मत यकीन कर हाथों की लकीरों पर,
किस्मत उनकी भी होती है, जिनके हाथ नहीं होते।




इसलिए जिंदगी किस्मत के सहारे छोडने की बजाए, कर्म पर विश्वास करो। जब तक दूसरों के सहारे रहोगे, तब तक बेबसी पीछा नहीं छोडने वाली।


कहीं पढ़ा था ....  

वो बेल कभी न होना तुम

जो परवान चढ़े

दूसरों के सहारे!

Post a Comment

  1. स्वागत है त्रिवेदी जी! प्रेरणादायक!

    ReplyDelete
  2. वाह मन में ओज भरने वाली पोस्ट !

    ReplyDelete
  3. हमको जो मिला है उसको भूलकर, जो नहीं मिला है उसमें परेशान रहते हैं। उत्साह भर गया।

    ReplyDelete
  4. ये तो बहुत बढिया बात कह दी मास्साब जी ने!

    ReplyDelete
  5. ज़बरदस्त प्रेरणादायी बात !
    हुज़ूर आते-आते बहुत देर कर दी !

    ReplyDelete
  6. शायद फायरफोक्स पर तकनीकी त्रुटि के कारण आप संलग्न वीडियो नहीं देख सकें | कृपया पुनः यहाँ देख सकते हैं| अपंगता के बावजूद बेबसी छोड़ अपने पर विश्वास का अद्भुत उदाहरण लगते है ....वीडियो में दिखाए गए शख्स|

    ReplyDelete
  7. अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

    ReplyDelete
  8. समाज का सहयोग और (अभावपूरक) साधनों की उपलब्धता मनोबल को ऊँचा उठा ही देते हैं..
    चाहे फिर वह होकिंस जैसा वैज्ञानिक ही क्यों न हो...
    भारत के अष्टावक्रों का पूरा जीवन तो आर्थिक संघर्षों में ही बीतता है. प्रतिभा को निखारने का अवसर ही नहीं मिलता.

    ReplyDelete
  9. मत यकीन कर हाथों की लकीरों पर,
    किस्मत उनकी भी होती है, जिनके हाथ नहीं होते।
    यह शेर चुरा कर ले जा रहा हुं, इतनी सुंदर सुंदर बाते लिखि आप ने धन्यवाद

    ReplyDelete
  10. प्रेरणादायक प्रस्‍तुति|
    way4host

    ReplyDelete
  11. बहुत ही प्रेरणादायक बात कही मास्साब!

    ReplyDelete
  12. बेल न बन वृक्ष की दृढ़ता पैदा करना ही कर्म है॥

    ReplyDelete
  13. वाह आज की बेहतरीन पंक्तियाँ...
    बांटने के लिए धन्यवाद!

    ReplyDelete
  14. प्रवीण त्रिवेदी जी,
    नमस्कार,
    आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम"के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|

    ReplyDelete

 
Top