मत यकीन कर हाथों की लकीरों पर,
किस्मत उनकी भी होती है, जिनके हाथ नहीं होते।
इसलिए जिंदगी किस्मत के सहारे छोडने की बजाए, कर्म पर विश्वास करो। जब तक दूसरों के सहारे रहोगे, तब तक बेबसी पीछा नहीं छोडने वाली।
कहीं पढ़ा था ....
वो बेल कभी न होना तुम
जो परवान चढ़े
दूसरों के सहारे!
जो परवान चढ़े
दूसरों के सहारे!
स्वागत है त्रिवेदी जी! प्रेरणादायक!
ReplyDeleteवाह मन में ओज भरने वाली पोस्ट !
ReplyDeleteहमको जो मिला है उसको भूलकर, जो नहीं मिला है उसमें परेशान रहते हैं। उत्साह भर गया।
ReplyDeleteये तो बहुत बढिया बात कह दी मास्साब जी ने!
ReplyDeleteज़बरदस्त प्रेरणादायी बात !
ReplyDeleteहुज़ूर आते-आते बहुत देर कर दी !
शायद फायरफोक्स पर तकनीकी त्रुटि के कारण आप संलग्न वीडियो नहीं देख सकें | कृपया पुनः यहाँ देख सकते हैं| अपंगता के बावजूद बेबसी छोड़ अपने पर विश्वास का अद्भुत उदाहरण लगते है ....वीडियो में दिखाए गए शख्स|
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteसमाज का सहयोग और (अभावपूरक) साधनों की उपलब्धता मनोबल को ऊँचा उठा ही देते हैं..
ReplyDeleteचाहे फिर वह होकिंस जैसा वैज्ञानिक ही क्यों न हो...
भारत के अष्टावक्रों का पूरा जीवन तो आर्थिक संघर्षों में ही बीतता है. प्रतिभा को निखारने का अवसर ही नहीं मिलता.
मत यकीन कर हाथों की लकीरों पर,
ReplyDeleteकिस्मत उनकी भी होती है, जिनके हाथ नहीं होते।
यह शेर चुरा कर ले जा रहा हुं, इतनी सुंदर सुंदर बाते लिखि आप ने धन्यवाद
प्रेरणादायक प्रस्तुति|
ReplyDeleteway4host
प्रेरणादायक!
ReplyDeleteबहुत ही प्रेरणादायक बात कही मास्साब!
ReplyDeleteबेल न बन वृक्ष की दृढ़ता पैदा करना ही कर्म है॥
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteवाह आज की बेहतरीन पंक्तियाँ...
ReplyDeleteबांटने के लिए धन्यवाद!
प्रवीण त्रिवेदी जी,
ReplyDeleteनमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम"के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|
VERY GOOD..
ReplyDelete