मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
एपिसोड-08

आज की कहानी का शीर्षक-  "बड़ा नाम करेगा"
‘खुशी के रंग’

आज मीना बेला दीदी की रंगों की किताब, जिसमे अलग-अलग दो रंगों को मिलकर एक नया रंग बनाने की विधियाँ लिखी हुयी हैं, लेकर आयी है, और विधियाँ याद करने की कोशिश कर रही है।....तभी महेश वहां आ जाता है तथा मीना को विधि याद करने की तरकीब सुझाता है।

महेश- मीना...जरा पहले किताब पढ़के बताओ तो कि सबसे पहले कौन सा रंग बनाने की विधि लिखी हुयी है?
मीना- लाल रंग में पीला रंग मिलाने से संतरी रंग बनता है।
महेश ठीक है.....सोचो तुम्हारे सामने फलों से भरी एक टोकरी रखी हुयी है....
मीना- लेकिन...महेश भईया,फलों का....रंगों से क्या लेना देना?
महेश मीना को सेब,केला..संतरा....ज¬ोर-जोर से बोलने को कहता है।
महेश- बस हो गयी तुमको विधि याद......।

महेश बताता है कि सेब लाल,केला पीला इन दोनों को जोड़ा तो बन गया संतरा।

मीना को रंग याद करने की यह तरकीब बहुत अच्छी लगी।
और फिर मीना और महेश,बेला की किताब वापस करने गए उसके घर...। बेला घर पर नहीं थी इसलिए मीना ने वो किताब बेला के पिताजी पोंगाराम जी को दे दी।

पोंगाराम –(महेश से) भई! मैं क्या सुन रहा हूँ, तुम शादी कर रहे हो?
महेश- क्या???

पोंगाराम- महेश बेटा.....अभी तो तुम सिर्फ 19 साल के हो...अरे भई! पहले पढाई-लिखाई तो पूरी करलो अभी से शादी करके क्या?....

पोंगा चाचा बोलते जाते हैं..........बेला के लिए भी एक रिश्ता आया था, लेकिन मैंने उन लोगों से साफ-साफ कह दिया कि मेरी बेला पहले पढ़ लिख ले.....अपने पैरों पर खडी हो जाए तब करूंगा मैं उसकी शादी।

महेश बेटा, शादी कोई गुड्डे-गुड़ियों का खेल नहीं! बहुत जिम्मेदारियां उठानी पड़ती हैं। शादी के बाद........

महेश- लेकिन चाचा......जी......

पोंगा चाचा आगे बोलते ही जाते हैं- महेश बेटा, तुम्हारे पास नहीं कोई नौकरी है, न कोई काम धंधा...ऐसे में तुम शादी कर लोगे तो ....परिवार का खर्च कैसे चलाओगे?

महेश- अरे चाचा जी....मैं कोई शादी-वादी नहीं कर रहा हूँ,मैं तो अभी

सिर्फ अपनी पढाई पूरी करना चाहता हूँ.......उसके बाद किसी स्कूल मैं शिक्षक बनूँगा....तब कहीं जाकर शादी के बारे में सोचूंगा।

पोंगा चाचा- लेकिन......तुम्हारे पिताजी तो, तुम्हारी शादी कराने को रिश्ते ढूँढ रहे हैं।

पोंगाराम जी, महेश और मीना को साथ लेके महेश के पिताजी के पास गए।

महेश- पिताजी! क्या ये सच है कि आप मेरी शादी करने को रिश्ते ढूँढ रहे हैं?

पोंगाराम जी, महेश के पिताजी बनवारी जी को समझाते हुए महेश की इच्छा भी बताते हैं

बनवारी जी- ह्ह्ह,,,,,स्कूल का शिक्षक, अरे पोंगाराम जी इस साल ये बारहवीं पास कर ले,उसके बाद मेरे साथ ये खेती-बाडी करेगा।

मीना भी महेश के समर्थन में कहती है कि भईया ने रंग बनाने की विधि बहुत अच्छे से समझायी।

पोंगाराम जी महेश के पिताजी को समझाने की बहुत कोशिश की...लेकिन वो नहीं माने।

पोंगाराम जी निराश होकर वहां से चले गए। मीना भी वापस जाने ही वाली थी कि तभी वहां पर रानो के पिताजी (कमल) आ गए।

कमल जी- बनवारी भाई, इस साल फसल अच्छी नहीं हुयी...तुम्हारे कहने पर मैंने मकई के साथ-साथ मैंने कुछ सब्जियां भी बोई थीं। लेकिन....पता नही अब क्या होगा?

महेश के भी इच्छा प्रकट करने पर महेश के पिताजी सबको लेकर खेत पर पहुंचे।

महेश- पिताजी, मकई के साथ-साथ टमाटर कभी भी नहीं बोने चाहिए।

बनवारी जी- अच्छा महेश बेटा, अब तुम मुझे खेती सिखाओगे?

महेश अपने स्कूल में पढाये गए पाठ के बारे में बताता है......हाँ, अगर खीरे बोये जाएँ तो फसल बहुत अच्छी होगी।
महेश की इस बात से प्रभावित होते हैं....और महेश को खूब दिल लगाकर पढाई करते रहने को कहते हैं। महेश कमल चाचा को सारी बात बताता है।

कमल चाचा बनवारी जी को समझाते हुए कहते हैं-२१ साल से पहले लडके की शादी करना कानूनी अपराध है।......और फिर इसकी पढाई-लिखाई की उमर है।...इसे पढ़ने लिखने दो...कुछ् बन जाने दो। अगर अभी से इसपे शादी की जिम्मेदारियां डाल दोगे तो फिर ये कुछ भी नहीं बन पायेगा....न अपना भविष्य न ही अपना परिवार।

बनवारी जी की समझ में ये बात आ जाती है और वह मान  जाते हैं।


आज का गीत-
सबसे हमको प्यार है प्यारे,बात कहें हम सच्ची=२
हर एक चीज जो हो समय पर बस वही है अच्छी।
अरे बिना वजह क्यों सोचना क्यों करनी माथा-पच्ची,
हर एक चीज जो हो समय पर बस वही है अच्छी।
अरे बचपन नाम है खेलकूद का बचपन है मस्ती भरा
बचपन में शादी जो कर ली सब रह जाएगा धरा।
उमर है पढ़ने लिखने की कुछ बनके दिखलाने की
नहीं उमर ये शादी के बंधन में फँस जाने की।
गाँठ बाँध ले बात मेरी हर बच्चा और बच्ची
हर एक चीज जो हो समय पर बस वही है अच्छी।
शादी...कोई...खेल...न¬हीं...है...ये...है..¬.जिम्मेदारी...
करनी...पड़ती...है...ज¬िसके...लिए...बड़ी...त¬ैयारी....।
अरे पहले हो जाओ तैयार टन से मन से धन से
ताकि रहे न कोई शिकायत तुन्हें कभी जीवन से।
बात मेरी ये बड़ी जोरदार है नहीं समझना कच्ची।
हर एक चीज जो हो समय पर बस वही है अच्छी।

आज का खेल- ‘कड़ियाँ जोड़ पहेली तोड़’

o ‘श’ से मेरा नाम शूरु
‘ज’ पे ख़त्म हो जाता
भारत में मेरा जन्म हुआ
मैं दुनिया को खेल खिलाता।

o महल मेरा चौसठ कमरों का
गौरे काले साथी
मेरे पास है राजा रानी
और हैं घोड़े हाथी।

o मेरी बाजी जीतने वाला
कहता है एक बात
मैंने तुमको दे दी शह
और हुयी तुम्हारी मात।

उत्तर-‘शतरंज’


मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है। यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिकसे अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में साथ है और इसके पीछे इनको लिपिबद्ध करने में लगा हुआ है। आशा है आप सभी को यह प्रयास पसंद आयेगा। फ़ेसबुक पर भी आप मीना की दुनिया को Follow कर सकते हैं।  

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