मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
एपिसोड-20
दिनांक-11/11/2016
समय-11:15am से 11:30am तक
आज
की कहानी का शीर्षक- “मैं भी हूँ”
मीना के
स्कूल के स्पोर्ट्स टीचर क्लास में बताते हैं, ‘ दो हफ्ते बाद हमारे स्कूल में खेलकूद की प्रतियोगिता होने
वाली है,तो अब सरपंच
जी ने मुझे ये जिम्मेदारी दी है कि मैं फैसला करूं कि तुम में से कौन-कौन बच्चा उस
प्रतियोगिता में हिस्सा लेगा? इसलिए अगले हफ्ते, मैं तुम्हारा इम्तिहान लूँगा.....इम्तिहान के दो हिस्से
हैं- पहला हिस्सा है खेल से जुड़े सवाल-जबाब का मुकाबला और दूसरा हिस्सा है अपनी
पसंद का खेल, खेल के
दिखाना|
मीना को
खो-खो, दीपू को
साइकिल रेस, सुमी को
क्रिकेट खेलना अच्छा लगता है|
मास्टर जी- क्रिकेट....क्रिकेट तो लडके खेलते हैं| तुम एक काम करो सुमी...तुम मीना की तरह
खो-खो खेलना|
सुमी- मास्टरजी, आजकल तो लडकियाँ सभी खेल खेलती हैं और हमारे देश की महिला
क्रिकेट टीम तो वर्ल्ड कप में भी भाग लेती है|
मास्टरजी- ये वर्ल्ड कप नही स्कूल है|...कृष्णा तुम बताओ तुम्हें.....माफ करना
कृष्णा तुम्हारे लिए खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेना मुश्किल होगा|
छोटी उमर
में पोलियो होने के कारण कृष्णा हमेशा वैशाखियों के सहारे चलता है| शायद इसी वजह से मास्टरजी ने उसे
प्रतियोगिता में भाग लेने से मना कर दिया| कृष्णा उदास हो गया था और वो आधी छुट्टी के समय भी अकेला
बैठा हुआ था|
मीना उसकी
परेशानी का कारण पूंछती है| कृष्णा कहता है, ‘मैं भी प्रतियोगिता मैं हिस्सा लेना चाहता हूँ लेकिन
मास्टरजी ने....|’ कृष्णा उसे
सारी बात बताता है|
मीना उसे फिर
से मास्टर जी से बात करने को कहती है| मीना की बात मानकर कृष्णा मास्टरजी के पास पहुंचा|....उसकी यह कोशिश भी बेकार गयी| कृष्णा उदास हो वापस लौट गया|
और फिर शाम को
मीना ने अपने माँ बाबा को ये बात बताई तो...
“मास्टर जी को
ऐसा नहीं कहना चाहिए था|” मीना की माँ बोलीं| बाबा ने कहा-“ तुम ठीक कह रही हो मीना की माँ| हर टीचर का यही फर्ज कि वह अपने सभी
विद्यार्थियों को एक नज़र से देखे| न ही उनमे कोई भेद भाव करे|”
और अगली सुबह
जब मीना कृष्णा के घर पहुँची.....
मीना- ये क्या कृष्णा? तुम अभी तक तैयार नहीं हुए|
कृष्णा- मैं स्कूल नही जाउंगा मीना|...शायद वहां मेरे लिए कोई जगह है ही नहीं| मैं आज ही अपने माता-पिता से कहूँगा कि वो
मेरा दाखिला किसी ऐसे स्कूल में करा दें जहाँ सब मेरी तरह ही हों- ‘विकलांग’
मीना उसे
समझाती है, कि बहिन जी
कहती हैं, ‘स्कूल में हर
बच्चे के समान अधिकार होते हैं|’
मीना के समझाने पर कृष्णा स्कूल जाने को तैयार हो गया| स्कूल जाके मीना और कृष्णा ने बहिन जी को
सारी बात बताई|
बहिन जी, मीना और कृष्णा की बात सुनके तुरंत मास्टर जी के पास गयी|
बहिन जी
मास्टर जी से कहती हैं, ‘मास्टर जी आपको मालुम ही होगा कि स्कूल में हर बच्चे के
अधिकार समान होते हैं|......मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूँ कि किसी भी टीचर को ये हक़
नही कि वो अपने विद्यार्थियों में किसी भी तरह का भेदभाव करे चाहे वो जाति या धर्म
के आधार पर या फिर शारीरिक क्षमता के आधार|’
और फिर अगले
हफ्ते स्कूल में सवाल-जवाब का मुकाबला हुआ और वो मुकाबला जीता....कृष्णा ने| सरपंच जी उस मुकाबले के मुख्य अथिति थे| वो कृष्णा की बुद्धिमानी से बहुत खुश हुए
और बोले, ‘कृष्णा...तुम
तो बहुत ही समझदार और बुद्धिमान हो बेटे| लेकिन एक बात बताओ मास्टर जी ने पिछले हफ्ते मुझे एक लिस्ट
दी थी जिसमे उन बच्चों के नाम थे जिन्होंने इस सवाल-जबाव के मुकबले में हिस्सा
लिया था लेकिन उस लिस्ट में तुम्हारा नाम तो था ही नहीं|’
मीना बोल पड़ती है, ‘..कृष्णा तो पहले दिन से इस मुकाबले में भाग लेना चाहता था
लेकिन.....मास्टरजी ने कृष्णा को मना कर दिया था|.....मास्टर जी को लगा कि कृष्णा ठीक से चल नहीं पाता इसलिए इसे
खेलकूद प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लेना चाहिये|’
सरपंचजी ने तुरंत ही मास्टरजी को बुला के पूँछा, ‘ये मैं क्या सुन रहा हूँ मास्टर जी? आपने कृष्णा को आज के मुकाबले में भाग
लेने से रोका था|’
सरपंच जी समझाते हैं, ‘ये तो सही नहीं है मास्टरजी....आप एक टीचर हैं और अच्छा
टीचर वो होता है जो अपने सभी विद्यार्थियों से एक समान व्यवहार करे उनमे जात-पात,धर्म,विरादरी या ऊँच-नीच के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव ना
करे| उन सब को आगे
बढ़ने का एक बराबर मौका दे|’
सरपंच जी- कृष्णा...तुम बताओ, तुम्हें कौन सा खेल पसंद है?
कृष्णा- जी क्रिकेट....मैं मास्टरजी को यही बताने की कोशिश
कर रहा था कि भले ही मैं ठीक से चल नहीं सकता...लेकिन मैं ऐसे कई खेल है जिन्हें
मैं खेल सकता हूँ जैसे कि कैरम और शतरंज|...मास्टर जी माना मैं क्रिकेट नहीं खेल सकता लेकिन क्रिकेट की
कमेंट्री तो कर ही सकता हूँ|
मास्टर जी को
अपनी गलती का अहसास होता है और वो कृष्णा से मांफी भी मांगते हैं|
आज का गीत-
टन-टन-टन सुनो घंटी बजी स्कूल की
चलो स्कूल तुमको पुकारे|
पल-पल-पल रोशनी जो मिली स्कूल की
जगमगाओगे तुम बनके तारे
टन-टन-टन..............
कॉपी और किताबें सारी स्कूल देगा-स्कूल
देगा
यूनिफार्म भी तुम्हारी स्कूल
देगा-स्कूल देगा
स्कूल अब घर से दूर नहीं है कम हो गए
फासले
पहुंचोगे स्कूल के गेट पर थोडा सा भी
जो चले
प्यार और नरमी से तुमको पढ़ायेंगे टीचर
हैं ऐसे भले
टन-टन-टन.......................|
टन-टन-टन- ‘शिक्षा मेरा अधिकार है’
आज का खेल- ‘अक्षरों की अन्त्याक्षरी’
शब्द-‘कमल’
‘क’- काठ (काठ का उल्लू)
‘म’- मुंह (मुंह की खाना)
‘ल’- लोहा (लोहे के चने चबाना)
आज
की कहानी का सन्देश- स्कूल में हर बच्चे के समान अधिकार होते
हैं|
हमारे लिए-अपने
विद्यार्थियों में किसी भी तरह का भेदभाव न करे चाहे वो जाति या धर्म के आधार पर हो या फिर शारीरिक क्षमता के आधार पर |’
मीना एक बालिका शिक्षा और जागरूकता के लिए समर्पित एक काल्पनिक कार्टून कैरेक्टर है। यूनिसेफ पोषित इस कार्यक्रम का अधिकसे अधिक फैलाव हो इस नजरिए से इन कहानियों का पूरे देश में रेडियो और टीवी प्रसारण किया जा रहा है। प्राइमरी का मास्टर एडमिन टीम भी इस अभियान में साथ है और इसके पीछे इनको लिपिबद्ध करने में लगा हुआ है। आशा है आप सभी को यह प्रयास पसंद आयेगा। फ़ेसबुक पर भी आप मीना की दुनिया को Follow कर सकते हैं।
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