क्या बंधनमुक्त विचारों का दीपस्तंभ होने के बजाय, बंधनों में जकड़ा हुआ पुतला बन गए  हैं शिक्षक?  क्या केवल पाठ्यक्रम का रोबोट बनकर रह गए हैं शिक्षक?


यह सच है कि शिक्षकों का जीवन, जो एक बंधनमुक्त विचारों का दीपस्तंभ होना चाहिए, आज कई बंधनों में जकड़ा हुआ लगता है। सरकारी नियंत्रण, पाठ्यक्रम का दबाव, और सामाजिक दबाव, शिक्षकों की स्वतंत्र सोच को कुचल रहे हैं।


यह भी सच है कि शिक्षकों पर कई तरह के दबाव होते हैं। पाठ्यक्रम को पूरा करने का दबाव, परीक्षाओं में अच्छे परिणाम लाने का दबाव, और अभिभावकों की अपेक्षाओं को पूरा करने का दबाव। इन दबावों के कारण शिक्षक कई बार पाठ्यक्रम से बंधे रह जाते हैं और अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग नहीं कर पाते हैं।


लेकिन यह कहना गलत होगा कि शिक्षक केवल पाठ्यक्रम का रोबोट बनकर रह गए हैं। ऐसे कई शिक्षक हैं जो इन दबावों के बावजूद भी अपनी स्वतंत्र सोच का प्रयोग करते हैं और छात्रों को रटने के बजाय समझने पर ध्यान देते हैं।


यह भी सच है कि शिक्षकों के पास पहले की तुलना में कम स्वतंत्रता है। पहले शिक्षक अपनी रचनात्मकता और कल्पना का प्रयोग करके छात्रों को पढ़ाते थे। लेकिन आजकल पाठ्यक्रम और परीक्षाओं पर बहुत अधिक ध्यान दिया जाता है।


लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि शिक्षकों के पास कोई स्वतंत्र विचार नहीं है। शिक्षक अभी भी अपनी रचनात्मकता का प्रयोग करके छात्रों को पढ़ा सकते हैं। वे छात्रों को रटने के बजाय समझने पर ध्यान दे सकते हैं।


यह शिक्षकों पर निर्भर करता है कि वे इन दबावों का सामना कैसे करते हैं। यदि वे इन दबावों के आगे झुक जाते हैं तो वे केवल पाठ्यक्रम का रोबोट बनकर रह जाएंगे। लेकिन यदि वे इन दबावों का सामना करते हैं और अपनी स्वतंत्र सोच का प्रयोग करते हैं तो वे छात्रों के लिए प्रेरणा बन सकते हैं।


यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जो शिक्षकों को अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग करने और छात्रों को रटने के बजाय समझने पर ध्यान देने में मदद कर सकते हैं:

पाठ्यक्रम से बाहर भी सोचें: शिक्षकों को केवल पाठ्यक्रम तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। उन्हें अपने विषय से संबंधित अन्य जानकारी भी छात्रों को बतानी चाहिए।

छात्रों को प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करें: शिक्षकों को छात्रों को प्रश्न पूछने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे छात्रों की सोचने की क्षमता विकसित होगी।

रचनात्मक शिक्षण विधियों का प्रयोग करें: शिक्षकों को रचनात्मक शिक्षण विधियों का प्रयोग करना चाहिए। इससे छात्रों की रुचि बढ़ेगी और वे बेहतर तरीके से समझ पाएंगे।

अन्य शिक्षकों के साथ सहयोग करें: शिक्षकों को अन्य शिक्षकों के साथ सहयोग करना चाहिए। इससे वे एक दूसरे से सीख सकते हैं और अपने शिक्षण को बेहतर बना सकते हैं।


यह शिक्षकों के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय है। लेकिन यदि वे इन चुनौतियों का सामना करते हैं और अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग करते हैं तो वे छात्रों के लिए प्रेरणा बन सकते हैं और उन्हें बेहतर इंसान बनाने में मदद कर सकते हैं।



✍️  लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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