जंज़ीरें, जंज़ीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से तुम्हें गुलाम बनाती हैं।
स्वामी रामतीर्थ

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  1. बहुत शिक्षादायक विचार !

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  2. बहुत सुंदर विचार. लोहे के मुकाबले सोने की जंजीर ज्यादा कठिनाई से टूटती है.

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  3. भाई प्रवीण जी,
    अच्छा प्रयास है। मूल्यवान विचारों के संकलन के लिये साधुवाद।
    अमिताभ

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  4. बहुत ही शिक्षादायक विचार,साधुवाद।

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