आखिर! कैसी हो बच्चों के लिए भाषा? 


लेखक अमृतलाल नागर ने बच्चों के लिए लिखी जाने वाली भाषा पर एक महत्वपूर्ण नोट लिखा है। उनका मानना है कि बच्चों के लिए लिखने वाले लेखकों को बच्चों के मनोविज्ञान को समझना चाहिए। उन्हें बच्चों के साथ दोस्त की तरह बात करनी चाहिए, न कि गुरु या अभिभावक की तरह।


नागर के अनुसार, बच्चों के लिए लिखी जाने वाली भाषा में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

⚫ भाषा सरल और सहज होनी चाहिए। बच्चों को ऐसी भाषा समझ नहीं आती है जो बहुत जटिल या अलंकृत हो।

⚫ भाषा बच्चों की जिज्ञासा को बढ़ावा देनी चाहिए। बच्चों को ऐसी भाषा पसंद आती है जो उन्हें नई चीजें सीखने के लिए प्रेरित करे।

⚫ भाषा बच्चों के अनुभवों से जुड़ी होनी चाहिए। बच्चों को ऐसी भाषा पसंद आती है जो उनके जीवन से जुड़ी हो।


नागर ने यह भी कहा कि बच्चों के लिए लिखने वाले लेखकों को बच्चों की दुनिया को समझने की कोशिश करनी चाहिए। उन्हें बच्चों के साथ बात करनी चाहिए, उनकी गतिविधियों में शामिल होना चाहिए, और उनकी भावनाओं को समझना चाहिए।



नागर के विचारों को ध्यान में रखते हुए, बच्चों के लिए भाषा लिखने के कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:

🟣 बच्चों की भाषा का उपयोग करें। बच्चों की अपनी एक अलग भाषा होती है। इस भाषा को समझने की कोशिश करें और अपने लेखन में इसका उपयोग करें।

🟣 बच्चों के लिए रोचक विषयों का चयन करें। बच्चों को ऐसे विषयों में रुचि होती है जो उन्हें रोमांचित या उत्साहित करते हैं। ऐसे विषयों का चयन करें जो बच्चों को आकर्षित करें।

🟣 बच्चों के लिए समझने योग्य शब्दों का उपयोग करें। बच्चों के लिए ऐसे शब्दों का उपयोग करें जो वे समझ सकें। जटिल शब्दों और वाक्यों से बचें।

🟣 बच्चों के लिए आकर्षक तरीके से लिखें। बच्चों को ऐसे लेखन में रुचि होती है जो आकर्षक और रोचक हो। अपने लेखन में चित्र, चार्ट, और अन्य दृश्य तत्वों का उपयोग करें।


बच्चों के लिए भाषा लिखना एक चुनौतीपूर्ण काम है, लेकिन यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण काम भी है। बच्चों को अच्छी भाषा के संपर्क में आने से उनके मानसिक विकास में मदद मिलती है। बच्चों के लिए अच्छी भाषा लिखने वाले लेखक बच्चों के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।


✍️  लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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