केस स्टडी के लिए विषयवस्तु के चयन का मानदण्ड

कक्षा शिक्षण की परिस्थितयों की विषयवस्तु का चयन अधिक सावधानी से करने की आवश्यकता होती है क्योंकि विषयवस्तु की प्रकृति उसकी व्यवस्था पर आश्रित होती है। विषयवस्तु के चयन में निम्नलिखित मानदण्ड़ों को ध्यान में रखना चाहिए।
  •  विषयवस्तु महत्वपूर्ण तथा सार्थक होनी चाहिए।
  •  अधिकतर ऐसी विषयवस्तु का चयन करना चाहिए जिससे छात्रों का प्रत्यक्ष संबंध हो।
  •  विषयवस्तु का चयन छात्रों के आयुवर्ग के अनुसार होना चाहिए।
  •  विषय की प्रकृति इसप्रकार की हो कि छात्र मौलिक तथा सृजनात्मक चिन्तन कर सके।
  •  विषयवस्तु का स्वरूप इस प्रकार का हो कि जिस पर वाद-विवाद किया जा सके।
  •  विषयवस्तु का स्वरूप स्पष्ट तथा बोधगम्य होना चाहिए।




केस स्टडी के सोपान
किसी भी केस के संबंध में अध्ययन प्रारम्भ करने से पूर्व उस केस के सब पहलुओं की सूची बना लेनी चाहिए अर्थात् मुख्य -मुख्य क्षेत्र निर्धारित कर लेने चाहिए। फिर प्रत्येक क्षेत्र या पहलू से संबंधित समग्र जानकारी प्राप्त करने हेतु केस की विशेषता को ध्यान में रखकर पद्धतियों और उपकरणों का चयन करना चाहिए।


प्रत्येक केस स्वयं में अद्वितीय होता है इसलिए कोई एक रूपरेखा सब केसों के लिए नहीं बताई जा सकती। कोई भी दो व्यक्ति एक से नहीं होते। प्रत्येक व्यक्ति का अद्वितीय विकासात्मक इतिहास है। अतः यह नहीं कहा जा सकता कि केस स्टडी में कौन-कौन से पद सब के लिए होने चाहिए तथा एकत्रित सामग्री को किस आकार में व्यवस्थित करना चाहिए? कोई भी पद तथा कोई भी रूप जो समस्या के लिए उपयुक्त हो, अपना लेना चाहिए। नमूने के रूप में किसी भी व्यक्ति विशेष के केस स्टडी के सोपान, एकत्र की जाने वाली दत्त सामग्री के प्रकार और केस स्टडी के विवरण की रूपरेखा निम्नवत् है-

1. व्यक्ति विशेष के व्यक्तित्व को पर्यावरण से संबंधित सभी पहलुओं की सूची तैयार करना।
2. उन पहलुओं के बारे में आंकडे/ तथ्य संग्रह हेतु पद्धतियों और उपकरणों का चयन करना तथा उनका क्रम निर्धारित करना।
3. निर्धारित क्रम के अनुसार व्यक्ति विशेष के बारे में आंकडों/ तथ्यों संग्रह करना।
4. एकत्र आंकडों/ तथ्यों का विश्लेषण करना।
5. व्यक्ति विशेष के बारे में सम्पूर्ण एकत्रित सामग्री को ध्यान में रखकर प्रत्येक प्रकार के आंकडों/ तथ्यों का अर्थापन (Interpetation) करना।
6. समस्या का निदान करना।
7. उपचार के लिए कार्यक्रम का प्रस्ताव रखना (यदि सम्भव हो तो)
8. कार्यक्रम के मूल्यांकन के लिए अनुवर्ती अध्ययन (फॉलोअप स्टडी) करना चाहिए।

केस अध्ययन एक व्यावहारिक आवश्यकता है उसी को ध्यान में रखकर ऊपर के पद लिखे गये हैं परन्तु यह नहीं समझना चाहिए कि जिस क्रम में यह लिखें हैं समय की दृष्टि से भी वह क्रम इन सोपानों का होना चाहिए। अध्ययन की आवश्यकता के अनुसार एक से अधिक पदों का कार्य एक साथ एक दूसरे के पूरक के रूप में हो सकता है। यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि केस स्टडी कर्ता को किसी भी केस स्टडी में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।



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