राष्ट्रीय शिक्षा नीति : हर जिले के आसपास होगा उच्च शिक्षण संस्थान, विश्वविद्यालयों के आगे से हटेंगे डीम्ड या एकल जैसे शब्द


● 2030 तक करीब हर जिले में बन जाएंगे बहु-विषयक संस्थान

● नामांकन दर 50 फीसद लाने को संस्थानों को करीब लाने की पहल

● विश्वविद्यालयों के आगे से हटेंगे डीम्ड या एकल जैसे शब्द

 
नई दिल्ली : उच्च शिक्षा के लिए घर छोड़कर दूर जाने की शायद जरूरत नहीं होगी। नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा के बीच की इस दूरी को पाटने की बड़ी पहल की गई है। इसके तहत 2030 तक प्रत्येक जिले या आसपास ही एक ऐसा बड़ा बहु-विषयक संस्थान विकसित या स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें सभी विषयों की पढ़ाई हो सके। यह संस्थान सार्वजनिक और निजी दोनों ही क्षेत्र के हो सकते हैं।


नई शिक्षा नीति का मत है कि उच्च शिक्षा और छोटे शहरों के बीच इस दूरी को पाटे बगैर उच्च शिक्षा के सकल नामांकन दर (जीईआर) के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल होगा। फिलहाल नीति में 2035 तक उच्च शिक्षा की सकल नामांकन दर को 50 फीसद तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। मौजूदा समय में उच्च शिक्षा का यह सकल नामांकन दर करीब 26 फीसद है। माना जा रहा है कि बड़ी संख्या में छात्र इसलिए ही उच्च शिक्षा की ओर कदम नहीं बढ़ाते हैं, क्योंकि वह उनकी पहुंच से काफी दूर होते हैं। नीति में इसी दूरी को कम करने का प्रस्ताव किया गया है। इसके साथ ही छात्रों का उच्च शिक्षा की ओर कदम न बढ़ाने का दूसरा जो बड़ा कारण माना जाता है, वह उनकी रुचि के विषयों का नजदीक के उच्च शिक्षण संस्थानों में उपलब्ध न होना है। यही वजह है कि नीति में जो नए उच्च शिक्षण संस्थान विकसित या स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है, वह सभी बहुविषयक होंगे।


उच्च शिक्षा की विश्वसनीयता को बरकरार रखने के लिए नई शिक्षा नीति में विश्वविद्यालय को लेकर पैदा होने वाले भ्रम को खत्म करने का प्रस्ताव किया गया है। इसमें विश्वविद्यालय के नाम के आगे डीम्ड, संबद्ध या फिर एकल जैसे शब्दों से परहेज करने की बात कही गई है। साथ ही कहा है कि यदि किसी संस्थान ने तय मानकों को पूरा करके यह मापदंड हासिल किया है, तो उनका नामकरण सिर्फ विश्वविद्यालय ही हो।

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