मीना
की दुनिया-रेडियो प्रसारण
एपिसोड-67
दिनांक-30/01/2016
आज की
कहानी का शीर्षक- “ तारा का रिश्ता”
(दृश्य-1)
मीना राजू स्कूल में क्रिकेट की अपनी टीम को बाँट रहे है। आखिर में कृष्णा
और पाशा बचते हैं। चुनने का नंबर मीना का है। कृष्णा विकलांग है अत: मीना की टीम
के सभी लोग चाहते है की मीना पाशा भैया को अपनी टीम में शामिल करे।
......पर मीना सोच में पड़ जाती है आखिर
कृष्णा मीना का अच्छा दोस्त भी तो है। तभी स्कूल की छुट्टी हो जाती है और मीना को
सोचने को एक
दिन और मिल जाता है।
(दृश्य-2)
शाम को मीना
चौपाल की तरफ जाती है वहीं रास्ते में कृष्णा पेड़ के पास निशाना लगाते दिखता है।
मीना कृष्णा को निशाना लगाने को कहती है। कृष्णा बिल्कुब सही जगह निशाना लगाता है।
मीना कृष्णा की तारीफ करती है तभी राजू दौड़ा दौड़ा मीना के पास आता है और घर में
आने वाले मेहमान से मिलने को कहता है। मीना कृष्णा को नए मेहमान से मिलने को कहती
है और बताती है कि सरपंच जी ने इन्हें अपनी गाँव में बनने वाले पुस्तकालय की नीव
रखने को बुलाया है..... पर कृष्णा कहता है कि माँ चिंता करेंगी मुझे अपने घर चलना
चाहिए। कल स्कूल में मिलने को कह के कृष्णा घर चला जाता है। तब मीना और राजू दौड़
के घर पहुंचते है।
(दृश्य-3)
मीना
की माँ मीना और राजू को हाँथ मुंह धुल कर मेहमान जो कि मीना के बाबूजी के बचपन के
दोस्त है,से मिलने को कहती है और ये भी बताती है कि वो क्रिकेट के एक अच्छे
ख़िलाड़ी भी है। मीना राजू जब मेहमान से मिलने जाते है तो मीना के बाबूजी मेहमान से मीना और राजू से परिचय कराते हुए
बताते है की ये है मीना और राजू और ये मेरा बचपन का दोस्त संजय।
राजू संजय चाचा को देख कर कहता है ये
क्रिकेट कैसे खेलते होंगे ये तो देख ही नहीं सकते। तब संजय चाचा और मीना के बाबूजी
बातचीत में बताते हैं कि संजय चाचा जब तुम्हारी उम्र (10 वर्ष)के थे तब
एक दुर्घटना में इनकी आंखे न रही।
दुर्घटना के पहले संजय बहुत अच्छा
क्रिकेट खेलता था पर इस दुर्घटना के बाद संजय चाचा के जीने का मकसद ही ख़त्म हो गया
था। पर हमारी टीचर बहनजी जो बहुत समझदार थी, एक दिन मुझे ले
कर संजय के घर पहुंची। उनके हाँथ में एक गेंद थी जिसमे घुंघरू की तरह की आवाज़
निकलती थी। बहनजी ने वो गेंद संजय की तरफ फेंकी और जोर से बोली संजय पकड़ो इस गेंद
को।
और फिर क्या संजय ने उसी फुर्ती से उस
गेंद को पकड़ लिया जैसे वो पहले पकड़ता था। संजय को बहनजी न नेत्रहीनों के क्रिकेट
खेलने को बताया जो आवाज़ के द्वारा क्रिकेट खेल सकते हैं।
फिर क्या मीना के बाबूजी संजय चाचा को
रोज सुबह शाम क्रिकेट का अभ्यास कराते। और
कुछ ही दिनों में संजय चाचा कुछ कठिनाइयों के बाद फिर से उसी तरह क्रिकेट खेलनें
लगे।
(दृश्य-4)
मीना के स्कूल में बहनजी मीना से
पूंछती हैं कि पाशा और कृष्णा में से तुम किसे चुनोंगी तो मीना कृष्णा को अपनी टीम
में शामिल करने का फैसला करती है। मीना की टीम के सारे बच्चे इस फैसले से खुश न होते।
तब मीना कहती है कि उसका निशाना बहुत अच्छा है बालिंग में वो अच्छी विकटें ले सकता
है और वैटिंग के समय उसके दौड़ के लिए रनर रख लेंगे।
मीना के इस फैसले पर बहन जी बहुत खुश
होती है और सब बच्चों से कहती हैं कि जाति,शारीरिक अक्षमता या किसी अन्य कारण से
किसी को छोटा बड़ा,या कमजोर-मजबूत नहीं समझना चाहिए। सब को सामान
अवसर मिलने चाहिए।अवसर मिलने पर कोई भी अच्छा कर सकता है।बहनजी मीना से कहती है कि कृष्णा को अभ्यास कराओ
देखना तुम्हारी टीम जरुर जीतेगी।
मीना,मिठ्ठू की कविता-
जैसे कि सब
बच्चे देते टीचर को हर बार।
टीचर को भी
चाहिए देना हर बच्चे को प्यार।।
आज का गाना-
मुर्गा बोले
कुकड़ू कुकड़ू सब ने ली अंगड़ाई।
टन टन टन टन बोली घंटी बच्चों ने है बजाई।
सुबह हो गई
जल्दी जागो नहा के धो के स्कूल को भागो।
सब मिलेंगे मजे
करेंगे दौड़ो दौड़ो भागो भागो।-2
क्या किया?कल
स्कूल में क्या किया? क्या किया-3
कलरव ने ली मीठी
एक पहेली वहीं बनाई मैंने एक पहेली।
अब तो छाता
रस्ता शेर बनाना मेरी सहेली ने सिखलाया गाना।
गाना? कौन
सा गाना?- वही तो
सुबह हो
गई...........
क्या किया
.........
खाने को जो आवाज़
लगाई हम सब ने तो खूब बनाई
हम सबने तो
मिलकर खाया खाना और हमने मिलकर गाया गाना।
गाना? कौन
सा गाना?---- वाही तो
सुबह हो
गई.............
आज का खेल- ‘नाम अनेक अक्षर एक’
अक्षर-"भ"
·
व्यक्ति-भीम सिंह जोशी(शास्त्रीय गायक)
·
स्थान-भिलाई(इस्पात कारखाना का सबसे
बड़ा केंद्र)
·
जानवर-भालू
वस्तु- भाला
आज की कहानी का सन्देश-
“जाति,विकलांग
बोलकर न किसी का उड़ना उल्लास।
मौका सहयोग अभ्यास करा कर बढाओ
उनका विश्वास।।’’
शिक्षा-जाति या शारीरिक कमियों से किसी की
गुणवत्ता को नहीं आंकना चाहिए।
नोट- कहानी का शीर्षक, कहानी के अनुरूप न होने की स्थिति में सुधार कर पढ़ें| यहाँ शीर्षक मुद्रित ब्रॉडकॉस्ट शेड्यूल 2015-16 के अनुसार दिया जा रहा है|
नोट- कहानी का शीर्षक, कहानी के अनुरूप न होने की स्थिति में सुधार कर पढ़ें| यहाँ शीर्षक मुद्रित ब्रॉडकॉस्ट शेड्यूल 2015-16 के अनुसार दिया जा रहा है|
मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है। यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिकसे अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में साथ है और इसके पीछे इनको लिपिबद्ध करने में लगा हुआ है। आशा है आप सभी को यह प्रयास पसंद आयेगा। फ़ेसबुक पर भी आप मीना की दुनिया को Follow कर सकते हैं।
Post a Comment