मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
एपिसोड-102

आज की कहानी का शीर्षक- “रियाज़ ”

मीना,सुमी और सोनू स्कूल से वापस लौटते हुए कंचे खेल रहे हैं। कृष्णा भी उनके साथ है।

“ये मैंने लगाया निशाना और ये ...कटाक...”

“क्या बात है मीना? ये..हे हे...मीना तुम्हारा निशाना तो बहुत पक्का है।

“पक्का है ये देख के मोनू हक्का बक्का है।” मिठ्ठू ने सुर मिलाया।

“कृष्णा अब तुम्हारी बारी” मीना ने कहा।

कृष्णा- नहीं मीना, मुझे घर जाना है।

मीना- थोड़ी देर तो खेलो कृष्णा।

“और क्या,अभी तो हमें कंचे खेलते हुए पांच मिनट भी नहीं हुए।” मोनू ने हाँ में हाँ मिलायी।

कृष्णा- मोनू, सुमी मुझे घर जाके रियाज़ करना है।...रियाज़ मतलब अभ्यास।...PRACTICE…मुझे घर जाके गाना गाने का रियाज़ करना है।

मीना- लेकिन कृष्णा तुम्हारी संगीत की क्लास तो बुधवार को होती है और आज तो सोमवार है।
कृष्णा- हाँ मीना....लेकिन आज मैं अपने आप रियाज़ करना चाहता हूँ।

“मीना,सुमी कृष्णा तो संगीत का रियाज़ करने चला गया, चलो हम कंचे खेलने का रियाज़ करते हैं।” मोनू बोला।
हा ह्ह हहह हाहा हहा अ .......

और अगली सुबह जब मीना, सुमी और मोनू स्कूल जाने के लिए कृष्णा को बुलाने उसके घर के बाहर पहुंचे तो.....
“आ...आआ ...आ....आआआआआ ...”

“मीना, सुमी लगता है कृष्णा अभी तक रियाज़ कर रहा है।” मोनू बोला।

“मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा....।”

“ कृष्णा कितना अच्छा गा रहा है ना सुमी।” मीना बोली।

सुमी- हाँ मीना, मेरा दिल तो कर रहा है कि यहीं खड़े-खड़े कृष्णा की मधुर आवाज़ में गाना सुनती रहूँ।
“सुमी जी अगर आप यहीं खड़े-खड़े गाना सुनती रहीं तो ना आप स्कूल पहुँच पायेंगी.. ना हम” मोनू ने ठिठोली ली।

मोनू आवाज़ देता है, ‘कृष्णा...कृष्णा।’

“ आ रहा हूँ मोनू” कृष्णा अन्दर से जबाब देता है।

कृष्णा जल्दी से अपना बस्ता उठाके बाहर आया और फिर मीना,सुमी,मोनू और कृष्णा बातें करते हुए स्कूल की तरफ चले।

मीना- कृष्णा अभी हमने तुम्हारा गाना सुना, सच में बहुत अच्छा गाते हो तुम।....कृष्णा, तुम्हारी कोई संगीत प्रतियोगिता है।

कृष्णा- ...नहीं तो।

“तो फिर रियाज़ क्यों किये जा रहे हो?” सुमी ने सवाल किया।

कृष्णा- ...गुरुजी ने मुझे कहा था कि मैं रोज़ रियाज़ किया करूं ताकि मुझे एक तो सुर याद रहे दूसरा मुझे ये भी याद रहे कि मैंने संगीत की पिछली क्लास में क्या सीखा था?

मोनू- कृष्णा...इसका मतलब रियाज़ करना तो ज़रुरी हुआ।

कृष्णा- जरुरी नहीं मोनू....बहुत जरुरी।

बातें करते-करते, हसते-हँसाते मीना,सुमी,मोनू और कृष्णा पहुंचे स्कूल और शुरु हुआ दिन का पहला पीरिएड ....
बहिन जी- बच्चों, क्या तुम्हें याद है?, हमने भूगोल की पिछली क्लास में क्या पढ़ा था?

सुमी- बहिन जी, पिछली क्लास में आपने सौरमंडल में पृथ्वी के बारे में पढाया था।

बहिनजी-.....शाबाश!

‘मोनू तुम बताओ, नक्षत्र मंडल किसे कहते हैं?’ बहिन जी ने प्रश्न किया।

मोनू- हाँ.....नक्षत्र मंडल.......बहिन जी याद नहीं आ रहा।

बहिन जी- मोनू, तुम्हें वो पाठ फिर से पढ़ना होगा क्योंकि अगर तुमने वो पाठ फिर से नहीं पढ़ा तो आगे के पाठ तुम्हें समझ नहीं आयेंगे.... ठीक है।

बहिन जी- (मीना से) तुम बताओ, नक्षत्र मंडल किसे कहते हैं?

मीना- रात्रि में आसमान की ओर देखते समय हम तारों के विभिन्न समूहों द्वारा बनाई गयी विविध आकृतियों को देख सकते हैं। ये नक्षत्र मंडल कहलाते हैं।

बहिन जी- बिलकुल ठीक, बच्चों आज हम पढेंगे ‘प्रकाश की गति’ के बारे में। प्रकाश की गति लगभग तीन लाख किलोमीटर प्रति घंटा है.....।

“मीना, तुम्हें समझ आ रहा है जो बहिन जी पढ़ा रही हैं।....मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा हा।” मोनू फुसफुसाया।

मीना दबी जुबान से बोली, ‘बाद में बात करते हैं।’

उस दिन बहिनजी का द्वारा पढाया गया पाठ मोनू के बिल्कुल समझ नहीं आया और फिर स्कूल की छुट्टी के बाद...

मोनू- मीना मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही कि बहिन जी ने सौरमंडल में पृथ्वी के बारे में , मुझसे आज प्रश्न क्यों पूँछा? वो पाठ तो हमने पिछले हफ्ते पढ़ा था।

मीना- मोनू...बहिन जी ने जो पाठ पढाये हैं उनके प्रश्न तो वो कभी भी पूँछ सकती हैं।

मोनू- ये तो कोई बात नहीं हुयी। अरे! भाई कम से कम उन्हें एक दिन पहले बताना तो चाहिए ताकि बच्चे घर से पढ़ कर आयें। मीना....क्या तुम्हें मालुम था कि बहिन जी आज सौरमंडल में पृथ्वी के बारे में पूंछेंगी?....फिर तुम्हें वो उत्तर याद कैसे रहा?

मीना- क्योंकि मैंने घर पे दो-तीन बार उस पाठ को पढ़ा था।
“लेकिन घर पर तो पढाई तभी करते हैं जब बहिन जी को अगली क्लास में प्रश्न उत्तर सुनने होते हैं।” मोनू ने पूँछा।
मीना- नहीं मोनू, घर पर रोज़ पढाई करनी चाहिए।

“मीना ठीक कह रही है मोनू,....घर पे रोज़ पढाई करने से पाठ और भी अच्छे से समझ आता है। और उसके प्रश्न उत्तर आसानी से याद हो जाते हैं।” सुमी ने कहा।

कृष्णा- सिर्फ यही नहीं सुमी...पाठ से जुड़े अन्य पाठ भी आसानी से समझ आ जाते हैं।

मोनू- मीना,सुमी, कृष्णा तुम तीनों ठीक कह रहे हो। मैं भी आज से रोज़ घर जाके पढाई किया करूँगा।...वो देखो वहां कुछ बच्चे कंचे खेल रहे हैं, चलो हम भी खेलते हैं।

कृष्णा- तुम तीनो को खेलना हो तो खेलो...मैं तो घर जा रहा हूँ। मुझे रियाज़ करना है।

“कृष्णा...कृष्णा सुनो तो...”मोनू आवाज़ देता रहा और कृष्णा चला गया।

मीना- देखा मोनू, इसे कहते हैं लगन। कृष्णा को किसी प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लेना फिर भी वो रोज़ रियाज़ करता है क्योंकि रियाज़ यानी अभ्यास ही हमें कुशल बनाता है। अभ्यास करना बहुत ज़रुरी है चाहे वो संगीत हो या पढाई।

“पढाई...अभ्यास करो मोनू भाई।” मिठ्ठू चहका।



और फिर शाम को...

मोनू पढाई कर रहा है, ‘..मानचित्र एक आलेखन होता है जोकि पूरे विश्व या उसके एक भाग को एक छोटे से एक कागज के पन्ने पर दर्शाता है।”

माँ आवाज़ लगाती है, ‘मोनू..मोनू बेटा तुम्हारे दोस्त आये हैं।खेलने नहीं जाना क्या?’

मोनू- “थोड़ी देर मैं माँ...अभी पढ़ रहा हूँ।...लेकिन मानचित्र को इतनी सावधानी से छोटा किया जाता है ताकि स्थानों के बीच की दूरी वास्तविक रहे।”

मीना की बातों और कृष्णा की लगन से प्रभावित होके मोनू ने भी रोज़ बहिन जी द्वारा पढाये गए पाठ का अभ्यास करना शुरु किया। वो स्कूल से लौट के दो-तीन घंटे पढ़ता जिससे उसको सभी पाठ अच्छे तरह समझ आने लगे और फिर अगले हफ्ते स्कूल में....

बहिन जी- मोनू...चंद्रमा के बारे में विस्तार से बताओ?

मोनू- जी बहिन जी.....हमारी पृथ्वी के पास केवल एक उपग्रह है चन्द्रमा। इसका व्यास पृथ्वी के व्यास का केवल एक चौथाई है। चन्द्रमा हमसे तीन लाख चौरासी हज़ार किलोमीटर दूर है।

बहिन जी- शाबाश! मोनू.....बच्चों मोनू के लिए जोरदार तालियाँ।

(सभी बच्चे तालियाँ बजाते हैं।) मोनू मैं देख रही हूँ कि पिछले हफ्ते और आज वाले मोनू में जमीन आसमान का फर्क है, क्या है इसका राज?

मोनू- बहिन जी इसका राज़ है रियाज।....जी बहिन जी जैसे कृष्णा रोज़ संगीत का रियाज़ करता है वैसे ही अब मैं भी पढाई का रियाज करने लगा हूँ।....बहिन जी रियाज़ यानी अभ्यास करने की सलाह मीना और सुमी ने दी थी। मीना, सुमी तुम दोनों का बहुत-बहुत धन्यवाद।

मिठ्ठू चहका, “धन्यवाद, रियाज करना रखना याद।”


मीना, मिठ्ठू की कविता-
“जीवन में गर बनना है तुम सबको बहुत ही ख़ास
पढ़ने लिखने का तुमको करना होगा अभ्यास।”

आज का गीत-
जीवन में कुछ करना है हमको लिखना पढ़ना है।
अपनी मंजिल पानी है हमको आगे बढ़ाना है।।
पढ़ना लिखना है आसान हर लड़की पढ़े।
राह सरल हो या मुश्किल हर लड़की बढे।।
सच्चे दिल से मेहनत हर लड़की करे।
खुद से वादा करना है हमको आगे बदन है।।
जीवन में कुछ...........................।
पूरा करना अपना काम चाहे जो भी हो
सफर में न करना आराम चाहे जो भी हो।।
करेगी मंजिल तुम्हे सलाम चाहे जो भी हो।
हर मुश्किल से लड़ना है हमको आगे बढ़ाना है।।
जीवन में कुछ......................।।

आज का खेल- ‘नाम अनेक अक्षर एक’

अक्षर- ‘ब’

✓ व्यक्ति- बंकिमचन्द चटर्जी
✓ वस्तु- बेलन / बस्ता / बाजा / बिस्कुट
✓ जानवर- बारहसिंघा
✓ जगह- बेंगलुरु (भारत के राज्य कर्नाटक की राजधानी)

(बंकिमचन्द्र चटर्जी बंगाल के एक प्रसिद्ध लेखक,कवि एवं पत्रकार थे। भारत के राष्ट्रगीत ‘वन्देमातरम्’ की रचना भी उन्होंने ही की थी।)


मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है। यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिक से अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में साथ है और इसके पीछे इनको लिपिबद्ध करने में लगा हुआ है। आशा है आप सभी को यह प्रयास पसंद आयेगा। फ़ेसबुक पर भी आप मीना की दुनिया को Follow कर सकते हैं।  

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