एक स्कूल फेल कब होता है? जब स्कूल पढ़ाने के बजाय चलाने में उलझ जाए!
शिक्षा का उद्देश्य केवल प्रमाणपत्र देना नहीं, बल्कि छात्र के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करना है। एक स्कूल की सफलता या असफलता का निर्धारण केवल परीक्षा परिणामों से नहीं किया जा सकता। बल्कि, जब विद्यालय अपने मूल उद्देश्यों को पूरा करने में विफल हो जाता है, तब वह वास्तव में ‘फेल’ हो जाता है।
स्कूल की असफलता के प्रमुख कारण
1. सीखने का ठहराव
जब कक्षा केवल पाठ्यक्रम पूरा करने का माध्यम बन जाती है और जिज्ञासा को बढ़ावा नहीं मिलता, तब स्कूल असफल होने लगता है। एक सफल स्कूल बच्चों में तार्किक सोच, विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण और रचनात्मकता का विकास करता है। अगर शिक्षक केवल पुस्तकीय ज्ञान देकर परीक्षा में अच्छे अंक लाने पर जोर देते हैं, तो यह स्कूल की विफलता का संकेत है।
2. नैतिक एवं सामाजिक शिक्षा की कमी
विद्यालय केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं होता; यह संस्कारों, मूल्यों और सामाजिक जागरूकता का केंद्र भी होता है। यदि विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने के बावजूद सामाजिक और नैतिक मूल्यों से दूर हो रहे हैं, तो यह स्कूल की असफलता को दर्शाता है।
3. शिक्षक की भूमिका में गिरावट
जब शिक्षक केवल आदेशपालक बन जाते हैं और स्वतंत्र रूप से पढ़ाने की प्रेरणा खो देते हैं, तब शिक्षा प्रभावित होती है। शिक्षकों पर अनावश्यक प्रशासनिक दबाव, अतिरिक्त गैर-शैक्षणिक कार्य और अनियमित प्रशिक्षण उनके प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं, जिससे स्कूल की गुणवत्ता गिरती है।
4. अभिभावकों और समुदाय की भागीदारी की कमी
एक स्कूल का विकास केवल शिक्षकों और विद्यार्थियों तक सीमित नहीं होता। जब अभिभावक अपने बच्चों की शिक्षा में रुचि नहीं लेते, तो स्कूल धीरे-धीरे अपनी प्रभावशीलता खो देता है। यदि समुदाय स्कूल को केवल एक संस्थान मानता है, न कि समाज सुधार का केंद्र, तो यह भी उसकी असफलता की ओर संकेत करता है।
5. संसाधनों की कमी और अव्यवस्थित प्रशासन
विद्यालय में मूलभूत सुविधाओं (शौचालय, पेयजल, पुस्तकालय, खेल का मैदान) का अभाव हो तो सीखने का वातावरण बाधित होता है। वहीं, प्रशासनिक कुप्रबंधन, अनियोजित पाठ्यक्रम और अयोग्य शिक्षण पद्दति स्कूल की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।
6. परीक्षा केंद्रित शिक्षा प्रणाली
जब स्कूल का ध्यान केवल परीक्षा परिणामों तक सीमित हो जाता है और व्यावहारिक शिक्षा, कला, खेल और अन्य गतिविधियों की उपेक्षा की जाती है, तो यह बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को बाधित करता है। इससे शिक्षा प्रणाली केवल रट्टा-याद करने तक सीमित हो जाती है, जो एक असफल स्कूल की निशानी है।
एक सफल स्कूल की परिभाषा :एक स्कूल केवल तभी सफल कहा जाएगा जब:
- विद्यार्थी न केवल परीक्षा में पास हों, बल्कि वे आत्मनिर्भर, रचनात्मक और नैतिक मूल्यों से युक्त बनें।
- शिक्षकों को शिक्षण में स्वतंत्रता और प्रोत्साहन मिले।
- स्कूल, अभिभावक और समाज मिलकर शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाएं।
- मूल्यांकन केवल अंक-आधारित न होकर बच्चों की व्यावहारिक क्षमताओं को भी महत्व दे।
विद्यालय की सफलता या असफलता केवल उसके परीक्षा परिणामों पर निर्भर नहीं करती, बल्कि यह इस बात पर निर्भर करती है कि वह बच्चों को किस प्रकार का नागरिक बना रहा है। जब एक स्कूल बच्चों की जिज्ञासा, नैतिकता और सामाजिकता विकसित करने में विफल हो जाता है, तभी वह वास्तविक रूप से फेल होता है। इसीलिए, शिक्षा को केवल अंकों की दौड़ न बनाकर एक समग्र विकास प्रक्रिया बनाया जाना चाहिए।
✍️ लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर
परिचय
बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।
शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।
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