फेल न करने की नीति खत्म, अब सीखना हो प्राथमिकता


शिक्षा का उद्देश्य केवल प्रमाणपत्र प्रदान करना नहीं, बल्कि छात्रों को वास्तविक ज्ञान और कौशल से सशक्त बनाना है। लंबे समय से लागू आठवीं तक फेल न करने की नीति ने इस उद्देश्य को बुरी तरह प्रभावित किया। इस नीति ने बच्चों को जिम्मेदारी और प्रयास से दूर कर दिया, वहीं शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका को भी कमजोर कर दिया। परिणामस्वरूप, स्कूलों में उपस्थिति और शिक्षा की गुणवत्ता, दोनों में गिरावट आई।  


नए निर्णय के तहत, पांचवीं और आठवीं में फेल होने पर छात्रों को अगले स्तर पर जाने से पहले अपने प्रदर्शन में सुधार करना होगा। यह बदलाव न केवल बच्चों को पढ़ाई के प्रति गंभीर बनाएगा, बल्कि शिक्षकों और अभिभावकों की जिम्मेदारी भी तय करेगा। लेकिन केवल परीक्षा की वापसी पर्याप्त नहीं होगी। छात्रों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करना और उनकी पढ़ाई को सार्थक बनाना समान रूप से महत्वपूर्ण है।  



ग्रामीण और वंचित वर्गों में कई बच्चे स्कूलों से अनुपस्थित रहते हैं। उनके लिए शिक्षा का अभाव गरीबी, दूरी, और जागरूकता की कमी से जुड़ा है। ऐसे में, स्कूलों को उनकी उपस्थिति बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। बच्चों के परिवहन, पोषण, और स्कूल के माहौल को आकर्षक बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।  


इसके अलावा, परीक्षा से पहले कमजोर छात्रों के लिए विशेष कक्षाओं और दोबारा परीक्षा का प्रावधान स्वागतयोग्य है। इससे बच्चों को अपनी गलतियों से सीखने और बेहतर प्रदर्शन करने का अवसर मिलेगा। यह नीति केवल परिणामों को सुधारने तक सीमित न रहकर समग्र व्यक्तित्व विकास को भी प्राथमिकता देती है।  


शिक्षा का असली उद्देश्य केवल अंक अर्जित करना नहीं, बल्कि जीवन के लिए जरूरी कौशल और दृष्टिकोण विकसित करना है। स्कूलों को इस दिशा में भी कार्य करना चाहिए। शिक्षक, छात्र और अभिभावक मिलकर एक ऐसी शिक्षा प्रणाली बना सकते हैं, जो जिम्मेदारी और सशक्तिकरण का प्रतीक हो। निश्चित रूप से, यह कदम सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाएगा। इसके साथ ही, छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करने का हमारा सपना भी साकार हो सकेगा।  


उपस्थिति और प्रयास का मेल हो,  
हर स्कूल में जिम्मेदारी का खेल हो।  
सपनों को साकार करें मिलकर,  
नए भारत की यही झलक हो।


 ✍️  लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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