शिक्षाशास्त्रीय नजरिए से विद्यालयों में गैरशैक्षिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति द्वारा निरीक्षण एक अस्वीकार्य प्रथा, जानिए क्यों?


विद्यालयों का निरीक्षण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि विद्यालय अपने छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। हालांकि, विद्यालयों में गैर शैक्षिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति द्वारा निरीक्षण एक गंभीर समस्या है। ऐसे निरीक्षण शिक्षाशास्त्रीय दृष्टिकोण से कई तरह से बाधा बनते हैं।


शिक्षण प्रक्रिया का गलत मूल्यांकन:

गैर शैक्षिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति द्वारा निरीक्षण का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि वे शिक्षण प्रक्रिया का गलत मूल्यांकन कर सकते हैं। इन निरीक्षकों के पास शिक्षण के बारे में पर्याप्त ज्ञान नहीं होता है, इसलिए वे शिक्षण के वास्तविक गुणवत्ता का आकलन नहीं कर सकते हैं। वे केवल बच्चों से कुछ सवाल पूछकर या कक्षा में कुछ गतिविधियों को देखकर शिक्षण की गुणवत्ता का अनुमान लगाने की कोशिश करते हैं। यह एक बहुत ही अपूर्ण तरीका है और यह अक्सर गलत निष्कर्षों की ओर ले जाता है।


शिक्षकों पर दबाव:

गैर शैक्षिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति द्वारा निरीक्षण शिक्षकों पर दबाव डाल सकता है। शिक्षकों को लगता है कि उन्हें अच्छा प्रदर्शन करना होगा ताकि निरीक्षक उन पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दें। इससे वे अपनी शिक्षण शैली को बदल सकते हैं और उन गतिविधियों पर अधिक ध्यान दे सकते हैं जो निरीक्षकों को प्रभावित कर सकती हैं। यह शिक्षकों की स्वायत्तता को कम करता है और उन्हें रचनात्मक रूप से शिक्षण करने से रोक सकता है।


शिक्षा के उद्देश्यों की अनदेखी:

शिक्षण का उद्देश्य केवल बच्चों को ज्ञान प्रदान करना नहीं है। इसका उद्देश्य उन्हें सोचने, सीखने और समस्या-समाधान करने के लिए भी तैयार करना है। गैर शैक्षिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति द्वारा निरीक्षण अक्सर शिक्षा के इन उद्देश्यों पर ध्यान नहीं देता है। वे केवल बच्चों की जानकारी की मात्रा या उनकी स्मरण शक्ति पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इससे शिक्षा के व्यापक उद्देश्यों की अनदेखी होती है।


शिक्षा प्रणाली में भ्रष्टाचार:

गैर शैक्षिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति द्वारा निरीक्षण शिक्षा प्रणाली में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे सकता है। शिक्षकों को लगता है कि उन्हें अच्छा प्रदर्शन करने के लिए निरीक्षक को प्रभावित करना होगा। इससे वे निरीक्षकों को रिश्वत देने या उनके साथ अनुचित व्यवहार करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। यह शिक्षा प्रणाली के लिए एक गंभीर खतरा है।


शिक्षाशास्त्रीय दृष्टिकोण से, विद्यालयों में गैर शैक्षिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति द्वारा निरीक्षण एक अस्वीकार्य प्रथा है। ऐसे निरीक्षण शिक्षण प्रक्रिया को बाधित करते हैं, शिक्षकों पर दबाव डालते हैं, शिक्षा के उद्देश्यों की अनदेखी करते हैं और शिक्षा प्रणाली में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं।



शिक्षाशास्त्रीय दृष्टिकोण से, विद्यालयों में निरीक्षण के लिए निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करना चाहिए:

🟤 निरीक्षक को शिक्षा के क्षेत्र में पर्याप्त ज्ञान और अनुभव होना चाहिए।

🟤 निरीक्षण का उद्देश्य शिक्षण प्रक्रिया का गहन मूल्यांकन करना होना चाहिए।

🟤 निरीक्षण में शिक्षकों की स्वायत्तता को संरक्षित किया जाना चाहिए।

🟤 निरीक्षण में शिक्षा के व्यापक उद्देश्यों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।



निरीक्षण प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही होनी चाहिए।
इन मानदंडों को पूरा करने से विद्यालयों में निरीक्षण एक उपयोगी और प्रभावी प्रक्रिया बन सकती है।


✍️  लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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