
मीना-लेकिन
दीपू, कल तो स्कूल में क्रिकेट टीम चुनी जायेगी|
सुनील-अरे
हाँ! “अब तुम क्या करोगे?” मीना ने पूँछा|
दीपू-
सोचना पड़ेगा|
और अगली सुबह स्कूल में.........
सुनील-
मीना, दीपू अभी तक नहीं आया| मुझे
लगता है वो नदी पर गया होगा|
मीना-
हम्म...शायद तुम ठीक कह रहे हो| सुनील..मुझे तो दीपू की चिंता हो रही है|
तभी गोलू भागता हुआ आता है|
“मीना,सुनील....|” ,गोलू हांफते हुए बोला, “मीना....वो झरने के नीचे वाली नदी पे कुछ लड़के वहां
तैरने गए थे लेकिन.....|”
“लेकिन
क्या गोलू?” मीना ने घबराकर पूँछा|
गोलू-
पानी का बहाव तेज़ होने के कारण वो सब बह गए|.....वो तो बचाव दल की एक टोली वहां से गुजर रही थी और उन लड़कों को डूबने से
बचा लिया|
मीना-...सुनील जल्दी से बहिन जी के पास चलो| अरे!
दीपू भी तो वहां गया हुआ
है|
तभी दीपू वहां पहुंचता है|
मीना- दीपू
हमें लगा कि तुम भी........
दीपू-...कि
मैं भी वहां गया हूँ| मीना, सुनील कल रात को मैंने बहुत सोचा कि सुबह उठकर
स्कूल जाऊं या नदी पर| ....फिर
मैंने दोनों बातों के हर पहलु को गौर से सोचा, कहाँ जाने के क्या-क्या फायदे हैं?
क्या नुकसान है? सब| अगर मैं नदी पर
जाता तो दो बातें होती, एक तो मैं किसी खतरे मैं पढ़ जाता..दूसरा मैं स्कूल की
क्रिकेट टीम का हिस्सा ण बन पाता|
“लेकिन
दीपू अब तो वो लड़के बड़े तालाब में तैरने नहीं देंगे|” सुनील ने टोका|
दीपू-
ये बात भी मेरे दिमाग में आयी थी सुनील| लेकिन फिर मैंने सोचा बड़े तालाब में न सही, छोटे तालाब में तो तैर ही सकता
हूँ| बस यही सब सोचकर मैंने स्कूल
आने का फैसला किया|
मीना-
हूँ...तुमने बिलकुल ठीक किया दीपू| पिताजी
कहते हैं ....सोच समझ के फैसला करने वाला इंसान ही समझदार होता है|....देखा दीपू, सोच समझ के लिए गए फैसले ने
तुम्हारी जाँ बचा ली|
“ जाँ
बचाई है, सही फैसला लेने में ही भलाई है|” मिठ्ठू चहका|
........और
फिर शुरु हुआ क्रिकेट टीम का चयन|...दीपू और मीना के साथ-साथ सुनील को भी चुन लिया गया|
मीना,मिठ्ठू की कविता-
“सोच समझ के देना हर एक फैसले को अंजाम|
क्योंकि सही फैसले से ही
मिलते हैं सही परिणाम|”
आज का गाना-
घबरा नहीं, मुश्किल से
,आगे चल
मिल जाएगा कोई
न कोई हल
बस छोटी सी एक
अर्ज है
सौ
बातों का एक अर्थ है|
तू सोचने का
तरीका बदल-२
कोई उलझन नहीं
सुलझती अपने आप
कुछ भी न होगा
बैठे जो चुपचाप
क्या दिक्कत
है दोस्तों से बोल दे
दिमाग की सभी
खिडकियाँ खोल दे
छक्के छूटे
मुश्किल से जब सोचें सारे मिलके
सुनके मन की
बातें हर किस्से सुनके दिल के
दिमाग की
बत्ती कर दे गुल
घबरा नहीं,
मुश्किल से ,आगे चल
मिल जाएगा कोई
न कोई हल
आज का खेल- ‘अक्षरों की
अन्त्याक्षरी’
शब्द- ‘खबर’
- ख- खजूर (आसमान से गिरा खजूर में अटका)
- ब- बैल (आ बैल मुझे मार)
- र- रास्ता (रास्ता देखना)
आज की कहानी का सन्देश-
किसी भी परिस्थिति में
फैसला करने से पहले उसके हर पहलु को सोचो,उससे होने वाले फायदे और नुकसान को आंको,
तब जाके फैसला करो|
मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है। यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिकसे अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में साथ है और इसके पीछे इनको लिपिबद्ध करने में लगा हुआ है। आशा है आप सभी को यह प्रयास पसंद आयेगा। फ़ेसबुक पर भी आप मीना की दुनिया को Follow कर सकते हैं।
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