वर्तमान समय में शिक्षा पूर्णतया निःशुल्क एवं बालकेन्द्रित है। हमारी सरकार के द्वारा विद्यालय को सभी भौतिक सुविधायें उपलब्ध करायी जा चुकी हैं, जैसे -विद्यालय भवन, विद्युत व्यवस्था, पाठ्यपुस्तकें, स्कूल यूनीफार्म, मध्यान्ह भोजन, छात्रवृत्ति, शिक्षण अधिगम सामग्री के लिए धनराशि आदि।



यह सत्य है इन सभी सुविधाओं से विद्यालयों में छात्र नामांकन संख्या में अति वृद्धि हुई है। परन्तु गुणवत्तापरक शिक्षा में अभी भी आशानुरूप सफलता नहीं मिली है। जहॉं संख्यात्मक वृद्धि (quantity) होती है, वहां गुणात्मक वृद्धि (quality) में कमी आ जाती है। इस कमी को दूर करने के लिए आवश्यक है कि कक्षा में रूचिपूर्ण शिक्षण पद्धति अपनाई जाये जैसे- भ्रमण विधि, खेल विधि, कहानी विधि, प्रदर्शन विधि, करके सीखना, प्रोजेक्ट विधि, केस स्टडी विधि तथा विभिन्न  प्रकार की अन्य शैक्षिक गतिविधियांॅ आदि।

इस सीरीज  के माध्यम से प्रोजेक्ट विधि एवं केस स्टडी विधि पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला जाएगा। इन नवाचारी शिक्षण पद्धतियों से शिक्षण कार्य करने में  अध्यापक एवं बच्चों दोनो के लिए ही शिक्षण अधिगम एक रूचिपूर्ण प्रक्रिया बन सकेगी। इन पद्धतियों में शिक्षक एक सलाहकार / सुगमकर्ता के रूप में कार्य करेगा तथा छात्र को कार्य करके सीखने का अवसर प्रदान करेगा। इस प्रकार राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के प्रमुख उद्देश्य हैं, कि बच्चों के पुस्तकीय ज्ञान को उनके बाहरी जीवन से जोड़ा जाये, यह उद्देश्य भी इन पद्धतियों से प्राप्त हो सकेगा। भयमुक्त वातावरण में छात्र स्वतंत्र होकर अपना कार्य सुगमता से कर सकता है। जिससे उनमें  अभिव्यक्ति, अन्वेषण, निर्णय लेने, स्व मूल्यांकन करने की क्षमता तथा सृजनात्मक, रचनात्मक, आत्मविश्वास आदि कौशलों का विकास हो सकेगा।


प्रोजेक्ट विधि:

प्रोजेक्ट (योजना) विधि शिक्षण की नवीन विधि मानी जाती है। इसका विकास शिक्षा में सामाजिक प्रवृत्ति के फलस्वरूप हुआ। शिक्षा इस प्रकार दी जानी चाहिए जो जीवन को समर्थ बना सके। इसके प्रवर्तक जान ड्यूबी के शिष्य डब्ल्यू0एच0 किलपैट्रिक थे। यह विधि अनुभव केन्द्रित होती है। यह बालकों के समाजीकरण पर विशेष बल देती है।

योजना विधि में छात्रों के जीवन से संबंधित समस्याओं को वास्तविक रूप में प्रस्तुत किया जाता है। छात्र समस्या की अनुभूति करते हैं। समस्या समाधान की योजना तैयार की जाती है। इसके लिए अनेक सूचनाओं को एकत्रित किया जाता है। शिक्षक केवल निर्देशक / सुगमकर्ता का कार्य करता है। छात्र स्वंय विषय वस्तु सामग्री का अध्ययन करके समस्या का समाधान करते है।

विद्यार्थियों को क्रियात्मक रूप से विभिन्न विषयों का ज्ञान प्राप्त करने की दिशा में योजना पद्धति (प्रोजेक्ट मेथेड) का बहुत महत्व है। इस पद्धति की विशेषताओं को जानने से पहले हमें इसकी आवश्यकताओं तथा योजना शब्द के अर्थ से परिचित होना आवश्यक है।

केस स्टडी विधि :
शिक्षा तकनीकि के आर्विभाव तथा विकास के साथ शिक्षा की प्रक्रिया में अनेक परिवर्तन हुए तथा नये आयामों का विकास हुआ। पिछले 25 वर्षो के अन्तराल में कक्षा शिक्षा में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए है। छात्रों की उपलब्धियों में स्थान, कक्षा-शिक्षण के स्वरूप, प्रक्रिया, अनुदेशन प्रक्रिया को प्राथमिकता दी गयी है क्योंकि छात्रों की उपलब्धियों इन्हीं पर आश्रित होती है। शिक्षक छात्रों की व्यक्तिगत भिन्नता को शिक्षण में महत्व देते है। व्यक्तिगत भिन्नता को जानते हुए व्यक्तिगत अध्ययन की आवश्यकता होती है।

बालक की भिन्नताओं के होते हुए भी प्रकृति तथा स्वभाव संबंधी सामान्य विशेषताए होती है। बालक के द्वारा अनुभव किये जाने योग्य अमूर्त वस्तुओं के अध्ययन के लिए कतिपय प्रविधियां विकसित की गयी है। इनमें से केस स्टडी प्रमुख है।




संक्षेप में कहा जा सकता है कि नवाचार शिक्षण पद्धतियों के माध्यम से बच्चों का सर्वांगीण विकास तो होगा ही साथ ही उनका सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन भी हो सकेगा।


नवाचारी शिक्षण (Innovative Teaching) पर यह सीरीज क्रमश: जारी  है!

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