प्रोजेक्ट विधि

प्रोजेक्ट (योजना) विधि शिक्षण की नवीन विधि मानी जाती है। इसका विकास शिक्षा में सामाजिक प्रवृत्ति के फलस्वरूप हुआ। शिक्षा इस प्रकार दी जानी चाहिए जो जीवन को समर्थ बना सके। इसके प्रवर्तक जान ड्यूबी के शिष्य डब्ल्यू0एच0 किलपैट्रिक थे। यह विधि अनुभव केन्द्रित होती है। यह बालकों के समाजीकरण पर विशेष बल देती है।

योजना विधि में छात्रों के जीवन से संबंधित समस्याओं को वास्तविक रूप में प्रस्तुत किया जाता है। छात्र समस्या की अनुभूति करते हैं। समस्या समाधान की योजना तैयार की जाती है। इसके लिए अनेक सूचनाओं को एकत्रित किया जाता है। शिक्षक केवल निर्देशक / सुगमकर्ता का कार्य करता है। छात्र स्वंय विषय वस्तु सामग्री का अध्ययन करके समस्या का समाधान करते है।

विद्यार्थियों को क्रियात्मक रूप से विभिन्न विषयों का ज्ञान प्राप्त करने की दिशा में योजना पद्धति (प्रोजेक्ट मेथेड) का बहुत महत्व है। इस पद्धति की विशेषताओं को जानने से पहले हमें इसकी आवश्यकताओं तथा योजना शब्द के अर्थ से परिचित होना आवश्यक है।
 प्रोजेक्ट (Project) शब्द की परिभाषा-
"A Project is a whole hearted purposeful activity proceeding in a social environment." -W.H. Kilpatrick
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थामस और लैंग के अनुसार-
“प्रोजेक्ट इच्छानुसार ऐसा कार्य है जिसमें रचनात्मक प्रयास अथवा विचार हो और जिसका कुछ सकारात्मक परिणाम हो”

प्रोफेसर स्टीवेन्सन के अनुसार-
प्रोजेक्ट एक समस्या मूलक कार्य है जो अपनी स्वाभाविक परिस्थितियों के अंतर्गत पूर्णता को प्राप्त करता है।

The project method is a medium of instruction which was introduced during the 18th century into the schools of architecture and engineering in Europe when graduating students had to apply the skills and knowledge they had learned in the course of their studies to problems they had to solve as practicians of their trade.

Students in a project method environment should be allowed to explore and experience their environment through their senses and, in a sense, direct their own learning by their individual interests. Very little is taught from textbooks and the emphasis is on experiential learning, rather than rote and memorization. A project method classroom focuses on democracy and collaboration to solve "purposeful" problems.


योजना पद्धति के अंतर्गत योजना निर्माण का प्रमुख स्थान है। हम अपने कार्यों के निष्पादन हेतु योजना का निर्माण करते है। उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आपके विद्यालय में बाल दिवस के अवसर पर बाल मेला
लगना है और आप को उसमें एक स्टाल लगाना है। आपके सम्मुख यह एक समस्या है और इसके लिये आपको कितने ही कार्य करने पडे़गें: -

सर्वप्रथम आपको यह विचार करना पडे़गा कि आप किस सामान का स्टाल लगायेगें, सामान की व्यवस्था कहॉं से करेगें, सामान को स्टाल में रखने हेतु क्या व्यवस्था करेगें। आपकी टीम में कौन-कौन होगा, धन की व्यवस्था कहॉं से करेगें। बेचने खरीदने की क्रिया के उपरान्त हिसाब किताब कैसे रखेगें आदि।

ऐसे ही कार्य या समस्या को हल करने के लिये व्यक्ति स्वाभाविक रूप से इच्छुक रहता है और जिसका निष्कर्ष वह अपने परिश्रम द्वारा निकालता है इस प्रक्रिया को प्रोजेक्ट अथवा योजना कहते है। अतः प्रोजेक्ट एक जीवन अनुभव है जो एक प्रबल इच्छा से प्रेरित होता है और इस इच्छा का प्रयोग ही प्रोजेक्ट पद्धति का आधार है।

प्रोजेक्ट पद्धति का महत्व-

  • - विद्यालय के वातावरण को रोचक बनाने हेतु
  • - शिक्षार्थी द्वारा सीखे हुए ज्ञान का दैनिक जीवन में उपयोग करने हेतु
  • - शिक्षार्थी को सक्रिय रखने तथा विद्यालय के कार्यों में रूचि लेने हेतु
  • - बालक की रूचियों, प्रवृत्तियों तथा आवश्यकताओं में सामंजस्य बिठाने हेतु

अतः प्रोजेक्ट पद्धति में कार्य की एक योजना होती है। उस कार्य का कोई एक उद्देश्य होता है। उसकी कार्य प्रणाली कार्य करते समय स्पष्ट होती है और उस कार्य को करने में स्वाभाविक रूचि होती है। बच्चों के सम्मुख एक समस्या प्रस्तुत कर दी जाती है और वे उस समस्या को सुलझाने में प्रयत्नशील रहते है। समस्या का समाधान करने हेतु बच्चों को विषयों के ज्ञान की भी आवश्यकता पड़ती है इसलिए विद्यार्थियों को अपनी रूचि और इच्छानुसार विषयों का ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिलता है जिससे वे रूचिपूर्वक विभिन्न विषयों का ज्ञान प्राप्त कर लेते है।

नवाचारी शिक्षण (Innovative Teaching) पर यह सीरीज क्रमश: जारी  है!

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