मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
41 - आज की कहानी का शीर्षक - ‘कभी बाढ़ जो आये’

मीना, भाई राजू के साथ स्कूल जा रही है।  कल रात बारिश के बाद सब कुछ बहुत सुन्दर लग रहा है ठंडी-ठंडी हवा, हरी-हरी घास .........(सामने से पोंगाराम चाचा घड़ा लेकर आ रहे हैं। )

मीना- अरे! पोंगाराम चाचा आप ये घड़ा लेकर कहाँ जा रहे हैं?
पोंगा चाचा- तुम्हारी चाची और बेला दोनों की ही तबियत ख़राब है तो मैंने सोचा क्यों न मैं ही पानी भर लाऊं।
राजू- (हा!हा!हा!).....और इसी बहाने आपकी सैर भी हो गयी सुबह-सुबह.......
पोंगा चाचा- हाँ भई राजू।

ए मीना! ( नर्स बहिन जी ने आवाज लगाई)

पोंगा चाचा- नर्स बहिन जी से याद आया की बेला ने गोली मंगाई थी। ( सोचते हुए) जिसका नाम क.......से शुरू होता है।

राजू- चाचा...........>

पोंगा चाचा- चलो नर्स बहिन जी से ही पूँछ लूँगा।  तुम लोग जाओ, स्कूल के लिए देरी हो रही है।

...........और जब मीना और राजू स्कूल पहुंचे............कक्षा  की टूटी खिड़की से बारिश का पानी अन्दर आ गया था, और क्लास में जमा हो गया था ।  चूँकि दरी को बहिनजी पहले ही मेज के ऊपर रख गयीं थी। इसलिए वह भीगने से बच गयी।  बहिन् जी बताती हैं कि यदि आने वाली स्थिति को पहले से ही सोचकर कार्य किया जाये तो परेशानी से बचा जा सकता है।


(.........सभी बच्चे पानी,क्लास से बाहर निकालने में जुट जाते हैं)

मीना- ऐसा लगता है कि क्लास में बाढ़ आ गयी है।
बहिन जी समझाती हैं की बाढ़ की स्थिति में घर या खेत में पानी भर जाता है या फिर किसी नदी का पानी आस-पास के क्षेत्र में जमा हो जाता है।

मोनू- बाढ़ आने पर हमें क्या करना चाहिए?
बहिनजी बच्चों के जबाब संकेत के माध्यम से देकर, बच्चों की मदद करती हैं।

 ‘ मैं पर्वत पर चढ़ी,
मैं गीली होने से बची’

बहिन जी समझाती हैं कि बाढ़ आने पर हमें किसी ऊँची जगह पर चले जाना चाहिए।  जरूरत का सामान (खाने,पीने की वस्तुएं इत्यादि) भी साथ ले लेना चाहिए।

(मीना पोंगाराम चाचा से हुयी बात बताती है)
बारिश में नल का पानी भी गन्दा हो जाता हैं और उसमे कीटाणु पनप जाते हैं जो हमें बीमार बना देते हैं।
एक मटका पानी में एक क्लोरीन की गोली डालकर उसे साफ बनाया जा सकता है, और आधे घंटे बाद प्रयोग में लाया जा सकता है।  क्लोरीन उपलब्ध न होने पर,पानी को उबालकर और साफ कपडे से छानकर भी प्रयोग में ला सकते हैं।


आज का गीत-

“एक मंतर ऐसा सीखा दीदी ना,
प्यास लगे जब साफ पानी पीना ।
बात ये बड़ी जरूरी भूल कभी ना,
प्यास लगे जब साफ पानी पीना ।
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बोला मिठ्ठू, प्यारी मीना.
प्यास लगे जब साफ पानी पीना ।

आज का खेल- ‘ कड़ियाँ जोड़ पहेली तोड़’

“खेतों में करता हूँ काम,
मेरी सवारी बच्चों की शान,
खेत में जोतता हूँ,
ईंधन से में चलता हूँ। ”
उत्तर- ट्रैक्टर


मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है। यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिकसे अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में साथ है और इसके पीछे इनको लिपिबद्ध करने में लगा हुआ है। आशा है आप सभी को यह प्रयास पसंद आयेगा। फ़ेसबुक पर भी आप मीना की दुनिया को Follow कर सकते हैं।  

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