शिक्षा में आंकड़ों का खेल बच्चों की शैक्षिक प्रगति के लिए बन रही एक गंभीर समस्या


शिक्षा में आंकड़ों के खेल में शिक्षक को जानबूझकर उलझाया जाता है। यह एक गंभीर समस्या है, जिसका शिक्षा व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।


आंकड़े एक शक्तिशाली उपकरण हैं, जिन्हें सही तरीके से इस्तेमाल करने पर बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है। लेकिन अगर आंकड़ों का इस्तेमाल गलत तरीके से किया जाए, तो वे बहुत नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।


शिक्षा में आंकड़ों का इस्तेमाल अक्सर शिक्षकों पर दबाव बनाने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी स्कूल में परीक्षा परिणाम खराब होते हैं, तो शिक्षकों को जवाबदेह ठहराया जाता है, और उन पर परिणाम सुधारने के लिए दबाव डाला जाता है।


ऐसे में शिक्षकों को लगता है कि उन्हें परीक्षा परिणामों में सुधार करने के लिए कुछ भी करना पड़ेगा, चाहे वह सही हो या गलत। वे अक्सर ऐसे तरीके अपनाने लगते हैं, जो छात्रों के वास्तविक सीखने को नुकसान पहुंचाते हैं।


उदाहरण के लिए, वे छात्रों को परीक्षा के लिए तैयार करने के लिए सिर्फ वही सामग्री पढ़ाएंगे, जो परीक्षा में पूछी जाएगी। वे छात्रों को रटने के लिए प्रेरित करेंगे। ऐसे में छात्र वास्तविक ज्ञान हासिल नहीं कर पाते हैं, और उनकी शैक्षिक प्रगति बाधित होती है।



शिक्षा में आंकड़ों के खेल को रोकने के लिए, हमें निम्नलिखित कदम उठाने की जरूरत है:

🔴 शिक्षकों को आंकड़ों के सही इस्तेमाल के बारे में शिक्षित करना चाहिए। उन्हें यह समझाना चाहिए कि आंकड़ों का इस्तेमाल कैसे किया जाए कि वे छात्रों के वास्तविक सीखने को नुकसान न पहुंचाएं।

🔴 शिक्षकों पर परीक्षा परिणामों के आधार पर दबाव नहीं डालना चाहिए। उन्हें यह महसूस कराना चाहिए कि वे छात्रों को शिक्षित करने के लिए स्वतंत्र हैं, और उन्हें ऐसा करने के लिए पर्याप्त समय और संसाधन दिए जाएंगे।

🔴 शिक्षा व्यवस्था में मूल्यांकन के तरीकों को बदलने की जरूरत है। हमें ऐसे मूल्यांकन तरीकों को अपनाना चाहिए, जो छात्रों के वास्तविक सीखने को मापें।


अगर हम इन कदमों को उठाएंगे, तो हम शिक्षा में आंकड़ों के खेल को रोक सकते हैं, और छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान कर सकते हैं।


शिक्षकों को शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए। उन्हें आंकड़ों के खेल में फंसकर छात्रों के भविष्य को खतरे में नहीं डालना चाहिए। ज्यादातर शिक्षक मानते हैं कि शिक्षा में भी अब आंकड़ों का खेल हो रहा है। शिक्षकों को स्वयं  से जागरूक होकर इस खेल से दूर रहना चाहिए।



✍️  लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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