शिक्षक दिवस : नकारात्मक अनुभवों का उदाहरण देकर आलोचनाएं और उपदेश देने का बना दिन?
अब वही मंच नसीहतों का, आईना बन जाता है।"
शिक्षा के क्षेत्र में कई दशकों से जुड़े रहने के बाद यह देखना निराशाजनक है कि शिक्षक दिवस, जो आदर और सम्मान का प्रतीक होना चाहिए, धीरे-धीरे एक नसीहत दिवस या आईना दिवस बनता जा रहा है। पूरे वर्ष भर शिक्षकों के प्रयासों को सराहा नहीं जाता, लेकिन 5 सितंबर को उन्हें केवल नकारात्मक अनुभवों का उदाहरण देते हुए नसीहतें दी जाती हैं। यह दिन राजनीतिज्ञों और अधिकारियों के लिए सिर्फ अपनी आलोचनाएं और उपदेश देने का माध्यम बन गया है, जिससे शिक्षक सम्मानित होने के बजाय उपेक्षित महसूस करने लगते हैं।
शिक्षा क्षेत्र के लगभग हर पहलू से जुड़ाव ने मुझे इस सच्चाई का साक्षी बनाया है कि शिक्षक अपने समर्पण और परिश्रम के बावजूद समाज में सम्मानित स्थान पाने के लिए संघर्षरत हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस दिन शिक्षकों को उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित किया जाना चाहिए, उसी दिन उन्हें आईना दिखाने और उनकी कमियों पर चर्चा करने का अवसर बन जाता है। इस स्थिति ने शिक्षक दिवस के वास्तविक उद्देश्य को धुंधला कर दिया है।
शिक्षकों के प्रति आदर और सम्मान का यह दिन अब केवल औपचारिक पुरस्कार समारोहों तक सीमित हो गया है, जहां शिक्षकों की उपलब्धियों की बजाय उनकी गलतियों पर जोर दिया जाता है। यह प्रवृत्ति न केवल शिक्षकों का मनोबल गिराती है, बल्कि समाज में शिक्षा की गरिमा को भी ठेस पहुँचाती है।
हम सभी को यह समझने की आवश्यकता है कि शिक्षक दिवस केवल एक औपचारिकता नहीं होनी चाहिए। यह दिन हमारे शिक्षकों के समर्पण, त्याग और उनके ज्ञान को सम्मानित करने का दिन है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस दिन को एक उत्साहपूर्ण और प्रेरणादायक समारोह के रूप में मनाया जाए, जहां शिक्षकों को वह सम्मान मिले जिसके वे हकदार हैं।
शिक्षक दिवस का उत्सव केवल एक दिन का नहीं होना चाहिए, बल्कि यह एक निरंतर प्रक्रिया होनी चाहिए, जिसमें हम अपने शिक्षकों को हर दिन सम्मानित करें और उनके योगदान की सराहना करें। हमें इस दिन को राजनीतिज्ञों और अधिकारियों की नकारात्मकताओं से मुक्त करना होगा और इसे केवल शिक्षकों के सम्मान और प्रेरणा का दिन बनाना होगा।
"दिल से दे सम्मान, वो शिक्षक हैं हमारे,
पर शिक्षा के इस पर्व को नसीहत न बना,
सम्मान का पर्व है, इसे यूँ ही न गंवा,
शिक्षक दिवस को शिक्षक का अधिकार बना।"
✍️ लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर
परिचय
बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।
शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।
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