सबसे ज्यादा तनाव से गुजरते हैं अध्यापक : NFER सर्वे रिपोर्ट



रिपोर्ट बताती है कि पांच में से एक यानी 20 फीसदी टीचर्स, इसी तरह के पेशेवरों के 13 प्रतिशत की तुलना में, अपनी नौकरी के चलते हर वक्त स्ट्रेस में रहते हैं.



आम धारणा है, टीचिंग बेहद आसान प्रोफेशन है. आपने भी शिक्षकों की सैलरी, उनके काम के घंटे और छुट्टियों पर लोगों को चकित होते देखा होगा. हालांकि रिपोर्ट और सर्वे इस विचार का कतई समर्थन नहीं करते कि टीचिंग प्रोफेशन आसान है. नेशनल फाउंडेशन फॉर एजुकेशनल रिसर्च (NFER) की रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षकों को अन्य पेशेवरों की तुलना में नौकरी में ज्यादा तनाव रहता है.


रिपोर्ट बताती है कि पांच में से एक यानी 20 फीसदी टीचर्स, इसी तरह के पेशेवरों के 13 प्रतिशत की तुलना में, अपनी नौकरी के चलते हर वक्त स्ट्रेस में रहते हैं.




नतीजे बताते हैं कि अधिक से अधिक संख्या में शिक्षकों को, ट्रेनी टीचर्स की मांग दिन पर दिन बढ़ने के चलते नौकरी से बाहर किया जा रहा है. ये बात इस पेशे के लिए वाकई में गलत है कि अनुभवी लोग पेशा छोड़ रहे हैं.


आंकड़ों से पता चलता है, समान पेशेवरों की तुलना में शिक्षक एक सामान्य कामकाजी से सप्ताह में लंबे समय तक काम करते हैं. हालंकि दूसरे पेशेवरों के काम से तुलना की जाए तो उनके काम के घंटे पूरे साल में औसतन अन्य व्यवसायों के समान ही हैं.


सर्वे के मुताबिक, पांच में से दो शिक्षक (41 प्रतिशत), इसी तरह के पेशेवरों के 32 प्रतिशत की तुलना में अपनी छुट्टियों से असंतुष्ट हैं.



कौन की वजहें स्थिति बदतर बना रही है?
कम वेतन पर काम करने वाले शिक्षकों का आमतौर पर संस्थानों द्वारा स्वागत किया जा रहा है. जैसे कि रिटेर्नर्स और विदेशी प्रशिक्षित शिक्षक. इसी तरह के शिक्षक लगातार बढ़ रहे हैं.



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