😭 शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि कोविड से प्रभावित 2019-20 के शैक्षणिक सत्र में देश के सिर्फ 22 फीसदी स्कूलों में ही इंटरनेट सुविधा उपलब्ध थी।

🤔 जाहिर है, नई शिक्षा नीति पर अमल के साथ ही डिजिटल डिवाइड को दूर करने के लिए वृहत स्तर पर काम करने की जरूरत है।


👉  महामारी के दौर में शिक्षा : डिजिटल डिवाइड को दूर करने के लिए बड़े फैसले की जरूरत



कोविड 19 ने जहां एक ओर स्वास्थ्य संबंधी विकट चुनौती पेश की है, वहीं इसकी वजह से स्कूली शिक्षा की खामियां भी सामने आई हैं, जैसा कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से संबंधित एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली (यूडीआईएसई) की रिपोर्ट बताती है कि महामारी से बुरी तरह प्रभावित रहे शैक्षणिक सत्र 2019 20 के दौरान पूरे देश के सिर्फ 22 फीसदी स्कूलों में ही इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध थी, जबकि तीस फीसदी से कम स्कूलों में ही कंप्यूटर उपलब्ध थे। 


अपने देश में 2020 की शुरुआत में ही कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले सामने आए थे और उसके बाद मार्च के महीने से तकरीबन पूरे सत्र के दौरान स्कूल बंद रहे, जिससे अधिकांश बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई पर निर्भर रहना पड़ा है। वास्तव में इस रिपोर्ट ने शिक्षा के क्षेत्र में व्याप्त डिजिटल डिवाइड को रेखांकित किया है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति और भी बदतर है।


स्थिति का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि असम, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में औसतन पांच में एक से भी कम स्कूल में कंप्यूटर सुविधा उपलब्ध थी। सिर्फ केरल, दिल्ली और गुजरात-ये तीन ऐसे राज्य हैं, जहां पचास फीसदी से अधिक स्कूलों में इंटरनेट सुविधा उपलब्ध है। अलबत्ता 83 फीसदी स्कूलों में बिजली की सुविधा उपलब्ध है, जबकि एक साल पहले 2018-19 में करीब 75 फीसदी स्कूलों में यह सुविधा उपलब्ध थी।


रिपोर्ट का एक सुखद पहलू यह भी है कि पूरे देश के 90 फीसदी से अधिक स्कूलों में पीने के पानी से लेकर शौचालय और हाथ धोने की व्यवस्था है, कोविड-19 से जुड़े प्रोटोकाल के लिहाज से यह अहम है। यही नहीं, छात्र शिक्षक अनुपात में भी सुधार हुआ है। 2012-13 में जहां 32 छात्रों पर एक शिक्षक थे, वहीं अब 22 छात्रों को पढ़ाने के लिए औसतन एक शिक्षक उपलब्ध है। 


मगर स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में अब भी बच्चों के बीच में पढ़ाई छोड़ देने की समस्या एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में माध्यमिक स्तर (कक्षा नौ और दस) तक पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों का राष्ट्रीय औसत 17.3 फीसदी से अधिक है। जाहिर है, नई शिक्षा नीति पर अमल के साथ ही डिजिटल डिवाइड को दूर करने के लिए वृहत स्तर पर काम करने की जरूरत है, ताकि शिक्षा को और व्यापक बनाया जा सके।

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