आँख के अंधे को..... A+ A- Print Email आँख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता,मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता औरस्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता।चाणक्य
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