SiR JI : एक शिक्षक की कहानी





सर जी एक 2023 की भारतीय हिंदी भाषा की ड्रामा फिल्म है, जो एक युवा शिक्षक की कहानी बताती है जो एक ग्रामीण स्कूल में काम करने के लिए आता है।

राम कुमार (शिवम सिंह) एक युवा शिक्षक है जो एक ग्रामीण स्कूल में काम करने के लिए आता है। वह एक प्रतिबद्ध और समर्पित शिक्षक है, और वह अपने छात्रों की शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, उसे जल्द ही पता चलता है कि स्कूल में कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें अपर्याप्त संसाधन, अनुपस्थित शिक्षक, और रूढ़िवादी अभिभावक शामिल हैं।


राम कुमार इन चुनौतियों का सामना करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। वह अपने छात्रों के साथ संबंध बनाने के लिए कड़ी मेहनत करता है, और वह उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में सिखाता है। धीरे-धीरे, वह छात्रों और समुदाय के विश्वास को जीतने लगता है।



फिल्म समीक्षा

सर जी एक अच्छी तरह से बनाई गई और प्रेरणादायक फिल्म है। यह एक महत्वपूर्ण विषय को संबोधित करती है, और यह एक सकारात्मक और आशावादी अंत के साथ समाप्त होती है।


फिल्म के अभिनय और निर्देशन दोनों ही उत्कृष्ट हैं। शिवम सिंह ने राम कुमार की भूमिका को बहुत प्रभावशाली ढंग से निभाया है। वह एक भावुक और प्रेरणादायक शिक्षक के रूप में उभरता है। अन्य कलाकारों ने भी सहायक भूमिकाओं में अच्छा काम किया है। फिल्म के संवाद भी सटीक और प्रभावशाली हैं। वे भारतीय ग्रामीण शिक्षा प्रणाली के मुद्दों को स्पष्ट रूप से उजागर करते हैं।


कुल मिलाकर, सर जी एक अच्छी बनाई गई फिल्म है जो एक महत्वपूर्ण विषय को संबोधित करती है। यह फिल्म सभी को देखनी चाहिए, विशेष रूप से शिक्षकों और शिक्षाविदों को।


सई नदी के किनारे से लेकर गांव में की गयी शूटिंग में सभी किरदार में प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक व बच्चें ही नजर आएंगे। फिल्म की कहानी यह बताती है कि पहले के गुरु व शिष्यों के बीच किस तरह का रिश्ता था। वह किस तरह से खेल खेल में बच्चों को स्कूल में पढ़ाते थे। आज काफी बदलाव आ गया है। फिल्म बताती है कि गुरु का जीवन में क्या महत्व है?  

यह मूवी 21वीं सदी के वर्तमान दशक में, ग्रामीण परिवेश में, भारत-भविष्य को तैयार कर रहे शिक्षकों की चुनौतियों को बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत करती है। अवकाशप्राप्ति की ओर बढ़ती उम्र वाले प्राध्यापक की सहज चिंता एक धर्मभीरु, कर्तव्यनिष्ठ व्यक्तित्व को उजागर करती है। 


जिला बेसिक शिक्षाधिकारी, जौनपुर गोरखनाथ पटेल के संरक्षण में बनने वाली इस फिल्म के निर्देशक प्राथमिक विद्यालय लखेसर के शिक्षक शिवम सिंह है। पटकथा लेखक प्राथमिक विद्यालय भुआकला के शिक्षक प्रेम चन्द्र तिवारी हैं। फिल्म का मुख्य किरदार पूर्व प्रधानाचार्य सुधाकर उपाध्याय ने निभाया है। राकेश सिंह, आशीष मौर्या, रीता यादव, नुपूर श्रीवास्तव और अनेक अभिभावकों ने इसमें भूमिका निभायी है। बालपात्र हैं आकृति यादव, यश कन्नौजिया, अमर प्रजापति, सृष्टि सरोज, अहम मिश्रा, गीतकार सुषमा त्रिपाठी गोरखपुर, राकेश सिंह, प्रेम तिवारी, पुष्कर प्रधान।


फिल्म के कुछ विशिष्ट मजबूत बिंदु निम्नलिखित हैं:

फिल्म का विषय: फिल्म एक महत्वपूर्ण विषय को संबोधित करती है, अर्थात् भारतीय ग्रामीण शिक्षा प्रणाली की चुनौतियाँ। यह एक ऐसा विषय है जिस पर अक्सर चर्चा नहीं की जाती है, और फिल्म इस विषय को एक सटीक और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करती है।

फिल्म के पात्र: फिल्म के पात्र अच्छी तरह से विकसित और आकर्षक हैं। राम कुमार एक मजबूत और प्रेरणादायक नायक है, और वह फिल्म के केंद्र में है। अन्य पात्र भी अच्छी तरह से लिखे गए और निभाए गए हैं।

फिल्म का निर्देशन: फिल्म का निर्देशन उत्कृष्ट है। फिल्म अच्छी तरह से बनी हुई है और इसे अच्छी तरह से निर्देशित किया गया है।


फिल्म के कुछ कमजोर बिंदु निम्नलिखित हैं:

फिल्म की लंबाई: फिल्म थोड़ी लंबी है, और इसमें कुछ लंबे दृश्य हैं।

फिल्म का अंत: फिल्म का अंत थोड़ा जल्दबाजी में लगता है।


कुल मिलाकर, सर जी एक अच्छी तरह से बनाई गई और प्रेरणादायक फिल्म है। सरजी फिल्म शिक्षक व छात्र के बीच के रिश्ते को दर्शाने वाली फिल्म है। यह काफी संदेशप्रद फिल्म है। यह फिल्म एक महत्वपूर्ण विषय को संबोधित करती है, और यह एक सकारात्मक और आशावादी अंत के साथ समाप्त होती है।


फिल्म का संदेश भी महत्वपूर्ण है। फिल्म दिखाती है कि शिक्षा एक शक्तिशाली उपकरण है जो जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। फिल्म यह भी दिखाती है कि शिक्षक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और वे छात्रों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।


मेरी सिफारिश है कि इस फिल्म को एक बार आपको जरूर देखना चाहिए, ऐसे प्रयास को समर्थन देना आवश्यक है। 🤝



✍️  समीक्षक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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