मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
42 - आज की कहानी का शीर्षक- ‘नीले पानी का रहस्य’


मीना, सुनील के साथ स्कूल से लौट रही है।  रास्ते में वीरू चाचा मिल जाते हैं।
मीना- अरे! वीरू चाचा, आप यहाँ।
वीरू चाचा- हाँ मीना, सोचा भईया,भाभी और...तुमसे मिलता चलूँ।  तुम्हारी पढाई-लिखाई कैसे चल रही है?
मीना- पढाई बढ़िया चल रही है और लिखाई.......हम स्कूल में पेन से लिखना सीख रहे हैं। 

सुनील को इस बात से कोई ख़ुशी नहीं है,उसे लगता है स्याही से हाथ गंदे हो जाते हैं और स्याही से लिखा सुधारा भी नहीं जा सकता। 

सुनील घर पहुंचा तो.........
सुनील- दादी, मैं मीना के घर जा रहा हूँ।
दादी- अरे पहले हाथ मुंह तो धुल ले। 

(सुनील घड़े से पानी लेकर हाथ मुंह धुल लेता है ,...और उसके जाने के बाद)
शोभा काकी चीनी मांगने आ जाती हैं, सुनील की माँ को बिस्तर पर लेटा देख कारण पूंछती हैं।  दादी बताती है की बहु के पेट में कुछ दिनों से दर्द हो रहा है।  दादी देखती है की घड़े का पानी नीला हो गया है।  यह सोचकर कि हैंडपंप का पानी ख़राब है, दूर वाले हैंडपंप से पानी लाने चली जाती हैं। 

(वापसी में उन्हें सुनील और मीना मिलते हैं)
सुनील- अरे दादी, घर पर तो पानी था फिर आप घड़ा लेकर कहाँ जा रहीं हैं? (दादी उन्हें सारी बात बताती हैं। )
सुनील- अच्छा मीना मैं चलता हूँ।

............और अगले दिन स्कूल की छुट्टी के बाद सुनील जब घर पहुंचा.... 
सुनील की माँ, सुनील से पानी मांगती है लेकिन पानी का रंग आज फिर से नीला हो गया है।  दादी को लगता है कोई विपदा आ गयी है सुनील सोचता है शायद घडा साफ नहीं है इसलिए वह मीना के घर से दूसरा घडा लाने दौड़ता है। मीना घड़े के साथ डंडेवाला लोटा भी देती है। लेकिन सुनील को इसकी आवश्यकता महसूस नहीं होती। 

मीना,सुनील के साथ उसके घर जाती है। वहां दादी नर्स बहिन जी को पानी का रंग नीला होने की बात बता रही हैं।  नर्स बहिन जी घड़े की जाँच करती हैं फिर सुनील के हाथ देखती हैं। 

नर्स बहिन जी- देखो दादी, ये रही आपकी विपदा.........सुनील के हाथों की नीली स्याही.......।

नर्स बहिनजी समझाती हैं कि जिस तरह हाथों की स्याही घड़े के पानी में मिल गयी उसी तरह हांथों की गन्दगी में छुपे कीटाणु पानी में मिलकर हमारे पेट में पहुँच जाते हैं और हमें बीमार बना देते है। .....जब भी घड़े या किसी वर्तन से पानी निकालो तो हमेशा डंडे वाले लोटे का ही इस्तेमाल करो। 



आज का गीत-

“एक मंतर ऐसा सीखा दीदी ना,
प्यास लगे जब साफ पानी पीना ।
बात ये बड़ी जरूरी भूल कभी ना,
प्यास लगे जब साफ पानी पीना ।
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बोला मिठ्ठू, प्यारी मीना.
प्यास लगे जब साफ पानी पीना ।



आज का खेल - ‘कड़ियाँ जोड़ पहेली तोड़’

१) पैर नहीं है मेरे फिर भी दूर-दूर में जाती हूँ’
दोस्त यार रिश्तेदारों को दिल का हाल बताती हूँ।

२) आज तक मुझको भेजने के तरीके हैं बहुत सारे,
लेकिन वर्षों पहले मेरी सवारी थी कबूतर प्यारे।

३) ले जाउंगी वो संदेशा जैसा तुम चाहोगे,
लेकिन जाउंगी तब जब टिकिट लगाओगे।


उत्तर- पत्र (चिठ्ठी)


मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है। यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिकसे अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में साथ है और इसके पीछे इनको लिपिबद्ध करने में लगा हुआ है। आशा है आप सभी को यह प्रयास पसंद आयेगा। फ़ेसबुक पर भी आप मीना की दुनिया को Follow कर सकते हैं।  

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