विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा अब किसी रहम या अनदेखी का विषय नहीं, बल्कि उनका अधिकार है! सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने विशेष शिक्षकों को वह सम्मान और सुरक्षा दी है, जिसके वे हकदार थे। अब जरूरत है कि यह निर्णय कागज़ों से निकलकर जल्द से जल्द ज़मीनी हकीकत बने!
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय लायेगा विशेष शिक्षकों के लिए सम्मान और स्थिरता के साथ विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (स्पेशल चिल्ड्रेन) की शिक्षा के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जो शिक्षा जगत में एक सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इस फैसले के अनुसार, संविदा या दैनिक आधार पर कार्यरत विशेष शिक्षकों को स्थायी शिक्षकों के समान वेतन और भत्ते प्रदान किए जाएंगे, बशर्ते वे आवश्यक योग्यता रखते हों। साथ ही, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को विशेष शिक्षकों के पद सृजित करने और शीघ्र नियुक्ति करने का आदेश दिया गया है।
एक शिक्षक के दृष्टिकोण से, यह निर्णय न केवल विशेष शिक्षकों के लिए सम्मान और स्थिरता लाएगा, बल्कि विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार करेगा। विशेष शिक्षक, जो अब तक अस्थायी आधार पर कार्यरत थे, अक्सर आर्थिक असुरक्षा और अस्थिरता का सामना करते थे, जिससे उनकी कार्य क्षमता प्रभावित होती थी। इस फैसले से उन्हें न केवल आर्थिक सुरक्षा मिलेगी, बल्कि वे अपने कार्य में अधिक समर्पण और उत्साह के साथ योगदान दे सकेंगे।
विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा में विशेष शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। ये शिक्षक न केवल शैक्षणिक सामग्री को बच्चों की आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित करते हैं, बल्कि उनके समग्र विकास में भी सहायता करते हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय सुनिश्चित करेगा कि ऐसे बच्चों को योग्य और समर्पित शिक्षक मिलें, जो उनकी विशेष आवश्यकताओं को समझते हुए उन्हें उचित शिक्षा प्रदान कर सकें।
इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट ने प्राथमिक विद्यालयों में 1:10 और मध्य एवं माध्यमिक विद्यालयों में 1:15 के शिक्षक-छात्र अनुपात के अनुसार विशेष शिक्षकों के पद सृजित करने का निर्देश दिया है। यह कदम सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक विशेष आवश्यकता वाले बच्चे को पर्याप्त ध्यान और सहायता मिल सके, जिससे उनकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
इस निर्णय का प्रभाव विशेष रूप से उन राज्यों में महत्वपूर्ण होगा जहां विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की संख्या अधिक है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में ऐसे बच्चों की संख्या 3,01,718 है, जबकि पश्चिम बंगाल में 1,35,796 और केरल में 1,20,764 बच्चे विशेष आवश्यकता वाले हैं। इन राज्यों में विशेष शिक्षकों की नियुक्ति से इन बच्चों की शिक्षा में सुधार होगा और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल होने में सहायता मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश तीन सप्ताह के भीतर विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को समुचित शिक्षा देने के लिए स्वीकृत पदों की संख्या के साथ अधिसूचना जारी करें। इसके बाद, 28 मार्च, 2025 तक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी करने का आदेश दिया गया है। यह समयसीमा सुनिश्चित करती है कि प्रक्रिया में देरी न हो और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को शीघ्र ही योग्य शिक्षक मिल सकें।
इस फैसले का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह संविदा पर कार्यरत विशेष शिक्षकों को स्थायी शिक्षकों के समान वेतन और भत्ते प्रदान करने का आदेश देता है। यह कदम न केवल शिक्षकों के मनोबल को बढ़ाएगा, बल्कि उन्हें अपने कार्य में निरंतरता और स्थिरता प्रदान करेगा, जिससे वे बच्चों की शिक्षा में अधिक प्रभावी रूप से योगदान दे सकेंगे।
एक शिक्षक के रूप में, मैं इस निर्णय का पूर्ण समर्थन करता हूँ और आशा करता हूँ कि सभी संबंधित राज्य और केंद्रशासित प्रदेश इस पर शीघ्रता से अमल करेंगे। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा में सुधार के लिए यह आवश्यक है कि योग्य और समर्पित शिक्षकों की नियुक्ति की जाए, जो उनकी विशेष आवश्यकताओं को समझते हुए उन्हें उचित शिक्षा प्रदान कर सकें। इसके लिए, सरकारों को न केवल पद सृजित करने और नियुक्ति प्रक्रिया को शीघ्रता से पूरा करने की आवश्यकता है, बल्कि विशेष शिक्षकों के प्रशिक्षण और विकास पर भी ध्यान देना चाहिए, ताकि वे बच्चों की आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से समझ सकें और उन्हें उचित शिक्षा प्रदान कर सकें।
अंत में, सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह सुनिश्चित करेगा कि इन बच्चों को योग्य और समर्पित शिक्षक मिलें, जो उनकी आवश्यकताओं को समझते हुए उन्हें उचित शिक्षा प्रदान कर सकें। सभी संबंधित पक्षों को इस निर्णय का स्वागत करना चाहिए और इसे शीघ्रता से लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए, ताकि विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके और वे समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।
✍️ लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर
परिचय
बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।
शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।
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