जानिए! क्यों जरूरी है शिक्षकों को और अधिक स्वायत्तता देनी?  


शिक्षाशास्त्रीय दृष्टिकोण से, शिक्षा में बदलाव के लिए शिक्षक को और अधिक स्वायत्तता देना आवश्यक है। शिक्षक ही कक्षा में शिक्षा का संचालन करते हैं और शिक्षार्थियों को सीखने में सहायता करते हैं। इसलिए, शिक्षा में बदलाव के लिए शिक्षक को यह अधिकार होना चाहिए कि वह अपने अनुभव, ज्ञान और कौशल के आधार पर शिक्षण के तरीकों और सामग्री का चयन कर सके।


शिक्षा में बदलाव के लिए शिक्षक को और अधिक स्वायत्तता मिलना आवश्यक है। शिक्षाशास्त्रीय नजरिए से, शिक्षक को निम्नलिखित क्षेत्रों में स्वायत्तता दी जानी चाहिए:


पाठ्यक्रम और पाठ्य सामग्री का चयन: शिक्षक को अपने छात्रों की आवश्यकताओं और रुचियों के अनुसार पाठ्यक्रम और पाठ्य सामग्री का चयन करने की अनुमति दी जानी चाहिए। इससे शिक्षक अपने छात्रों को अधिक प्रभावी ढंग से पढ़ा सकते हैं।


शिक्षण विधियों और तकनीकों का उपयोग: शिक्षक को अपने छात्रों के लिए सबसे उपयुक्त शिक्षण विधियों और तकनीकों का उपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिए। इससे शिक्षक अपने छात्रों को अधिक रुचिकर और आकर्षक तरीके से पढ़ा सकते हैं।


मूल्यांकन: शिक्षक को अपने छात्रों का मूल्यांकन करने के लिए स्वतंत्र रूप से अपनी अपनी विधियों और मानकों का उपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिए। इससे शिक्षक अपने छात्रों को अधिक निष्पक्ष और न्यायोचित तरीके से मूल्यांकन कर सकते हैं।


शिक्षक को स्वायत्तता देने से शिक्षा में निम्नलिखित लाभ होते हैं:

शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार: शिक्षक को स्वायत्तता देने से वे अपने छात्रों की आवश्यकताओं और रुचियों के अनुसार शिक्षण कर सकते हैं। इससे शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार होता है।


शिक्षकों की प्रतिबद्धता में वृद्धि: शिक्षक को स्वायत्तता देने से वे अपने काम में अधिक प्रतिबद्ध और प्रेरित महसूस करते हैं। इससे उनकी काम की गुणवत्ता और उत्पादकता में वृद्धि होती है।


शिक्षण में नवाचार: शिक्षक को स्वायत्तता देने से वे नए और अभिनव शिक्षण विधियों और तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। इससे शिक्षण में नवाचार होता है।


हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि शिक्षक को स्वायत्तता देने के साथ-साथ जवाबदेही भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। शिक्षकों को अपने कार्यों के लिए जवाबदेह होना चाहिए और उन्हें अपने छात्रों की उपलब्धियों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।


शिक्षा में बदलाव के लिए शिक्षक को और अधिक स्वायत्तता देने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

🔴 शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण और विकास कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए। इससे शिक्षकों को नवीन शिक्षण विधियों और तकनीकों के बारे में जानने और उनका उपयोग करने में सक्षम होंगे।

🔴 शिक्षकों के लिए मूल्यांकन प्रणाली को अधिक पारदर्शी और न्यायोचित बनाया जाना चाहिए। इससे शिक्षकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि उनसे क्या अपेक्षा की जाती है और वे अपनी प्रतिबद्धता को कैसे सुधार सकते हैं।

🔴 शिक्षकों के लिए अनुसंधान और विकास के अवसर प्रदान किए जाने चाहिए। इससे शिक्षक अपने काम में नवाचार कर सकते हैं और शिक्षण को और अधिक प्रभावी बना सकते हैं।


शिक्षकों को स्वायत्तता देना शिक्षा में बदलाव के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे शिक्षक अपने छात्रों को अधिक प्रभावी ढंग से पढ़ा सकते हैं और शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।


✍️  लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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