छात्र और शिक्षक अनुपात जरूरी

ढुलमुल रवैये से छात्रों में कॉर्टीसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है।

छात्रों में तनाव सिर्फ पढ़ाई या अच्छे नंबर लाने के लिए ही नहीं होता, बल्कि शिक्षकों की लापरवाही भी बड़ी वजह होती है। हाल ही में हुए एक नए शोध के मुताबिक शिक्षकों के ढुलमुल रवैये से न सिर्फ कक्षा का माहौल खराब होता है, बल्कि छात्रों को भी तनाव में डालता है। इसका असर परीक्षा के नंबर पर भी होता है।यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया द्वारा किया गया यह अध्ययन जर्नल सोशल साइंस एंड मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में सामने आया कि शिक्षकों की लापरवाही की वजह से छात्रों में कॉर्टीसोल हार्मोन का अनुपात बढ़ जाता है जिससे वे तनावग्रस्त हो जाते हैं। 

शोधकर्ता इवा ओबेरले ने छात्र-शिक्षक अनुपात पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि कई बार शिक्षक कक्षा में छात्रों की बड़ी संख्या होने के कारण सभी पर एक समान ध्यान नहीं दे पाते इससे भी छात्रों को परेशानी होती है और वो तनावग्रस्त होते हैं। ज्यादा छात्रों के कारण काबिल शिक्षक भी विषय को सही से समझा नहीं पाते हैं। हमें इसमें सुधार करने की जरूरत है। 

17 प्राथमिक स्कूलों पर हुआ शोध: शोधकर्ताओं ने 17 प्राथमिक स्कूलों में चौथी से सातवीं कक्षा को पढ़ाने वाले अध्यापकों के कक्षा में रवैये का अध्ययन किया। साथ ही इन कक्षाओं में पढ़ने वाले 400 छात्रों में तनाव के स्तर की जांच की गई। इस प्रक्रिया को एक दिन में तीन बार दोहराया गया। सामने आया कि जिन कक्षाओं में अध्यापकों द्वारा सही से नहीं पढ़ाया गया वहां छात्र ज्यादा तनावग्रस्त थे। सुबह की कक्षाओं में छात्रों में तनाव का स्तर ज्यादा पाया गया। शोधकर्ता इवा ओबेरले ने कहा कि कक्षा में शिक्षकों की पढ़ाने में लापरवाही का छात्रों में तनाव से सीधा संबंध है। शोधकर्ता इवा ओबेरले ने कहा कि पहली बार इस तरह का कोई सर्वे किया गया है जिसमें शिक्षकों और छात्रों के बीच तनाव के संबंध का पता लगाया गया है।

शोधकर्ता
इवा ओबेरले
चित्र : साभार गूगल

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