शिक्षक कर्म आसान नहीं : शिक्षक का यही दायित्व हो कि वह बच्चों को दुनिया से संवाद करना सिखाए



"केवल गणित पढ़ाना या कंप्यूटर का उपयोग सिखाना ही शिक्षक का दायित्व नहीं है, समाज में जो पीड़ित हैं, संघर्ष कर रहे हैं, उनसे संवाद करना सिखाना कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।"


इसमें कोई दो राय नहीं कि शिक्षक इस बात से अवगत हैं कि दुनिया में क्या हो रहा है। लोग नस्ल, धर्म, राजनीति, अर्थ के आधार पर बंटे हुए हैं और यह विभाजन विखंडन है। यह विखंडन वैश्विक युद्धों में भारी अराजकता और राजनीतिक रूप से हर तरह के फरेब को जन्म दे रहा है। मानव के विरुद्ध मानव की हिंसा फैलती जा रही है। जिस समाज में हम जीते हैं, इसे सभी मनुष्यों ने अपनी संस्कृति, भाषायी विभाजन, क्षेत्रीय अपेक्षाओं के साथ रचा है। यह सब न केवल भ्रम पैदा कर रहा है, बल्कि घृणा, बहुत अधिक विरोध और भाषायी मतभेद पैदा कर रहा है।


यही हो ही रहा है; ऐसे में शिक्षक का उत्तरदायित्व बहुत बढ़ गया है। वह दुनिया भर के विद्यालयों में ऐसे अच्छे इंसान गढ़ने के लिए चिंतित है, जिसमें विश्व बंधुत्व की भावना हो, जो राष्ट्रवादी, क्षेत्रीय, धार्मिक रूप से पुरानी, मृत परंपराओं से जुड़ा हुआ न हो, क्योंकि वास्तव में इनका कोई मूल्य नहीं है। इसलिए शिक्षक की जिम्मेदारी अधिक चुनौतीपूर्ण, अधिक प्रतिबद्धताओं वाली, और अपने छात्रों की शिक्षा को लेकर अधिक सतर्कता वाली हो गई है।


शिक्षा क्या ऐसा कर रही है? क्या यह मानव जाति, हमारे बच्चों को अधिक दयालु, अधिक कोमल, अधिक उदार बनने में मदद कर रही है? क्या यह उन्हें पुरानी बुराइयों और शरारतों की ओर मुड़ने से रोक रही है? यदि शिक्षक वास्तव में संवेदनशील है, जो कि उसे होना चाहिए, तो उसे छात्र को दुनिया के साथ अपने संबंध का पता लगाने में मदद करनी होगी; किसी काल्पनिक या रोमांटिक भावुकता से भरी दुनिया से नहीं, बल्कि इस वास्तविक दुनिया से उसके रिश्तों की उसे पहचान करानी होगी, जिसमें तमाम चीजें घटित हो रही हैं। 


ऐसे चिंतनशील शिक्षक का यह उत्तरदायित्व है कि वह अपने छात्रों को इस दुनिया की प्रकृति से जोड़े। उन्हें रेगिस्तान, जंगल, आस-पास की वनस्पतियों- पेड़ों और दुनिया के जानवरों के बारे में उन्हें बताए। यदि शिक्षक और छात्र प्रकृति से, पेड़ों से, समुद्र से अपना रिश्ता खो देते हैं, तो निश्चित रूप से उनमें से प्रत्येक मानवता के साथ अपना रिश्ता खो देगा।


केवल गणित पढ़ाना या कंप्यूटर का उपयोग सिखाना ही शिक्षक का दायित्व नहीं है, जो पीड़ित हैं, संघर्ष कर रहे हैं, गरीबी का दंश झेल रहे हैं, उनसे संवाद करना सिखाना अधिक महत्वपूर्ण है; और उन लोगों से भी, जो लकदक गाड़ियों में घूमते हैं। शिक्षक ऐसा करता है, तो वह छात्रों को अन्य लोगों के दुखों, चिंताओं और पारिवारिक मतभेदों के प्रति संवेदनशील बनने में मदद कर रहा है। शिक्षक का यही दायित्व होना चाहिए कि वह बच्चों को दुनिया से संवाद करना सिखाए।


✍️ लेखक : जे कृष्णमूर्ति

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