'मीना दिवस' की पूर्व संध्या पर प्रस्तुत है शिक्षक साथी श्री योगेन्द्र प्रताप मौर्य जी की रचना 

                प्यारी मीना
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बोलो मीना कहाँ गयी थी
बहुत दिनों से छोड़ गयी थी

ढूढ़ रहे थे तुमको कब से
नहीं दिखायी दी हो जबसे

घर-आँगन में ढूढ़ा तुझको
गांव-गली में खोजा तुमको

आयी हो तुम सही समय पर
जन्मदिन पर वापस लौटकर

पर मीना पहले बतलाओ
झूठ-मूठ मत बात बनाओ

कहाँ गयी थी तुम घूमने
खेल खेलने और झूमने


मैं गयी थी कहानी गढ़ने
नानी के घर थोड़ा पढ़ने

खेल-खेल में गीत सीखने
खेलकूद में जीत सीखने

तुम सबको भी सिखलाऊँगी
नयी बात को बतलाऊँगी

चलो चलें अब,स्कूल सजाने
जन्मदिन मीना की मनाने

स्कूल सजाते राजू-रीना
तबतक आयी प्यारी मीना

रजनी जी गुब्बारा लायीं
मुखिया ने कैंडिल जलायी

मीना को सब दिएँ बधाई
केक काटकर ख़ुशी मनाई

दीपू,रानो,कृष्णा,सूमी
शोभा काकी माथा चूमी

मिट्ठू बोला बड़ा मजा है
गिफ्ट बहुत सा आज गजा है

पोंगाराम चाचा बोले
और सरपंच जी मुँह खोले

मीना है उत्साही बिटिया
निडर,साहसी प्यारी बिटिया




रचनाकार
योगेन्द्र प्रताप मौर्य(शिक्षक)
      जौनपुर

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