राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF ) 2005, शिक्षा के उन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आयामों की वांछनीयता पर विस्तृत चर्चा एवं तार्किक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है, जो बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है। शिक्षा की गुणवत्ता, शिक्षा के सामाजिक संदर्भ एवं शिक्षा के लक्ष्य जिसमें ‘‘बच्चों को क्या पढ़ाया जाये और कैसे पढ़ाया जाये’’ की कसौटी पर विचार करते हुए पाठ्यचर्या निर्माण में पांच निर्देशक सिद्धान्तों का प्रस्ताव रखा गया है।
आर0टी0ई0 के अनुसार -
  • पाठ्यक्रम को गुणवत्तापूर्ण तरीके से पूरा कराने,
  • बच्चों के ज्ञान, सम्भावित क्षमता और प्रतिभा का विकास,
  • शारीरिक एवं मानसिक योग्यताओं का पूर्णतम सीमा तक विकास,
  • बालकेन्द्रित और बाल सुलभ तरीके से विभिन्न क्रिया कलापों, अन्वेषण, और
  • खोज के माध्यम से सीख उत्पन्न करना,
  • मातृभाषा में पढ़ाई, तनावमुक्त शिक्षा,
  • बच्चे के ज्ञान की समझ एवं व्यवहार का सतत् समग्र एवं व्यापक मूल्यांकन,
  • किसी भी कक्षा में फेल नहीं करना,
  • हर बच्चों को निर्धारित प्रारूप पर प्रमाण पत्र निर्गत करना
प्रमुख है।

यह तथ्य है कि बालक अपने अनुभव के आधार पर नवीन ज्ञान का सृजन करता है, इसका निहितार्थ है कि पाठ्यचर्या, पाठ्यक्रम एवं पाठ्यपुस्तकें शिक्षक को इस बात के लिए सक्षम बनाये कि वे बच्चों की प्रकृति और वातावरण के अनुरूप विद्यालय में गतिविधि एवं अनुभव आधारित कार्यक्रम आयोजित करे ताकि सभी बच्चों को विकास के अवसर मिल सके।

सक्रिय गतिविधि के जरिये ही बच्चे अपने आस-पास की दुनिया को समझने की कोशिश करते हैं, इसलिए प्रत्येक साधन का उपयोग इस तरह किया जाना चाहिए कि बच्चे को, स्वयं को अभिव्यक्त करने में, वस्तुओं का प्रयोग करने में, अपने प्राकृतिक और सामाजिक परिवेश में, खोजबीन करने में और स्वस्थ रूप से विकसित होने में मदद मिलें। इसके लिए स्कूल के विषयों और पाठ्यचर्या के क्षेत्रों में नवाचारी शिक्षण पद्धतियों को विकसित किये जाने की आवश्यकता है।

इन नवाचारी शिक्षण पद्धतियों के प्रयोग से बच्चों को चहुंमुखी विकास के अवसर प्राप्त होने के साथ-साथ अपने ज्ञान को बाहरी जीवन से भी जोड़ने के अवसर प्राप्त हो सकेंगे। मुझे पूर्ण विश्वास है कि नवाचारी शिक्षण पद्धतियों पर लगातार लेखन से समस्त शिक्षक लाभान्वित होंगे तथा बच्चों की शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को रूचिपूर्ण एवं शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने में सक्षम हो सकेंगे।



नवाचारी शिक्षण (Innovative Teaching) पर यह सीरीज क्रमश: जारी  है!


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