मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
43 - आज की कहानी का शीर्षक- ‘कहानी दस्त की’


मीना और उसके दोस्त कबड्डी का अभ्यास कर रहे हैं।   लल्ला को यह खेल मुश्किल लगता है।  मीना,लल्ला को पैर पकड़ने की तरकीब सुझाती है।  इससे दीपू व उसकी टीम को आसानी से हरा सकेंगे।   लल्ला की एक चिंता और है, बहिनजी छः का पहाडा भी सुनेंगी।   और मैच का आयोजन कल सुबह १० बजे होना है। 

और अगले दिन......
लल्ला के खेल के मैदान पर ना पहुँचने से चिंतित मीना यह बात सुनील को बताती है और लल्ला के घर की और दौड़ लगा देती है।   

(लल्ला के घर पर)
लल्ला को पहाडा तो याद हो गया है लेकिन उसकी माँ ने खाने को अभी कुछ नहीं बनाया है।  ....इस कारण वह भूखा है।   लल्ला मीना के पूंछने पर बताता है कि माँ तो ठीक है लेकिन दस्त लग जाने के कारण मुन्ना की तबियत ठीक नहीं है।   मीना, चाची से मिलती है फिर डॉक्टर बाबू को बुलाने चली जाती है। 

डॉक्टर बाबू- क्या हुआ मुन्ना को?
लल्ला की माँ- (रोते-रोते) कल रात से दस्त हो रहे हैं।
डॉक्टर बाबू- मुन्ना कितने साल का है?
लल्ला की माँ- ९ महीने का।
डॉक्टर बाबू- खाने में क्या दिया?

लल्ला की माँ ने, मुन्ना को दस्त की शिकायत होने के कारण खाने को कुछ नहीं दिया। 

डॉक्टर बाबू समझाते हैं कि दस्त में भी बच्चे को सही खुराक मिलना बहुत जरूरी है क्योंकि दस्त के कारण शरीर में पौष्टिक तत्वों की कमी हो जाती है।   

(मीना याद दिलाती है कि रानी को दस्त लगने पर ORS घोल दिया था, और खाने को खिचड़ी दी थी) 
 डॉक्टर बाबू बताते हैं कि ऐसी स्थिति में हल्का खाना जैसे दाल, दलिया और खिचड़ी इत्यादि एक डेढ़ घंटे पर खिलाते रहना चाहिए ताकि शरीर को ताकत मिलती रहे।
लल्ला- माँ मुझे भूख लगी है।
डॉक्टर बाबू- हाँ, (लल्ला की माँ से) दोनों बच्चों को दलिया बनाकर खिलाओ।
लल्ला की माँ- जी, डॉक्टर बाबू।
और........मैच के मुकाबले में मीना की टीम जीत जाती है।



आज का गीत-
“मेरे पीछे दौड़ा भालू
उसके पीछे दौड़ी गुडिया,
.................................
आओ बैठ जाये और एक कहानी सुनायें
बन्दर की ना राजा की कहानी तो है दस्त की
.......................................



आज का खेल- ‘दिमाग लगाओ शब्द बनाओ’

शब्द- पत्थर ‘

प’- पानी
मुहाबरा- पानी-पानी होना।  (लज्जित होना)
‘त’- तिल
मुहाबरा- तिल का ताड़ बनाना।   (छोटी सी बात को बड़ी बना देना)
‘थ’- थाली
मुहाबरा- थाली का बैंगन होना (ऐसा व्यक्ति जिसके कोई सिद्धांत ना हो)
‘र’- रात
मुहाबरा- दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करना।



मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है। यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिकसे अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में साथ है और इसके पीछे इनको लिपिबद्ध करने में लगा हुआ है। आशा है आप सभी को यह प्रयास पसंद आयेगा। फ़ेसबुक पर भी आप मीना की दुनिया को Follow कर सकते हैं।  

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