एआई नहीं सिखाएगा, जो मैंने शिक्षकों से सीखा
आपको पाठ्यक्रम याद बेशक न हो, लेकिन जिन शिक्षकों ने आपको जीने का सलीका सिखाया, ज्ञान के प्रति अपने जुनून से मिसाल पेश की और छात्रों के साथ जुड़ने के मजेदार तरीकों को अपनाया, क्या मशीनें उनकी जगह ले सकती हैं?
जब मैं अपने सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों के बारे में सोचता हूं, तो मुझे उनके चेहरे याद आते हैं। एक कृतज्ञता का भाव जागता है। हालांकि मुझे वह पाठ्यक्रम बिल्कुल याद नहीं, जो उन्होंने मुझे पढ़ाया। विषय चाहे विज्ञान के हों या मानविकी के, मुझे याद है कि इन शिक्षकों ने ज्ञान के प्रति अपने जुनून का उदाहरण पेश किया और छात्रों के साथ जुड़ने के मजेदार तरीकों को अपनाया। वे खुद अनुशासित तो थे ही, उन्होंने नैतिक गुणों के ऐसे उदाहरण पेश किए, जो मेरे जैसे हजारों छात्रों की जिंदगी के लिए प्रेरणा बन गए।
अपने अनुभवों से मैंने सीखा कि शिक्षक महज पाठ्यक्रम पढ़ाने के लिए नहीं होते, बल्कि गलती कैसे स्वीकारें या फिर शिक्षा किस तरह छात्रों को खुद की खोज करने में मददगार साबित हो, यह सिखाने में भी सहायक होते हैं। क्या कोई मशीन ऐसा कर सकती है? जो मैंने अपने शिक्षकों से सीखा, उस आधार पर कह सकता हूं कि हर एक व्यक्ति को ऐसे कौशल सीखने की कोशिश करनी चाहिए, जो मशीन नहीं सिखा सकती और जो सही मायनों में आपको इन्सान बनाएंगे।
खुद को मौलिक बनाए रखना जरूरी है। वैचारिक तौर पर सतर्क बने रहना जरूरी है, क्योंकि मशीन की आदत आपको एक ही ढर्रे पर सोचना सिखाती है, वह आपकी रचनात्मकता को सीमित भी कर सकती है।
पिछली गर्मियों में एआई से निर्मित एक कलाकृति को कोलोराडो स्टेट फेयर में पहला पुरस्कार मिला। पहली नजर में मुझे भी यह कलाकृति बहुत अच्छी लगी। लेकिन दूसरे ही पल यह मुझे बेजान- सी लगने लगी। किसी व्यक्ति का जुनून, दर्द, लालसा या गहराई से महसूस किए गए जीवंत एहसास उसमें नदारद थे। कल्पना और अंतर्दृष्टि, जैसा मेरे एक शिक्षक कहा करते थे, मानवीय रचनात्मकता के आधार होते हैं। मैंने अपने शिक्षकों से जो सीखा, वह कुछ इस तरह था।
खुद की आवाज को पहचानें
आपने एनिमल फॉर्म पढ़ी और अब आप जॉर्ज ऑरवेल जैसा लिखना चाहते हैं, तो आप लेखन से जुड़े कोर्स करेंगे, कक्षाएं लेंगे। एआई की मदद भी ले सकते हैं। लेकिन इन सबका मकसद क्या है, यह पहचानना जरूरी है। आप ये सब कुछ पढ़ रहे हैं, ताकि आप उसे बाहर ला सकें, जो आपके भीतर मौलिक है। एआई सब कुछ कर सकता है, लेकिन खुद की आवाज तो आप ही पहचान सकते हैं।
प्रस्तुति का कौशल
आप हर समय यह दिखाना चाहते हैं कि आप सामान्य लोगों से बढ़कर हैं। आप एक भाषण देते हैं, लेकिन उससे पहले उसे तैयार करना होता है, जिसमें एआई आपकी मदद कर सकता है। लेकिन श्रोताओं से जुड़ने के लिए उनके मूड के हिसाब से कौन-सी बात पहले कहनी है, कौन-सी बाद में या कहनी ही नहीं है, यह गणना तो आपको ही करनी होगी। एआई इसमें क्या करेगा?
रचनात्मकता के लिए जरूरी बाल-सुलभता बच्चों के दिमाग पर अपने अध्ययनों के लिए मशहूर एलिसन गोपनिक कहती हैं कि जब बच्चे जीपीटी 3 जैसे सिस्टम से बात करते हैं या कंप्यूटर पर कोई गेम खेलते हैं, तो वह प्रत्यक्ष व कल्पना की दुनिया के बीच एक मधुर रचनात्मकता का आनंद लेने लगते हैं। लेकिन, जब बच्चे किसी जीते-जागते व्यक्ति से बात करते हैं, या फिर मैदान में दोस्तों के साथ खेलते हैं, तब रचनात्मक ऊर्जा का जो प्रवाह होता है, वह एआई के साथ काम करते वक्त नहीं होता।
जाहिर है कि एआई काफी कुछ सिखा सकता है, लेकिन सजीव चीजों से जो सीख मिलती है, उसकी बराबरी नहीं हो सकती। दूसरों को समझना जब आप साहित्य पढ़ते हैं, या नाटक, जीवनी या इतिहास, तो आप विभिन्न परिस्थितियों में दूसरों के दृष्टिकोण व व्यवहार का अर्थ समझते हैं। किसी दूसरे के दिमाग में क्या चल रहा है, अगर आप यह समझ सकते हैं, तो आपके पास किसी मशीन की तुलना में कहीं ज्यादा मूल्यवान कौशल है। एआई यह नहीं सिखा सकता।
संवेदनशीलता
कोई व्यक्ति किसी परिस्थिति विशेष में कैसा व्यवहार करेगा, यह एआई नहीं बता सकता। हां, वह यह जरूर बता सकता है कि उसे कैसा व्यवहार करना चाहिए। लेकिन उसकी यह सीख हर व्यक्ति पर सटीक बैठेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं, क्योंकि हर व्यक्ति मौलिक है। अनुभव, ऐतिहासिक ज्ञान, विनम्रता, चिंतनशीलता और सबसे महत्वपूर्ण संवेदनशीलता भी एक तरह का ज्ञान है, जो मशीन नहीं दे सकती।
एआई के युग की खासियत यह है कि यह हमें उस ज्ञान से अलग करने पर मजबूर करता है, जो मानवतावादी नहीं है। यह इस बात का संकेत करती है कि आने वाले एआई युग की वास्तविकता क्या हो सकती है। एआई संभवतः हमें शानदार उपकरण देगा, जो हमें मौजूदा मानसिक काम को आउटसोर्स करने में मदद करेगा। एआई के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह हो सकती है कि यह हमें दिखाता है कि यह क्या नहीं कर सकता है, और इसलिए यह बताता है कि हम कौन हैं और हमारे पास क्या है। मशीन मददगार हो सकती हैं, लेकिन जो ज्ञान आपको समझदार बनाता है और रूपांतरित करता है, वह मशीन की परिधि से बाहर है।
✍️ डेविड बूक्स
द न्यूयॉर्क टाइम्स
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