शिक्षक मांग रहे ‘माहौल’ मिलते नित नए फरमान!, एक शिक्षक की जान पर 33 काम, गैर शैक्षणिक कार्यो ने बढ़ाई मुश्किलें

 
 
दशकों पहले शिक्षकों के पास न तो मिड डे मील था और न ही पोलियो जैसे अभियान। न डीएम का डर था और न विभाग के हाकिम का। अब मामला बदला है। स्कूलों में शिक्षकों को पहले से आदेशों की पोटली थमा दी गई है। बता दिया गया है कि आज यह करना है, कल वह करना है। शिक्षक कई औपचारिकताओं और गैर सरकारी कार्यो के बीच उलझ कर रह गए हैं।


एक शिक्षक की जान पर 33 काम: शिक्षकों पर हाउस होल्ड सर्वे, स्कूल चलो अभियान रैली एवं अभिभावक संपर्क, छात्रों का प्रेरणा पोर्टल पर विवरण फीडिंग, अभिभावकों के बैंक खातों को ऐप में फीडिंग, ड्रेस पहने हुए बच्चों की फोटो अपलोड, मिड डे मील के अन्तर्गत प्रतिदिन व्यवस्था, कम्पोजिट ग्रांट से खरीद, एसएमसी की बैठक , पीटीए की बैठक, रसोइयों का चयन, एसएमसी के खाते का प्रबंधन, मिड डे मील के खाते का प्रबंधन, बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी, पोलियों कार्यक्रम में प्रतिभाग, बीएलओ ड्यूटी में प्रतिभाग, चुनाव ड्यूटी, जनगणना, संकुल व बीआरसी की मासिक मीटिंग, वित्तीय खातों का हिसाब किताब रखना, सभी विद्यालय अभिलेख तैयार करना, विद्यालय की रंगाई पुताई, मिशन शक्ति के कार्यक्रम, अमृत महोत्सव कार्यक्रम संचालित करना, स्कूल रेडीनेस कार्यक्रम, समृद्ध कार्यक्रम, डीएम एवं स्थानीय स्तर पर दिए गए काम, स्कूली पाठ्यक्रम, विद्यालय प्रबंधन, परीक्षाएं आयोजित कराना एवं रिकार्ड रखना, योजनाओं के स्कूल में क्रियान्वयन की समीक्षा, शिक्षक डायरी भरना, टीएलएम की तैयारी और शिक्षण योजनाओं का निर्माण कराने की जिम्मेदारी लाद दी जाती है।



शिक्षकों के गैर शैक्षणिक कार्यो ने बढ़ाई मुश्किलें:सरकार व विभाग के तमाम दावों के बावजूद बेसिक शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्यों में उलझे दिख रहे हैं। पिछले सत्र से तो डीबीटी ऐप के जरिए उन्हीं के मोबाइल व इंटरनेट डाटा से क्लर्क सरीखे काम लिए जा रहे हैं। खातों की फीडिंग, बच्चों की फोटो अपलोड व सत्यापन जैसे काम दिन भर किए जा रहे हैं। डीबीटी ऐप पर कई काम उनका इंतजार कर रहे हैं।


आदेशों की पोटली में दबे हैं शिक्षक:सूत्र बताते हैं कि शायद ही ऐसा कोई दिन होता होगा जब कोई नया आदेश सामने न आता होगा। एक आदेश पर अमल नहीं हो पाता, दूसरा हाजिर हो जाता है। शिक्षक सूचनाएं देते परेशान हैं।


✍️  अमित कुमार मिश्र

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