ब्रिसबेन की एक 30 साल की टीचर कैथी मारगोलिस ने हाल ही में एक लेटर लिखा जिसमें उन्होंने अपने टीचिंग प्रफेशन की उलझनों के बारे में बताया है। उनका यह लेटर सोशल मीडिया पर पूरी तरह से वायरल हो गया। इसके 20 हजार से ज्यादा शेयर हो चुके हैं। पेश हैं  इसके खास हिस्से:



अपने प्रफेशन में इससे पहले मैंने कभी इतना तनाव महसूस नहीं किया। मैं खुद भी तनाव में हूं और जिन बच्चों को पढ़ाती हूं, वे भी। मैं एक ऐसी जॉब को जारी नहीं रखना चाहती जिसमें मुझे ऐसे काम करने पड़ें जो मेरी मूल फिलॉसफी के खिलाफ हैं।


आमतौर पर टीचिंग प्रफेशन के बारे में लोगों की धारणा होती है कि इसमें कम घंटे काम करना पड़ता है और छुट्टियां भी खूब मिलती हैं, लेकिन वे लोग ये नहीं जानते कि स्कूल में बिताए गए घंटों के अलावा भी टीचर्स को बहुत सारे काम करने पड़ते हैं। उन्हें कैंप्स जाना पड़ता है, पैरंट्स टीचर्स मीटिंग अटैंड करनी पड़ती हैं। इसके अलावा लेसन की तैयारी, मार्किंग और रिपोर्ट कार्ड आदि बनाने के काम तो होते ही हैं। टीचर्स को हफ्ते में 25 घंटे के लिए ही सैलरी दी जाती हैं।


क्लासरूम में हमें अलग-अलग तरह के बच्चे पढ़ाने को मिलते हैं जिनकी जरूरतें अलग-अलग होती हैं। हमसे उम्मीद की जाती है कि हम हर बच्चे की जरूरत का ख्याल रखें। अच्छे टीचर्स इस काम को पूरे दिल से करते हैं, लेकिन चूंकि यह काम नामुमकिन सा है इसलिए उन्हें कई बार अपराध बोध भी होता है। जो कोर्स है वह बच्चों को गैर-जरूरी तरीके से प्रभावित करता है।

मैंने बहुत सारे बच्चों को जबर्दस्त तनाव में पाया है। इससे मुझे बड़ा दुख होता है। सब कुछ मार्क्स पर आधारित हो गया है। हम उन्हें ज्यादा से ज्यादा नंबर लाने के लिए दबाव बनाते रहते हैं। मैंने यह खत इसलिए लिखा है कि मेरे जैसे बहुत से टीचर इन परेशानियों के महसूस करने के बावजूद नौकरी जाने के डर से अपनी जुबान नहीं खोल रहे हैं। बच्चों पर ज्यादा नंबर लाने और ज्यादा पढ़ाई करने का दबाव मैंने कई बार डाला है। इसके लिए मैं उनसे माफी मांगती हूं। मैं बस बच्चों से यही कहना चाहती हूं कि मैं उनसे बेहद प्यार करती हूं और बड़े ही दुखी मन से मैंने इस नौकरी को छोड़ने का फैसला किया है। 
"आपकी बात" में आज 'कैथी मारगोलिस'

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  1. बेहद उबाऊ पेशा हो चला है टीचिंग का काम : शिक्षण कार्य को छोड़ चुकी टीचर के पत्र के अंश से

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