मीना
की दुनिया-रेडियो प्रसारण
एपिसोड-71
दिनांक-05/02/2016
आज की कहानी का शीर्षक- “मैं भूल गई”
मिली
मीना की सहेली है। मिली की माँ उसे
एक कागज़ और पेंसिल लाने को कहती है।
मिली:
अरे माँ! अभी तो पढ़ाई की है मैंने।
माँ
(हँसते हुए) "मैं पढ़ने के लिए नहीं कह रही हूँ, बल्कि लाला की दुकान से जो सामान
लाना है वो लिखने को कह रही हूँ।"
मिली:
लिखना क्या ? ऐसे
ही बोलो न माँ,............मैं ऐसे ही ले आऊँगी ......... मुझे सब याद
रहता है। आप बोलो तो।
माँ:
अच्छा बाबा.......अच्छा
1/2 किलो आटा, दो मुट्ठी धनिया, दो साबुन, एक झाड़ू ......... और ......... और
पैकेट वाला नमक ले आ।
मिली
: देखा सब याद हो ही गया ......(झट से पूरी लिस्ट दोहरा देती है)
माँ:
अच्छा अच्छा, अब जा, और सामान लेकर जल्दी लौटना।
मिली
सामान की लिस्ट दोहराते हुए जा रही है। तभी मीना, ऊपर आम के पेड़ से उसे आवाज़ लगाती है।
मिली:
तुम कहाँ हो मीना ?
मीना:
मैं यहाँ हूँ मिली, ऊपर
देखो, आम
के पेड़ पर।
मिली
: अरे मीना ! तुम पेड़ पर चढ़ कर क्या कर रही हो?
मीना:
मीठे मीठे आम तोड़ रही हूँ। तुम भी आओ न।
मिट्ठू
भी मिली को पेड़ पर आने को कहता है।
मिली:
नहीं मीना अभी नहीं, अभी
मुझे लालाजी की दुकान पर सामान लेने जाना है।
मीना:
तो ठीक है, मै
भी तुम्हारे साथ चलती हूँ। मुझे भी पानी भरने उसी तरफ जाना था। तुम एक मिनट रुको
मिली। (मीना सरपट पेड़ से नीचे उतर कर घड़ा लेने जाती है।)
इतने
मिली सामान दोहराती है। (मिली की माँ को जिस बात का डर था वही हुआ, मिली सब भूल गयी) ...............
आधा
किलो धनिया, दो
मुठ्ठी नमक, दो
साबुन, एक
झाड़ू और पैकेट वाला आटा।
मीना
वापस आकर मिली के साथ चल पड़ती है। तभी मीना अचानक रुक जाती है और मिली पूछती है की
वो रुकी क्यों है।
मीना:
वो देखो समीर, ....... अपने
घर से बहुत दूर एक छोटे से पिल्ले के साथ खेल रहा है।
दोनों
समीर के पास जाती हैं।
समीर
रोते हुए मीना को बताता है की उसे अपना घर नही मिल रहा है। वो उस पिल्ले के साथ
खेलते खेलते वहां पहुँच गया है।
मीना:
इसका मतलब तुम इस पिल्ले के साथ खेलते हुए इतनी दूर आ गए हो। तुम्हारी माँ कितनी
चिंता कर रही होगी। मिट्ठू ............. भी अपनी चिंता जाहिर करता है।
समीर
रोते हुए कहता है कि उसे माँ के पास जाना है।
मीना:
अरे अरे, रो
क्यों रहे हो समीर, हम
तुम्हे तुम्हारे घर छोड़ देंगे, चलो।
मिली
और मीना ने समीर को उसके घर पहुंचा दिया (उसकी माँ वाकई बहुत परेशान थी), मीना पानी भरने चली गयी और मिली चली
लालाजी की दुकान की ओर।
लालाजी:
आअह मिली बिटिया, क्या
चाहिए ?
मिली:
ह्म्म्म्म, (वो
सब सामान भूल गयी थी)
आधा
किलो धनिया, दो
मुठ्ठी नमक, दो
छोटी झाड़ू, एक
साबुन और एक पैकेट वाला नमक।
लालाजी,
जल्दी से सामान
दीजिये न। मीना कुँए पर मेरा इंतज़ार कर रही होगी।
लालाजी
सामान बाँध कर मिली को देते हुए,"ये लो मिली तुम्हारा सामान "
मिली
: ठीक है लालाजी मैं चलती हूँ।
लालाजी:
अपने पिताजी से कहना की वो जल्द आकर हिसाब कर जाए।
मिली:
कह दूँगी लालाजी
(ख़ुशी
ख़ुशी मीना के साथ अपने घर जाती है)
घर
पहुँच कर
मिली:
माँ...... माँ.....
माँ:
आई
मीना:
नमस्ते चाची
माँ:
अरे मीना तुम
मिट्ठू
: मीना तुम , समीर
हो गया था गुम
माँ:
ये समीर कौन, विद्या
बहन का बेटा
मिली
: वो सब छोड़ो न माँ, आप
पहले ये देखो, सारा
सामान ले आई मैं। कहा था न, कि मैं कुछ नहीं भूलूंगी।
माँ
सामान देखने के बाद: हे भगवान् ! तुझे बोला भी था कि लिख कर ले जा। हो गयी न गड़बड़।
मिली
: कैसी गड़बड़ माँ, सब
तो लायी हूँ।
माँ:
आधा किलो धनिया, अरे
आधा किलो आटा कहा था मैंने।
मिली:
मैं भूल गयी। मुझे लगा ..... ह्म्म्म्म
हाँ आप इस धनिये की चटनी बना लेना।
माँ:
ये देख, दो
झाड़ू,
मिली
: आपने ही तो कहा था की दो .....
माँ:
साबुन, ...... दो
साबुन कहे थे मैंने, एक
नहाने के लिए, दूसरा
हाथ धोने के लिए। और तू ले आई दो झाड़ू। ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् अब इन दो झाड़ूओं को अपने
दोनों हाथों में लेके घर साफ़ करूंगी क्या ?
मिली:
भूल गयी माँ।
माँ:
और ये जरा सा आटा, तुझसे
कहा था आधा किलो आटा लाना
मिली:
भूल गयी माँ
माँ:
वो तो ठीक है, लेकिन
ये क्या किया, ये
खुला हुआ साधारण नमक ले आई। मैंने तुझे कहा तो था की मिली, पैकेट वाला नमक लाना।
मिली:
नमक तो नमक ही होता है माँ।
माँ:
नहीं, बेटी
पैकेट वाले नमक में आयोडीन होता है, और ये खुला साधारण नमक इसमें अक्सर iodine
नहीं होता।
मिली:
लेकिन बिना आयोडीन वाला नमक खाने से होता क्या है माँ?
माँ:
दिमाग कमज़ोर हो जाता है, शरीर का विकास नहीं होता। छोटी सी बात समझने
में भी बड़ी मुश्किल आती है।
मिना:
हाँ चाची, बहनजी
ने भी एक बार हमे ये बताया था की आयोडीन वाला नमक हमारे दिमाग और शरीर के विकास के लिया बहुत जरूरी है।
माँ
बताती है की समीर की माँ पहले आयोडीन वाला नमक इस्तेमाल नहीं करती थी, इसी वजह से समीर को आयोडीन की कमी हुई,
और उसके दिमाग
का विकास नहीं हुआ, और
उसे चीज़े समझने में ज्यादा समय लगता है। लेकिन अब समीर की माँ को भी समझ में आ गया
है की आयोडीन वाला नमक पूरे परिवार के लिए क्यों जरूरी है।
मिली:ओह्ह्ह,
मुझे नहीं पता
था की आयोडीन वाला नमक हमारे दिमाग के लिए इतना जरूरी है। चलो मीना हम अभी लालाजी
की दूकान पर जाके आयोडीन वाला नमक ले आते हैं।
आज का खेल-
‘कड़ियाँ
जोड़ पहेली तोड़’
1. तीन टांग पर ये चलता है
2. गर्मी में राहत देता है
3. एक उंगली से घूम परे ये, रुके अगर तो पसीना बहता है।
उत्तर-पंखा
आज की कहानी का सन्देश-
सभी को आयोडीन युक्त पैकेट वाला नमक
ही खाना चाहिए। ताकि हम बिमारियों से भी बचे रहें और हमारा दिमाग हो जाए चुस्त और
तेज़।
शिक्षा-
साधारण और खुला नमक खाने से घेंघा जैसी खतरनाक बिमारी हो सकती है। यही नहीं,
बिना आयोडीन
वाला नमक खाने से हमारा दिमाग भी कमजोर हो सकता है।
मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है। यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिकसे अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में साथ है और इसके पीछे इनको लिपिबद्ध करने में लगा हुआ है। आशा है आप सभी को यह प्रयास पसंद आयेगा। फ़ेसबुक पर भी आप मीना की दुनिया को Follow कर सकते हैं।
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