शिक्षक व्यवस्था के लिए या बच्चों के लिए?


शीतलहर के दौरान स्कूल बंद करने का निर्णय एक स्वाभाविक निर्णय है। ठंड के कारण बच्चों के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है। इसलिए बच्चों की सुरक्षा के लिए यह निर्णय लिया जाता है। लेकिन हाल के दिनों में एक नया चलन चला है कि शीतलहर के दौरान बच्चों के लिए स्कूल बंद रहेंगे, लेकिन शिक्षक प्रशासनिक कार्य के लिए स्कूल में उपस्थित रहेंगे।


इस निर्णय पर शिक्षाशास्त्रीय दृष्टि से विचार करने पर कई सवाल उठते हैं। 

पहला सवाल यह है कि क्या शिक्षक व्यवस्था के लिए होते हैं या बच्चों के लिए? अगर शिक्षक व्यवस्था के लिए होते हैं, तो फिर बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्हें भी स्कूल बंद रहना चाहिए। लेकिन अगर शिक्षक बच्चों के लिए होते हैं, तो फिर उन्हें भी बच्चों के साथ घर रहना चाहिए।

दूसरा सवाल यह है कि क्या शिक्षकों को प्रशासनिक कार्यों के लिए स्कूल में उपस्थित रहने की आवश्यकता है? अगर हां, तो फिर इन कार्यों को ऑनलाइन या अन्य माध्यमों से भी किया जा सकता है। इसके लिए शिक्षकों को स्कूल में उपस्थित रहने की आवश्यकता नहीं है।

तीसरा सवाल यह है कि क्या शीतलहर के दौरान प्रशासनिक कार्य करना आवश्यक है? अगर हां, तो फिर यह कार्य शिक्षकों के अलावा अन्य कर्मचारियों द्वारा भी किया जा सकता है। इसके लिए शिक्षकों को स्कूल में उपस्थित रहने की आवश्यकता नहीं है।



इन सवालों पर विचार करने से यह स्पष्ट हो जाता है कि शीतलहर के दौरान शिक्षकों को स्कूल में उपस्थित रहने का निर्णय एक अतार्किक निर्णय है। यह निर्णय बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नहीं लिया गया है। बल्कि यह निर्णय व्यवस्था के प्रति शिक्षकों की निष्ठा को परखने के लिए लिया गया है।


यह निर्णय शिक्षा की मूल भावना के खिलाफ है। शिक्षा का मूल उद्देश्य बच्चों का सर्वांगीण विकास करना है। लेकिन इस निर्णय से बच्चों के विकास में बाधा आती है। बच्चों को स्कूल से दूर रहना पड़ता है। इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है।


इस निर्णय से शिक्षकों का भी शोषण होता है। शिक्षकों को अपने परिवार और बच्चों से दूर रहकर स्कूल में उपस्थित रहना पड़ता है। इससे उन्हें मानसिक और शारीरिक परेशानी होती है। इसलिए यह जरूरी है कि शीतलहर के दौरान शिक्षकों को भी बच्चों के साथ स्कूल बंद रखने का निर्णय लिया जाए। यह निर्णय बच्चों की सुरक्षा और शिक्षकों के सम्मान के लिए आवश्यक है।


शिक्षक व्यवस्था के लिए होते हैं या बच्चों के लिए, इस सवाल का जवाब देना नीति निर्धारकों पर निर्भर करता है। लेकिन अगर नीति निर्धारकों की सोच यह है कि शिक्षक व्यवस्था के लिए होते हैं, तो फिर उन्हें यह भी तय करना चाहिए कि बच्चों के लिए क्या व्यवस्था की जाए?


नीति निर्धारकों को यह समझना चाहिए कि शिक्षक व्यवस्था के लिए नहीं बल्कि बच्चों के लिए होते हैं। बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा के लिए शिक्षकों की उपस्थिति आवश्यक है। इसलिए शीतलहर के दौरान शिक्षकों को भी बच्चों के साथ स्कूल बंद रखना चाहिए।


✍️ देवेंद्र दत्त त्रिवेदी
(सेवानिवृत बेसिक शिक्षक, फतेहपुर)


बेसिक शिक्षक के रूप में कार्य करते हुए फ़तेहपुर से सेवानिवृत्त "देवेंद्र दत्त त्रिवेदी" शिक्षा और समाज से जुड़े लगभग हर मामलों पर अपनी बेबाक राय रखने के लिए जाने जाते हैं।

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