मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण 
एपिसोड-36

कहानी का शीर्षक-  सोचो समझो ”

     मीना, सुनील के साथ रवि के घर जा रही है| घर पर रवी की दादी मिलती हैं|
दादी बताती है, ...रवी तो घर पे नहीं है”...अब पता हो तो बताऊँ मीना बेटी|....कुछ बताके ही नहीं जाता ये लड़का आज कल|’
“दादी जी, आपने उससे कहा नहीं कि स्कूल से छुट्टियाँ नहीं करनी चाहिए|” सुनील ने पूँछा|   
दादी-अरे, वो मेरी सुने तब न, सुबह होते ही घर से निकल जाता है और शम्म होने पर वपस्द लौटता है......पता नहीं कहाँ घूमता रहता है|
मीना-क्या चाचा जी...और चाची जी ने उसे कुछ नहीं कहा?
दादी- वो दोनों तो 10-12   दिनों के लिए शहर गए हुए हैं न| माँ-बाप घर नहीं तभी तो कोई डर नही| तुम्हें मिले तो समझाना उसे|
 “दादी जी, हमें तो खुद रवी से मिले हुए पांच दिन से उपर हो चुके हिं| तो आजकल वो स्कूल आता हैं ही हमारे साथ खेलने|” सुनील बताता है, “..दरअसल रवी ने पिछले हफ्ते मुझसे मेरी विज्ञान की कॉपी ली थी..मैं वाही लेने आया हूँ|’’
      दादी रवी के बस्ते से कॉपी लेने को कहती हैं|
बस्ते की हालत देख, मिठ्ठू चहका, “रवी का बस्ता हालत है खस्ता|”
सुनील को उसकी कॉपी मिल जाती है, जैसे ही मीना,सुनील चलने को होते हैं तो दादी उनसे पता करने को कहती हैं कि रवी आजकल जाता कहाँ है? दादी आगे कहती हैं, ‘रवी, तुम्हें आज ठीक चार बजे बस अड्डे पर मिलेगा|’
.....जोकि अपने मौसी के लड़के आशु को लेने जायेगा|
      मीना और सुनील ठीक चार बजे बस अड्डे पर पहुंचे|
रवी, मीना और सुनील को बताता है, “आजकल मैं विशाल भईया और उनके दोस्तों के साथ रहता हूँ|....अरे मीना, बड़े मजेदार हैं वो लोग| पता है हम दिनभर विशाल भईया के घर जाके टीवी देखते हैं...फिल्मी किताबें पढ़ते हैं और खूब खेलते हैं| मुझे तो उन लोगों के साथ खूब मज़ा आता है|”
..लेकिन रवी इस मज़े के कारण तुम्हारी पढाई का जो नुकसान हो रहा है वो|”, मीना ने टोका|
....नुकसान होता है रवी...अब देखो न पिछले हफ्ते बहिन जी ने विज्ञान का जो पाठ पढाया था आज हमें उसी के प्रश्न उत्तर याद करने हैं तभी तो मैं ये कॉपी.... सुनील ने कॉपी दिखाते हुए आगे जोड़ा|
      रवी ने घबराकर सुनील के हाथ से कॉपी छीनने की कोशिश की और छीना झपटी में कॉपी नीचे जा गिरी और उसमें से निकला...एक गुटखे का पैकेट|

मीना- सुनील....तुम गुटखा खाते हो|
“नहीं,...नहीं मीना, ये तो मुझे विशाल भईया ने दिया था| उन्होंने कहा था कि इसे खा के बहुत मज़ा आता है|.....लेकिन मैंने ये गुटखे का पैकेट इस कॉपी में छुपाकर रख दिया था|”, रवी ने सपकपाते हुए कहा|
मीना- रवी, गुटखा खाना बहुत बुरी आदत है|याद नहीं एक बार बहिन जी ने क्लास में बताया था कि गुटखा जहर सामान होता है|
“हुंह...मैं नहीं मानता, टीवी में नहीं देखा तुमने... कैसे लोग आन-बान और शान से गुटखा खाते हैं? रवी ने बड़े गर्व के साथ जबाब दिया|
मीना-.....पता है रवी पहलवान चाचा कहते है कि अक्सर टीवी पर विज्ञापनों की चमक-दमक में सच्चाई छुपा दी जाती है| और सच्चाई यही है कि तम्बाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहु खतरनाक होता है|’
       ...तब तक बलराम पुर की बस आ जाती हैं ..रवी चला जाता है| मीना की समझाने की सारी कोशिश बेकार जाती है|
        और फिर अगली सुबह मीना और सुनील, रवी की दादी जी से मिले और उन्हें सारी बात बताई|
दादी, रवि को सबक सिखाने को तरकीब सुझाती हैं|
सुनील- ..लेकिन दादी जी, क्या आशू माँ जायेगा?
दादी- अरे तुम आशू की चिंता मत करो, उसे मैं सब समझा दूंगी| तुम दोनों बस याद से ठीक छः बजे यहाँ पहुँच जाना|
       रवी की दादी जी ने जरुर कोई जबरदस्त तरकीब सोची होगी तभी तो मीना और सुनील खुशी-खुशी वहां से लौटे और फिर शाम को ठीक छः बजे.....
मीना- रवी....
रवी- मीना, सुनील तुम लोग यहाँ....और तुम्हारे हाथ में ये गुब्बारे कैसे?
मीना- रवी, हम आशू के साथ खेलने आये हैं...एक मजेदार खेल! हम तीनो तुम्हारी छत पर जायेंगे फिर वहां से ये गुब्बारे पकड़ के नीछे कूद जायेंगे और धीरे-धीरे उड़ते हुए जमीन पे.......|
“क्या?...दिमाग तो ठीक है तुम्हारा|” रवी बीच में ही बोल पड़ा|
“जाने दो रवी भईया, बहुत मज़ा आयेगा|” आशू ने टोका|
रवि- नहीं आशू ...ऐसा करना बहुत खतरनाक हो सकता है|
आशू- लेकिन भईया! मैंने टीवी पर कई बार देखा है कि लोग गुब्बारे पकड़ के ऊंचाई से नीचे कूद जाते हैं|
रवी- आशू अकल से काम लो, टीवी में जैसा दिखता है विअस होता नहीं|
“लेकिन रवी, कल तो तुम कह रहे थे कि टीवी में सब सही-सही दिखाया जाता है|” मीना ने जबाब माँगा|
     रवि सपकपा जाता है|
दादी उसे समझाती हैं. ...टीवी में देखी बातें या किसी भी सुनी सुनाई बात पे आँख बंद करके भरोसा करने वाले व्यक्ति को बेवकूफ कहते हैं| इंसान वही जो अपनी अकल का इस्तेमाल करे ना कि दूसरों को कुछ करता देख के वही करने लग जाए|
रवि- मुझे माफ़ कर दीजिये दादी. मैं टीवी की चमक-दमक देख के बहक गया था|लेकिन आज के बाद मैं अपना हर फैसला सोच समझ कर करूँगा|
मिठ्ठू चहका, ‘ये हुयी न बात चलो अब खेलो हमारे साथ|’ 

मीना, मिठ्ठू की कविता-
                  “सुनी सुनाई बातों पर तुम मत करना विश्वास,
                 सोच समझ कर करना फैसला और बन जाना खास|”

आज का गाना-
हो ओ ओ...
इतना मत सोचो अकल पे जोर नहीं दो ज्यादा
खुशी बांटने से बढ़ती और गम हो जाए आधा
दिल में मत रख दिल की बात बाँट ले दोस्तों के साथ
जब बैठोगे साथ में मिलके सुनोगे जब तुम सबकी बात
जब ढूंढोगे मुश्किल का हल तो फिर झट से सुलझ जायेगी|
और फिर............
बातों-बातों में बात बन जायेगी... बातों-बातों में बात बन जायेगी...
हो ओ ओ...
सुनी सुनाई बातों में तुम कभी न देना ध्यान
सोच के लेना फैसला रख खुली आँख और कान
हर एक खबर पे आँख गढ़ा के उसको समझना ठोक बजाके
तभी बनेगी सोच सही तभी करोगे निर्णय ठीक
और फिर............
बातों-बातों में बात बन जायेगी... बातों-बातों में बात बन जायेगी...
हो ओ ओ...

आज का खेल- “नाम अनेक अक्षर एक”
       अक्षर- ‘स’
Ø        व्यक्ति- सोनू निगम (भारत के एक मशहूर गायक)
Ø        वस्तु-   सुराही
Ø        जानवरसियार
Ø        जगह-   सहारनपुर
आज की कहानी का सन्देश-

         “सोच समझ कर ही लें फैसला,जीवन में आगे बढ़े तभी बढेगा हौसला|’’

मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है। यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिकसे अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में साथ है और इसके पीछे इनको लिपिबद्ध करने में लगा हुआ है। आशा है आप सभी को यह प्रयास पसंद आयेगा। फ़ेसबुक पर भी आप मीना की दुनिया को Follow कर सकते हैं।  

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