बच्चों का मोबाइल से रिश्ता 'प्रगाढ़' कर रहा बेसिक शिक्षा का ऐप! सवाल उठता है कि आखिर बच्चों को क्यों दी गई किताबें? 


किताबों से जो रिश्ता था, वो टूटता सा है,
अब मोबाइल की रोशनी में, बचपन छूटता सा है।


आज जब विकसित देशों व जागरूक लोग छोटे बच्चों को मोबाइल से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं, उस दौर में बेसिक शिक्षा विभाग स्कूली बच्चों को मोबाइल फोन के जरिए पढ़ाई कराने का शिक्षकों पर दबाव डाल रहा है। बिडंबना है कि बच्चों को निपुण घोषित करने के लिए मोबाइल का सहारा लिया जा रहा है।

बेसिक शिक्षा विभाग ने बीते कुछ सालो में कई मोबाइल ऐप को प्रचलित किया है। निपुण लक्ष्य ऐप, रीड अलांग ऐप जहां बच्चों के लिए हैं, वहीं डीबीटी ऐप, प्रेरणा पोर्टल, यूडायस पोर्टल समेत ऐप्लीकेशन शिक्षकों के लिए हैं। ऐसे में छात्र पढाई के नाम पर मोबाइल के लत का शिकार हो रहे हैं।


(प्रतीकात्मक चित्र)

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि बच्चों में इंटरनेट व मोबाइल फोन के इस्तेमाल की आदत बढ़ी है जिसका सीधा असर उनके शारीरिक व मानसिक विकास पर पड़ रहा है। बच्चों को मोबाइल के इस्तेमाल से दूर रखने की जरूरत है।


मोबाइल ऐप घोषित करेगा 'निपुण'

कक्षा एक से तीन तक के बच्चों को निपुण लक्ष्य ऐप ही निपुण घोषित करेगा। बच्चों का किताबों की बजाए मोबाइल फोन में इंस्टाल इस ऐप के जरिए मूल्यांकन किया जाएगा। तकनीकी समस्याओं को दरकिनार कर यह ऐप बच्चों को निपुण करने या न करने का फैसला सुनाता है।


फ्रांस में पारित हुआ प्रस्तावः नर्सरी व प्राथमिक विद्यालयों के बच्चे फ्रांस में मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। यहां की सरकार ने एक प्रस्ताव पारित किया गया है। इसे लेकर अभिभावकों की सकारात्मक प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं। देश में भी बच्चों के मोबाइल इस्तेमाल पर रोक लगाए जाने की मांग उठ रही है।


आखिर बच्चों को क्यों दी गई किताबें❓

उम्र के जिस पड़ाव में बच्चों को मोबाइल फोन से दूर रखना चाहिए। उस दौर में बेसिक शिक्षा विभाग ने कई ऐसे फरमान जारी किए हैं जिसमें बच्चों को प्रतिदिन निपुण लक्ष्य ऐप के द्वारा पढ़ाने पर जोर दिया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बच्चों को किताबें क्यों दी गई हैं?


✍️ अमित कुमार मिश्र
फतेहपुर

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