गुलाम A+ A- Print Email जंज़ीरें, जंज़ीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से तुम्हें गुलाम बनाती हैं।स्वामी रामतीर्थ
बहुत शिक्षादायक विचार !
ReplyDeleteबहुत सुंदर विचार. लोहे के मुकाबले सोने की जंजीर ज्यादा कठिनाई से टूटती है.
ReplyDeleteभाई प्रवीण जी,
ReplyDeleteअच्छा प्रयास है। मूल्यवान विचारों के संकलन के लिये साधुवाद।
अमिताभ
good effort
ReplyDeletekeep it up
sahi baat :)
ReplyDeleteबहुत ही शिक्षादायक विचार,साधुवाद।
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