क्या शिक्षा में प्रौद्योगिकी असमानता को बढ़ावा दे रही? 


शिक्षा में प्रौद्योगिकी का उपयोग एक ऐसा साधन है जिसका उपयोग समाज में असमानता को कम करने या बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। इतिहास में, प्रौद्योगिकी ने अक्सर असमानता को बढ़ाने में मदद की है, क्योंकि यह उन लोगों के लिए अधिक अवसर पैदा करती है जो पहले से ही अच्छी स्थिति में हैं।


उदाहरण के लिए, कलम, कागज और लेखन सामग्री लंबे समय तक महंगे थे और शिक्षा की ही तरह कुछ ही लोगों के लिए उपलब्ध थे। जब छपाई के आविष्कार से किताबें सस्ती और अधिक उपलब्ध हो गईं, तो ऐसा नहीं हुआ कि असमानताएँ ख़त्म हो गईं। वास्तव में, छपाई ने पुस्तकों को एक भौतिक संपत्ति बना दिया, जिससे उन लोगों के लिए वे अधिक दुर्गम हो गईं जो गरीब थे या जिनके पास पहुंच नहीं थी।


रेडियो और टेलीविजन के साथ भी ऐसा ही हुआ। इन माध्यमों ने शिक्षा को एक व्यापक दर्शकों तक पहुंचाया, लेकिन वे अक्सर उन लोगों के लिए अधिक आकर्षक थे जो पहले से ही अच्छी स्थिति में थे। उदाहरण के लिए, रेडियो और टेलीविजन कार्यक्रम अक्सर उन लोगों के हितों के अनुरूप थे जो शहरों में रहते थे और जिनके पास शिक्षा और आर्थिक संसाधनों तक पहुंच थी।


कंप्यूटर और इंटरनेट ने शिक्षा में प्रौद्योगिकी के उपयोग में एक नई क्रांति ला दी है। इन प्रौद्योगिकियों ने शिक्षा को अधिक सुलभ और व्यक्तिगत बनाया है, लेकिन वे असमानता को बढ़ाने में भी मदद कर रही हैं।


उदाहरण के लिए, एडटेक कंपनियां अक्सर उन लोगों के लिए अधिक महंगी होती हैं जो गरीब हैं। इसके अलावा, एडटेक कंपनियां अक्सर उन लोगों के लिए अधिक प्रभावी होती हैं जो पहले से ही अच्छी स्थिति में हैं। उदाहरण के लिए, एडटेक प्लेटफॉर्म अक्सर उन बच्चों के लिए अधिक उपयोगी होते हैं जिनके पास मजबूत कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन होता है और जिनके माता-पिता उन्हें पढ़ाई में मदद करने के लिए समय और संसाधन प्रदान कर सकते हैं।


शिक्षा में प्रौद्योगिकी और असमानता पर तंज कसते हुए, हम कह सकते हैं कि:

🔴 प्रौद्योगिकी एक ऐसी शक्ति है जिसका उपयोग अच्छाई या बुराई के लिए किया जा सकता है। शिक्षा में, प्रौद्योगिकी का उपयोग असमानता को कम करने या बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।

🔴 समृद्ध और वंचित वर्गों के बीच की खाई को पाटने के लिए केवल प्रौद्योगिकी का उपयोग पर्याप्त नहीं है। इसके लिए, एक मजबूत इरादा और संकल्प की आवश्यकता होती है।

🔴 तकनीकी अरबपतियों के बच्चों के लिए, एआई और अन्य प्रौद्योगिकियां एक साधन हैं जो उन्हें अपनी स्थिति को मजबूत करने में मदद कर सकती हैं। गरीब बच्चों के लिए, ये प्रौद्योगिकियां अक्सर एक बोझ होती हैं जो उनकी शिक्षा में बाधा डालती हैं।


शिक्षण में प्रौद्योगिकी का उपयोग एक तरह से ऐसा है जैसे कि हम गरीब बच्चों को एक रेस में पीछे से शुरू करवा रहे हों, और फिर उन्हें यह कहकर संतुष्ट हो रहे हों कि हमने उन्हें दौड़ में भाग लेने का मौका दिया है।

प्रौद्योगिकी का उपयोग समानता को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए डिज़ाइन और कार्यान्वयन में बहुत सावधानी की आवश्यकता है।

शिक्षा में प्रौद्योगिकी एक शक्तिशाली उपकरण है जिसका उपयोग दुनिया को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रौद्योगिकी का उपयोग असमानता को बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है। शिक्षा में प्रौद्योगिकी के उपयोग को अधिक समावेशी और न्यायसंगत बनाने के लिए, हमें एक मजबूत इरादा और संकल्प की आवश्यकता है।

(आलेख विचार इनपुट : सुबीर शुक्ल) 


✍️  लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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