बच्चे की देखभाल करना केवल महिलाओं का काम है क्या? पुरुषों के लिए समानता की मांग के लिए पितृत्व अवकाश है जरूरी


पितृत्व अवकाश एक ऐसी छुट्टी है जो पुरुषों को बच्चे के जन्म के बाद कुछ समय के लिए अपने काम से दूर रहने की अनुमति देती है। यह अवकाश पुरुषों को अपने बच्चे के साथ शुरुआती रिश्ते बनाने, अपनी पत्नी या साथी का समर्थन करने और घरेलू कामों में मदद करने का मौका देता है।


भारत में, पितृत्व अवकाश की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है। हालाँकि, कुछ राज्यों और निजी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए पितृत्व अवकाश योजनाएँ शुरू की हैं। इन योजनाओं में आमतौर पर 15 से 60 दिनों तक की छुट्टी शामिल होती है।


पितृत्व अवकाश की मांग एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दा है। यह पुरुषों के लिए समानता की मांग है और यह परिवारों के लिए भी फायदेमंद है।


पितृत्व अवकाश की आवश्यकता क्यों 

पितृत्व अवकाश की आवश्यकता कई कारणों से है। सबसे पहले, यह पुरुषों को अपने बच्चे के साथ शुरुआती रिश्ते बनाने का मौका देता है। बच्चे के जन्म के बाद के पहले कुछ सप्ताह और महीने बच्चे के विकास के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इस समय के दौरान, पिता अपने बच्चे से जुड़ सकते हैं और उसे प्यार और समर्थन प्रदान कर सकते हैं।

दूसरे, पितृत्व अवकाश पुरुषों को अपनी पत्नी या साथी का समर्थन करने का मौका देता है। प्रसव और मातृत्व अवकाश के दौरान, महिलाओं को शारीरिक और भावनात्मक रूप से बहुत तनाव होता है। पितृत्व अवकाश पुरुषों को अपनी पत्नी या साथी को घरेलू कामों में मदद करने, बच्चे की देखभाल करने और उसे भावनात्मक रूप से समर्थन देने का मौका देता है।

तीसरे, पितृत्व अवकाश परिवारों के लिए फायदेमंद है। यह पुरुषों और महिलाओं के बीच काम और परिवार के बीच संतुलन को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह परिवारों को अधिक स्थिर और मजबूत बनाने में भी मदद करता है।


पितृत्व अवकाश न देना लिंगभेद का एक उदाहरण है। महिलाओं को मातृत्व अवकाश का अधिकार है, लेकिन पुरुषों को ऐसा कोई अधिकार नहीं है। यह धारणा को बढ़ावा देता है कि बच्चे की देखभाल करना केवल महिलाओं का काम है।


पितृत्व अवकाश की मांग पुरुषों के लिए समानता की मांग है। यह पुरुषों को अपने परिवारों में समान भूमिका निभाने का मौका देता है।


पितृत्व अवकाश एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दा है। यह पुरुषों के लिए समानता की मांग है और यह परिवारों के लिए भी फायदेमंद है। भारत में पितृत्व अवकाश की कानूनी आवश्यकता होनी चाहिए। यह पुरुषों को अपने परिवारों में समान भूमिका निभाने का मौका देगा और एक अधिक समान समाज बनाने में मदद करेगा।


पितृत्व अवकाश की वकालत के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं:

🟣 पितृत्व अवकाश के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाएं।

🟣 पितृत्व अवकाश की कानूनी आवश्यकता के लिए सरकार और निजी कंपनियों पर दबाव डालें।

🟣 पितृत्व अवकाश लेने वाले पुरुषों के लिए समर्थन समूह और संसाधन बनाएं।


पितृत्व अवकाश एक महत्वपूर्ण सामाजिक बदलाव है। यह पुरुषों और महिलाओं के बीच काम और परिवार के बीच संतुलन को बेहतर बनाने और एक अधिक समान समाज बनाने में मदद करेगा।



✍️  लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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